नई दिल्ली : साबरमती आश्रम में पैदा हुए महात्मा गाँधी के सच्चे भक्त अब्दुल हामिद कुरैशी की मौत के बाद उसे मुस्लिम रीति-रिवाज की तरह उनके शॉ को दफनाया नहीं गया बल्कि राम-नाम सत्य बोलते हुए अहमदाबाद में उनकी अर्थी को लोगों ने कंधा देकर बैकुण्ड धाम ले जाकर दाह संस्कार किया. राष्ट्रपिता कहा करते थे की मेरा जीवन एक संदेश है.
साबरमती आश्रम के अध्यक्ष थे कुरैशी
कुरैशी उस साबरमती आश्रम के अध्यक्ष थे, जहां अंग्रजों से आज़ादी दिलाने के लिए बापू विचार किया करते थे. इसके अलावा कुरैशी एक सुप्रसिद्ध वकील भी थे. शनिवार सुबह नवरंगपुरा स्थित स्वस्तिक सोसाइटी में अपने नाश्ते की टेबल पर कुरैशी ने अंतिम साँस ली. कुरैशी बापू के एक मित्र के बेटे थे. उनकी बापू के प्रति सच्ची देश भक्ति को लेकर लोग उन पर नाज करते हैं.