मधुर व्यवहार और मीठा बोलना एक कला है... जो हरेक के पास नहीं होता... बोलने की कला श्रीराम से सीखो... जहां रावण ने कड़क जबान से अपने सगे भाई विभीषण को खो दिया... वहीं श्रीराम ने मीठी जुबान से दुश
आज भी आदिवासी प्राकृतिक संपदा (जल, जंगल और जमीन) से अपने प्राकृतिक व सामाजिक जीवन निर्वाह की आवाश्यकताओं की संयमित रूप से पूर्ती करता है, क्योंकि वह मानता है कि प्रकृति/पुकराल/श्रृष्टि सम्पूर्ण जीवों
आज भी आदिवासी प्राकृतिक संपदा (जल, जंगल और जमीन) से अपने प्राकृतिक व सामाजिक जीवन निर्वाह की आवाश्यकताओं की संयमित रूप से पूर्ती करता है, क्योंकि वह मानता है कि प्रकृति/पुकराल/श्रृष्टि सम्पूर्ण जीवों
आज भी आदिवासी प्राकृतिक संपदा (जल, जंगल और जमीन) से अपने प्राकृतिक व सामाजिक जीवन निर्वाह की आवाश्यकताओं की संयमित रूप से पूर्ती करता है, क्योंकि वह मानता है कि प्रकृति/पुकराल/श्रृष्टि सम्पूर्ण जीवों
Title-बवंडर ख्वाब भी कितना अजीब होता है, चलते हुए इंसान को सपनों की दुनिया में पहुंचा देता है। मैं ऐसा इस लिए कह रहा हूं कि जिन्दगी की कड़वी लेकिन सच्ची बात भी यही है। अगर यह सपने न होते.तो
हमारे हिन्दू धर्म को सनातन धर्म के नाम से जाना जाता है। इसे सृष्टि का आदि धर्म भी कहते हैं। इस धर्म के मानने वालों को गुण और कर्म के अनुसार विभिन्न वर्णों में विभक्त कर हमारे समाज के निर्माता ऋषि-मुन
पब्लिशर आर्टिकल सारांश 17/8
डियर काव्यांक्षी शुभ दोपहरी 🥰 कैसी हो प्यारी।काव्यांक्षी पता है आज का विषय है जातीय हिंसा अब तुम ही बताओ क्या कहे इस
संविधान हमारा है समता का भाव सिखाता है।जाति,धर्म का भेदभाव हर जन के मन से मिटाता है।।जो जाति हिंसा करते हैं मानवता के घोर विरोधी है।जो मानव तन से घृणा करते हैं वे देश प्रगति अवरोधी है।।जाति है जो जाती
ऊंच - नीच , जाति , धर्म , मजहब के नाम ,पर क्यों एक - दूसरे का खून बहाते हो , हम सब का एक ही रंग - रूप और खून है , फिर भी जातीय हिंसा जताते हो । जाति हिंसा के संचालकों ने , जाति, धर
कल रात नींद मुझे देर तक नहीं आई लेटी हुई बिस्तर पर और सोच रही थी अपने आप से सवाल कुछ पूछ रही थी जांत पांत ऊंच-नीच आख़िर क्यों बनाई शक्ल एक है, रुप एक है, रंग भी एक है, यहां तक की रगों में ब
एक उम्मीद सांसे तोड़ती, हर पल बस बेजुबान होकर,जब कोई गलती से चुप चाप होता है हिंसा का शिकार,घरेलू हो या फिर हो जातीय उद्देश के साथ हुई हिंसा,आखिरी सत्य यही है की हिंसा सिर्फ बढ़ती है नफरत।