पिछले एपिसोड में अपने पढ़ा, राजश्री के साथ वीणा अपने जीवन की उधेड़बुन और अपनी आप बीती साझा करती है, जहाँ अनुभवी राजश्री उसकी समस्याओं को जानते हुए भी हर एक बात की पुष्टि खुद वीणा मुंह से करवाने की कोशिश करती हैं। वीणा अश्रुपूरित नजरों से राजश्री को निहार रही होती है अब आगे-
वीणा की आंखों में पानी देख, राजश्री कहती है-
वीणा, तुम जानती हो पति-पत्नी का अर्थ क्या होता है!? मेरी नज़र में पति-पत्नी एक दूसरे के जीवन सारथि होते हैं। कभी जीवन रथ का सारथि पति बनता है तो कभी पत्नी और कभी दोनों ही मिलकर जीवन रथ को आगे बढ़ाते हैं। इस सफर में कभी पथरीली डगर भी आती है और कभी रास्ते में फूल बिछे भी मिल सकते हैं। जब जीवन संघर्षों का सामना एक दूसरे के प्रेम रूपी साथ से वे दोनों मिलकर करते हैं तब जीवन बोझ नहीं लगता।
वीणा!! शादी सिर्फ इसलिए नहीं की जाती या निभाई जाती कि ये एक सामाजिक व्यवस्था है और न ही इसलिए कि पति रूपी सुरक्षा कवच पहन कर जीवन में आने वाली कठिनाइयों और असामाजिक तत्वों की बुरी नज़रो के घायल कर जाने वाले तीरों से खुद को इस कवच के सहारे बचाया जा सके। शादी में प्रेम, एकदूसरे के प्रति समर्पण और सम्मान का भाव् होता है, जो दोनों और से होना जरुरी है। और जिस पति के नाम को तुम सुरक्षा कवच समझ के धारण करके बैठी हो उसी के साथ तो तुम सबसे ज्यादा असुरक्षित हो!!! जिसे खुद तुम्हारे मान सम्मान से सरोकार न हो वो किसी से तुम्हें क्या सुरक्षित रख पाएगा!?
वीणा एकटक मंत्रमुग्ध सी राजश्री को सुनती रही। उनकी बातें उसे सही लग रही थी। वह स्वयं भी कई बार यही सब सोचा करती थी।
परन्तु, मन के किसी कोने में बचपन से घर कर चुका समाज का बनाया हुआ डर कि अकेली औरत का समाज में जीना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, अब भी उसे रोक रहा था।
मन में इसी उधेड़बुन में उलझी मगर बाहर से शांत बैठी वीणा की सोच की लड़ी फिर राजश्री जी ने तोड़ी।
और ये सब मैं त्वरित निर्णय के आधार पर नही कह रही हूँ!वीणा! तुम्हें शायद लगता है कि तुम किसी को नहीं बताओगी तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा!?
मैं पहले दिन से समझ रही हूँ सबकुछ।
तुम्हारे हाथों पर कई मर्तबा मैंने उन घावों को सिर्फ देखा नहीं महसूस किया है जो ऊपर से तो भर जाते हैं पर तुम्हारे मन को छलनी करके बैठे हैं।
इसीलिए बार बार कोशिश करती थी कि तुम अपने मन का दर्द बाँटो।
वीणा ये सुन इस बार गहन आश्चर्य से भर गई। उसे लगा ही नहीं था, कभी कोई किसी और को इतनी गहराई से समझ सकता है!? वो भी बिना उसे जाने बिना उसे सुने सिर्फ देखकर!?
एक बात मुझे बताओ क्या तुमने उसे बदलने का उसकी ये बुरी लत छुडाने का कभी कोई प्रयत्न नही किया!? राजश्री जी ने फिर एक प्रश्न किया।
मैंने क्या जतन नहीं किए!? सब कुछ कर के देख लिया! लगता ही नहीं कि वो ये लत छोड़ पाएगा!! रुआंसी हो वीणा बोली।
और जानती हो तुम्हें क्यों ऎसा लगता है!? क्योंकि वह ये लत छोडना ही नहीं चाहता है। उसे तुमसे ज्यादा शराब से प्रेम है। तुमसे ज्यादा शराब की लत है। वह जीवन में अपनी प्राथमिकता शराब को तय कर चुका है। अब तुम्हारी बारी है वीणा!! तुम्हारे जीवन की प्राथमिकता तुम्हारे जीवन का लक्ष्य तुम्हें खुद तय करना होगा।
वीणा फिर सोच में पड़ गई।
तुमने निर्णय लिया है तो बिलकुल सोच समझ कर लिया होगा। मैं ये नहीं कह रही कि अपने पति से अलग हो जाना ही तुम्हारी समस्याओं का एकमात्र हल है। लेकिन मैं साथ में ये भी कहना चाहती हूँ कि सिर्फ़ उम्रभर उसे सुधारते रहने का प्रयास करते रहना ही इस जीवन का लक्ष्य मत बना लेना वीणा!!
तुम उसे मौका देना चाहती हो दो। लेकिन कोई पड़ाव निर्धारित करो और फिर जी जान से जुट जाओ जो चाहती हो वो हासिल करने में। लेकिन उस निर्धारित समय सीमा के बाद भी उसमें बदलाव ना आए तो अपने जीवन को इस तरह व्यर्थ मत करो!!
इस पर एक विचार करके देखना, बाकी फैसला तुम्हारा जो भी हो, मैं हमेशा ही तुम्हारे साथ रहूँगी।
इतना अपनापन पाकर वीणा का दिल भर आया। आँखों से आँसु बह निकले..
टन टन टन.. स्कूल सबके लिए बंद होने की आखरी घंटी के साथ राजश्री जी उठ खड़ी हुईं। वीणा के कानो में घंटी के आवाज़ अब भी गूँज रही थी..!!!
मम्मी! मम्मी! भूख लगी… भूख लगी भई… खाना दो… खाना दो भई खाना दो... की आवाज़ कानों में पड़ते ही वीणा वर्तमान में आई। दरसल ये घंटी घंटी नहीं राजन्शी के प्लेट चम्मच बजाने की आवाज़ थी।
वीणा वर्तमान में लौट आई पर आखिर क्या थी उसके अतीत की पूरी कहानी!?? दुर्व्यसनी पति को भी अपने जीवन का आधार मानने वाली वीणा का पति अब कहाँ था!? क्या उसे बदलने में वीणा कामयाब हुई!? जानने के लिए सुने अगला एपिसोड
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