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जीवन सारथि 15

21 अगस्त 2022

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पिछले भाग में आपने पढ़ा, रानी राजश्री और शालिनी का साथ पाकर खुश है।
राजश्री घर मे बने अपने आफिस में रोज कुछ लोगों से मिलती है। वकील होने के नाते केस से जुड़ी औपचारिकताएँ और सामाजिक कार्यों से जुड़ी होने के नाते लोगों से मिलना उनकी मदद करना जैसे काम वह इसी आफिस में बैठ कर निपटाती है। पिछली शाम मिला वह युवक ऑफिस के बाहर ही उसका इन्तजार कर रहा था। राजश्री ने उसे अंदर बुलाया।

अन्दर आकर वह खड़ा हुआ। आज वह अपेक्षाकृत घबराया हुआ और शर्मिंदा भी लग रहा था। काल से बेहद शांत था आज उसका रवैया।
राजश्री ने उसे बैठने का इशारा कर  पानी का गिलास उज़के सामने रख दिया।
बातचीत में पता चला उसका नाम रितेश है, पहले वाहन चालक रह चुका है। पर फ़िलहाल एक साल से उसके पास कोई काम नहीं है। और ऐसी तिकडमों के जरिये ही फ़िलहाल घर चला रहा है।
 
राजश्री ने फ़ोन उठाकर किसी को फ़ोन लगाया। 

मिस्टर खन्ना!! गुड मॉर्निंग!
जी, आपको ड्राइवर की ज़रूरत थी न!?
एक लड़का है, उसे भेजती हूँ देख लीजिये। मेहनती है, बहुत ईमानदार है। 
 राजश्री ने आखरी शब्दों और काफी जोर देते हुए रितेश की ओर देखते हुए कहा। 
रितेश उनका वार्तालाप सुन शर्मिंदा हुआ जा रहा था।
कल आधी समझ तो उसे आ ही चुकी थी। आज उस पर जिम्मेदारी भी आ गई थी। वह ऐसे काम करना नहीं चाहता था कभी। पर आज तक कभी कोई काम दिलवाने वाला मिला ही नहीं। आज मौका मिलने पर मन ही मन वह तय भी कर चुका था कि वह पूरी ईमानदारी और लगन से काम कर एक अच्छा जीवन जीने की कोशिश करेगा।

जी ठीक है।  कह फोन रख राजश्री फिर उससे बोली। 

जाओ रितेश!! वैसे सौ प्रतिशत ये आपको रख लेंगे। फिर भी काम न बने तो फ़ोन करना। 

गिड़गिड़ाते हुए उसने कल के रवैये के लिए फिर  माफ़ी मांगी। राजश्री उसकी मनोस्थिति खूब अच्छे से  समझ रही थी। 

उसने उसे समझाया, रितेश बुरा इंसान नहीं उसकी आदतें होती हैं। एक मौके का हक़दार हर कोई होता है। 
एक  बार चीजे सुधारने  की कोशिश किसी का जीवन संवार सकती है। और एक मौका देने पर भी अगर वह न सुधरे तो उसे माफ़ भी नहीं किया जाना चाहिए फिर। उम्मीद है तुम समझ गए।
युवक नज़रें झुकाये सुनता रहा। और हाँ में सर हिलाने लगा।

इतने में एक बुजुर्ग दम्पति ने ऑफिस में प्रवेश किया। 
राजश्री ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया और नमस्कार कहा
नमस्ते मैडम!
बैठिए ! राजश्री ने उनकी और देख कर कहा। 

हमारे घर के पास साहब रहते हैं उन्होंने भेजा है। 

राजेश साहब ने भेजा है न!?

हाँ! मेरी बात हुई थी उनसे। 
बैठिए आप। 
उन्हें बैठने का इशारा देते हुए रितेश की ओर देखकर वह बोली
तुम जाओ रितेश!  अगर कुछ समस्या आए  तो बताना काम मन लगाकर करना बस। राजश्री रितेश से बोली। 
धन्यवाद! कह वह  चला गया। 

राजश्री ने कुछ फॉर्म्स निकाले दराज से और उनसे कुछ जानकारियाँ पूछ भरने लगी।
 
मेडम हमारे  पास आपकी फीस के पैसे नहीं हैं मगर। उसे अपने काम में तल्लीन देख वे बुजुर्ग व्यक्ति थोड़ा हिचकिचाते हुए बोले।

