पिछले एपिसोड में अपने सुना राजश्री घर लाई लड़की रानी को 2 दिन आराम करने और सोचने की सलाह देती है कि वह क्या काम कर सकती है उसका सादापन संकोच विनम्रता सहनशीलता देख उसे वीना के साथ के दिन याद आ जाते हैं और वह अतीत में खो जाती है। जब वीना उससे स्कूल में घुल मिल गई थी और अपनी प्रेगनेंसी की बात बड़ी खुशी से राजश्री को बताई थी राजश्री उसके घर के माहौल के कारण उसके लिए काफी चिंतित रहने लगीं थी।
अब आगे
वीणा ने सुरेश से भी पहले ये बात राजश्री को बताई थी पति को तो वैसे भी कोई सरोकार था ही नहीं वीणा के जीवन में क्या घटित हो रहा है क्या नहीं। वीणा ने कहा की वह पति को भी आज बताएगी।
घर पहुंच कर इस खुशखबर का जब उसने सुरेश से जिक्र किया तो उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया न मिली।वीणा को गहरा धक्का लगा। दूसरे दिन विद्यालय में उसने ये बात राजश्री को भी बताई। स्कूल में राजश्री दिनभर सरदर्द से परेशान रही और वीणा के ही बारे में ही सोचती रही। शाम को वीणा घर के लिए निकली राजश्री ने भी अपने घर की और और रुख किया परन्तु कुछ ही दूर पहुँची होगी कि न जाने उसके मन में क्या आया। वह वीणा के घर की और चल पड़ी।
उसे पक्का तो नहीं पता था कि घर कौन सा है? पर बातों में कई बार वीणा ने जिक्र किया था मोहल्ले और अपने किराये के घर के बारे में। कुछ ही देर में राजश्री वीणा के घर के सामने पहुंची। असमंजस में ही थी कि घर यही है या नहीं और अंदर जाऊं या ना जाऊं? इसी उधेड़बुन में अंदर से चीखने की आवाज़ आई। राजश्री बिना सोच विचार किए अंदर दाखिल हो गई जैसे ही वह अंदर गई वहाँ का दृश्य देख आश्चर्य व् क्रोध से भर गई वह। वीणा के पति ने हाथ में डंडा लिया हुआ था और राजश्री के कुछ करने से पहले उसके सामने वीणा के सर पर एक बार वार भी कर चुका था। गनीमत थी कि वीणा को बहुत गहरी चोट नहीं आई थी। लेकिन अब वह उसके पेट पर प्रहार करने की तैयारी में था। राजश्री ने उसके शर्ट को पीछे से पकड़ इतने जोर से खींचा कि वह पीठ के बल नीचे गिरा और फिर पर्स में रखा पेपर स्प्रे उसकी आँखों में डाल दिया और वीणा के पास जा कर खड़ी हो गई। सुरेश दर्द से कराह उठा। वीणा राजश्री को देखती ही रह गई। राजश्री तुरंत वीणा को लेकर बाहर निकली उसे अपनी स्कूटी पर बिठाया और हॉस्पिटल लेकर गई। वीणा गहरे सदमे और दर्द में थी। शरीर पर लगे ज़ख्मों से अधिक दर्द उसके मन पर लगे घाव दे रहे थे। सिर पर लगी चोट और लगातार सोच विचार के कारण उसे चक्कर से आरहे थे। हॉस्पिटल पहुंचकर जैसे ही वह गाड़ी से उतरी लड़खड़ा गई और गिरने लगी.राजश्री ने गाड़ी वैसे ही छोड तुरंत उसे संभाला और अंदर आवाज़ दे स्ट्रेचर बुलवाया। वीणा को अंदर ले जाया गया राजश्री ने अपनी गाड़ी उठा कर पार्किंग में लगाईं और दौड़ती हुई अंदर गई।
चिकित्सालय की सभी औपचारिकताएँ पूरी कर उसने वीणा को भर्ती करवाया। वीणा परेशान सी इधर उधर चक्कर काट मन ही मन भगवान को मनाती रही कि वीणा और उसका बच्चा बिलकुल स्वस्थ व् सुरक्षित रहें। आधे घंटे बाद डॉक्टर ने सोनोग्राफी व् अन्य जांचें कर राजश्री को बताया कि चोट सिर्फ बाहरी है और ज्यादा गहरी नहीं है। बच्चे को भी कोई क्षति नहीं पहुंची है चिंता न करें वह जल्दी ठीक हो जाएगी।
चोट कैसे गहरी नहीं है? इतनी गहरी है कि शायद पूरा जीवन लग जाएगा भरने में। राजश्री सोचने लगी उसकी आँखें नम हो गईं।
राजश्री ने डॉक्टर को धन्यवाद दिया और वीणा से मिलने चली गई वीणा ने राजश्री को देखा तो अविरल अश्रु धारा के साथ मन के सब दुःख दर्द भी बहने लगे राजश्री ने उसे बमुश्किल चुप करवाया।
देखो वीणा ये समय चिंता करने का नहीं है तुम्हें अपने साथ उसके विषय में भी सोचना है जिसकी जिम्मेदारी है तुम पर आने वाले समय में। खैर अभी कोई बात नहीं करते हैं। तुम आराम करो और कुछ मत सोचो। मैं डॉक्टर से बात करके दवाईयाँ लेकर आती हूँ। राजश्री कुछ बोलना नहीं चाहती थी इस वक्त क्योंकि वह जानती थी कि अगर वह कुछ बोली तो फिर से उसमे वीणा के लिए पति को छोड़ देने की कठोर नसीहत जरूर शामिल होगी और राजश्री चाहती थी कि वीणा के फैसले स्वयं वीणा ही ले। सोच विचार में गुम राजश्री कमरे से बाहर ही निकल रही थी की वीणा की आवाज़ आई।
"दीदी"
राजश्री के पीछे पलटने पर उसने अश्रुपूरित नेत्रों से उसे देखा।
मुझे कुछ कहना है।
कहो!!
"मैं अब वापस उस घर में नहीं जाऊँगी।" कहकर वीणा फिर रोने लगी।
आखिर क्या वजह थी कि सब दुख सहकर भी सुरेश के साथ रहने वाली वीणा आज खुद उस घर नही जाना चाहती थी क्यों उसने वीना के संग इस बर्ताव किया जानने केलिए देखे अगला
एपिसोड
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