पिछले भाग में आपने पढ़ा वीना और राजश्री फ़ोन पर बात करती हैं। उधर राजश्री अपने साथ लेकर आई लड़की से बात करती है, जिसका नाम उसे रानी पता चलता है। अचानक बातचीत में वह पूछ बैठती है
"आपने कैसे मुझ पर भरोसा कर लिया,अगर मैंने झूठ बोला होता तो ?"
अब आगे
राजश्री उसे देख कर मुस्कुराई और बोली
देखो रानी, मेरे हिसाब से भरोसे के लायक जो नहीं होते न! वे न तो लोगों की चुपचाप मार खाते हैं, न ही ऐसे दयनीय हालातों में जीना उनकी मजबूरी होती है।
अगर तुम चोरी करने वालों में से होती तो वहां खड़े होकर लोगों से पैसे ना मांगती और न ही चोरी करते हुए पकडे जाने पर खड़े उनकी बातें सुनतीं । मैं तुम्हें देखकर समझ गई थी कि या तो तुमने ये पहली बार किया है इसलिए पकड़ी गईं, या फिर वे लोग झूठ कह रहे हैं। अगर पहली बार किया है तो तब तो तुम्हारी पहली गलती तुम्हें समझ आना और माफ़ होना बहुत जरुरी है। वरना ये ऐसे ही आगे बढ़ती रहेगी।
और वैसे भी उस लड़के की शक्ल देखकर मैं तब ही समझ गई थी, पर्स में 500 रूपए थे ये कह रहा है लेकिन इसकी शक्ल नहीं कह रही। और इसलिए दोनों ही सूरतों में मैं तय कर चुकी थी कि मुझे तुम्हारा ही पक्ष लेना है। रानी की आँखें फिर नम हो गईं।
अब ये मुद्दा यहीं ख़त्म। चाय पियो और जल्दी ये बताओ खाने में क्या खाओगी। मैं आर्डर करती हूँ। राजश्री ने बात से उसका ध्यान भटकाने हेतु जल्दी से कहा।
"नहीं, मैं खाना नहीं खाऊँगी दीदी!"
"आपने इतना किया वही बहुत अब मुझे चलना चाहिए।"
"कहाँ जाओगी?"
"पता नहीं!"
"दीदी भी कहना है बात सुनना भी नहीं है। तुम्हें सड़क पर वापस छोड़ देना होता तो अपने साथ लाती ही नहीं और वापस जाकर करोगी क्या फिर वही!?"
"बैठ जाओ।"
आज और कल का दिन आराम करो और सोचो कि क्या काम तुम कर सकती हो फिर मुझे बताओ तुम्हारे लायक कुछ देखते हैं। राजश्री ने खाना आर्डर किया। खाकर उससे कुछ बातें की।
थोड़ी देर बैठने के बाद राजश्री ने उसे किचन बताते हुए कहा कुछ जरुरत हो तो वहाँ से ले सकती हो। फिर उसे अपने कमरे के पास बने गेस्ट रूम में जाकर सोने के लिए कहा और खुद भी अपने कमरे की और रुख किया।
राजश्री की आँखों में नींद नहीं थी। उसे आज रह रह के वीणा के साथ के दिन याद आ रहे थे। वीणा स्थिति भी एक समय कम चिंतनीय न थी। ऐसे ही एक दिन वीणा को वह अपने साथ लेकर आ गई थी अपने घर और वीणा इसी तरह संकोच कर रही थी हर बात में। उसकी राह भी तो आसान कहाँ थी? कठिन फैसला लेना था उसे जीवन में राजश्री याद करने लगी कैसे उसे समझाने के बाद वीणा राजश्री से घुलने मिलने लगी थी। अब वह दिन में एक बार उससे घर की बातें साझा कर ही लेती थी। जिससे वीणा का मन हल्का हो जाता था। राजश्री उस के साथ अपनी किसी अभिन्न मित्र की तरह ही व्यवहार करती। पैसों से अति समृद्ध तब राजश्री भी नहीं थी मगर अकेली थी खुद का कोई विशेष खर्च न था और कुछ करने के लिए सिर्फ पैसा ही नहीं चाहिए होता। राजश्री बस किसी को दुखी नहीं देखना चाहती थी। विशेषतः महिलाओं के प्रति उसकी विशेष सहानुभूति रहती थी। इसलिए वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहती थी।
उस दिन वीणा ने आकर बताया था कि उसे तीन माह का गर्भ है। राजश्री ने उसे विशेष हिदायत दी थी अपना ध्यान रखे। वीणा भी बहुत खुश थी। आज उसे एक नया मकसद मिल गया था जीवन का। राजश्री भी उसे खुश देख खुश थी। परन्तु साथ ही उसके मन में घबराहट भी थी। उसके पति और घर के ऐसे सहानुभूतिविहीन, असंवेदनशील वातावरण में एक नए नन्हें मेहमान के आने को लेकर राजश्री बहुत चिंतित थी।
आखिर क्या हुआ था वीणा के अतीत में!? आगे और क्या होगी रानी की कहानी? जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड।(स्वरचित) dj कॉपीराईट © 1999 – 2020Google