आपसे फीस मांगी किसने है अंकलजी राजश्री भरपूर मुस्कान बिखेरती हुई बोली। और आप मुझसे बड़े हैं। मैडम मत कहिये राजश्री नाम है मेरा!  आप मुझे नाम से बुला सकते हैं। और बेटी कहने का दिल करे तो मुझे और ज्यादा खुशी होगी। सुनकर उनकी आंखों में पानी आ गया। जो राजश्री ने नोटिस किया। अपनों के सताए हुए लोग ज्यादा ही संवेदनशील हो जाते हैं। वह मन मे सोचने लगी।

वे दोनों फिर राजश्री को देख मुस्कुरा दिए।

अच्छा आपके बेटे ने...कबसे.. अगके पूछते हुए वह थोड़ी हिचकिचाई.. जैसी उसे आशा थी उज़के आधे सवाल को सुनकर आशय समझकर ही दोनों रो पड़े।

पता नहीं साफ़ कुछ कहता नहीं! रोज के झगडे होते हैं। हमारी पेंशन भी वह ले लेता है। हम अब इस सब से परेशान हो गए हैं और कल से उसने हमें  घर में रखने से भी इनकार कर दिया। 

और आपकी बहु!? वो भी...

नहीं! नहीं! वह तो बहुत ही अच्छी है। ये महिला की आवाज़ थी।
 
उल्टा बहु उसे समझाती है वही बिना उसे बताए खाना भी देती है। अब अंकलजी बोले।

आपको क्या लगता है समझाने  से समझेगा!?
बेटा 1 साल हो गया  हमें और बहु को उसे समझाते हुए। 
 यहाँ तक कि घर भी हम नाम करने को मान गए थे क्योंकि एक ही बेटा है और सब उसका है। हमने भी बहुत समझाया पर वह साफ़ तौर पर कहता भी नहीं कि क्यों ऐसा कर रहा है  सिर्फ यही कहता है की आप लोगों के साथ मेरा निबाह हो नहीं सकता और अब घर से निकलने को कह रहा है।

लातों के भूत बातों से नहीं मानते मन में सोच राजश्री ने उनको पानी दिया और कहा मैं सब देख लूंगी। आप चिंता न करें।

अभी कहाँ रहेंगे फिर आप!?

पता नहीं बेटा कुछ पैसे हैं निकलते समय बहु ने चुपचाप दिए थे। 
उसी में कोई कमरा देखते हैं। 

ठीक है अभी आप आइए मेरे साथ अंदर। शाम तक आपके रहने का इंतज़ाम करते हैं हम।
अपने मोबाइल स्क्रीन में कुछ ढूँढ़ते हुए ये  कहकर राजश्री उठी और वे  बुजुर्ग दम्पति भी राजश्री के पीछे हो लिए। 

अंदर जाकर उसने उन्हें बिठाया और शालिनी को बुलाया। 
जी दीदी!

इनके लिए नाश्ता ले आओ प्लीज़!

अरे!! नहीं बेटा!हमें कुछ नहीं खाना है। हमने खा लिया महिला बोली। 

राजश्री जो नंबर फ़ोन में ढूँढ रही थी वह मिल चुका  था। 
राजश्री ने नंबर डायल किया और फ़ोन कान से लगाते  हुए बोली -

खा लीजिये। इस उम्र में भूखे रहना सेहत के लिए अच्छा नहीं है और इतना तो मैं  समझती हूँ  इतनी परेशानी में आपको कहाँ कुछ खाने की याद आई होगी। महिला झूठ पकडे जाने पर झेंप गई। 
तब तक उधर से फ़ोन उठा लिया गया था। 

हेलो! कहती हुई बात करने के लिए राजश्री अपने कमरे में चली गई।  किसे फ़ोन किया राजश्री ने!?  आखिर क्या है इन सबकी किस्मत में!? राजश्री कैसे इन बुजुर्ग दंपत्ति की मदद करेगी!? क्या इनके बेटे को वह समझा पाएगी या कोर्ट के सहारे से ही उन्हें उनका हक दिलाएगी!? रानी, वीणा, शालिनी आखिर इन सबका क्या भविष्य है!? जानने के लिए सुनते रहिए जीवनसारथि। (स्वरचित) dj  कॉपीराईट © 1999 – 2020Google

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