नई दिल्ली : लंबी बहस के बाद आज़ादी का सबसे बड़ा टैक्स रिफार्म वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) पास कर दिया गया है। जीएसटी लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी समेत 18 टैक्स होंगे ख़त्म हो जायेंगे। जीएसटी का बंटवारा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच होगा।
अब तक टोटल टैक्स तकरिबन 27 प्रतिशत तक पहुंच जाता था। अब यह 18 प्रतिशत के आसपास होगा। हालाँकि पेट्रोलियम और रियल इस्टेट को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
इससे जहाँ राज्यों के बीच टैक्स प्रतिस्पर्धा ख़त्म होगी वहीँ नई चीजें टैक्स के दायरे में आएँगी तो उनकी महंगाई बढ़ेंगी। जीएसटी के रेट शून्य, 5 पर्सेंट, 12 पर्सेंट, 18 पर्सेंट और 28 पर्सेंट तय किए जा चुके हैं लेकिन किस प्रोडक्ट पर कितना टैक्स लगाना है सरकार अभी इसे तय नही कर पायी है।
उपभोक्ता राज्यों को जीएसटी से लाभ होगा और ज्यादा टैक्स मिलेगा। जो प्रोडक्शन करने वाले राज्य हैं उनको कम टैक्स मिल सकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे राज्यों को मुवावजा दिया जायेगा।
इससे पहले जब कांग्रेस पार्टी जब संसद में जीएसटी लाना चाहती थी तो प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात सीएम के रूप में इसका विरोध किया था। उसका एक कारण यह भी था क्योंकि वह प्रोडक्शन करने वाला राज्य हैं।
ऐसे राज्यों में तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्य भी हैं। यूपी सरकार के दौर में संघ में भी इसके खिलाफ था क्योंकि उसे लगता था कि यह छोटे कारोबारियों के खिलाफ है।
पेट्रोलियम, शराब और रियल एस्टेट जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। गौरतलब है कि पेट्रोल को अगर जीएसटी के दायरे में रखा जाता तो अंतराष्ट्रीय कीमतें घटने पर पेट्रोल के दाम कम हो जाते और सरकारें दाम नही बढ़ पाती। रियल इस्टेट को भी इससे बाहर रखा गया जबकि ज्यादतर कालाधन रियल ईस्टेट में है।