अब तक आपने पढ़ा गरीब परिवार में पली बढ़ी वीणा अपने अतीत को याद कर रही है जिंदगी से जद्दोजहद करते हुए वह इस स्कूल में काम ढूंढ लेती है। स्कूल में उसकी मुलाकात राजश्री से होती है और उसके द्वारा बार बार वीणा से उदास रहने का कारण पूछने और सांत्वना भरे शब्द कहने पर वीणा की रुलाई फूट पड़ती है। अब आगे
वीणा को रोता हुआ देख राजश्री ने उसकी पीठ सहलाकर सान्त्वना देते हुए पानी का गिलास थमाया। उसकी अवस्था स्थिर होने का इन्तज़ार किया और पूछा-
"बताओ क्या बात है पति से कोई झगडा हुआ क्या!?"
धीरे धीरे वीणा ने अपनी पूरी कहानी राजश्री जी के सामने सुना दी। पति किस तरह रोज उसे पीटता है, धमकाता है, सुख चैन सब छीन रखा है।
"मेडम जी शाम होते ही जी घबराने लगता है बस यही सोचती रहती हूँ कि आज क्या क्या झेलना होगा घर जाकर। जैसे तैसे मन मारकर घर जाती हूँ।"
लेकिन इतना सब कुछ सहन करती ही क्यों हो!?
तो क्या करऊँ! मेडम जी!?
यदि उसे तुम्हारी क़द्र नही तो छोड़ दो।
नहीं-नहीं मेडम जी लोग क्या कहेंगे!? वह घबराते हुए बोली।
कौन से लोगो के बारे मे सोच रही हो वीणा!? जिन्हें ये जानकारी रखने से भी परहेज़ है कि तुम किस हाल मे हो?
लेकिन समाज और परिवार वाले खुश नहीं होंगे, मेरे ऎसा कदम उठाने पर।
तुम गई थीं न उनके पास अपनी समस्या लेकर!? अनुभवी राजश्री ने निर्णायक स्वर मे पूछा।
जवाब वही मिला जो वे पहले से जानतीं थीं।
"जी!!" नज़रें झुकाती हुई वीणा बोली।
फ़िर!? राजश्री जी ने उसकी और देखते हुए पूछा।
फ़िर! क्या!!! बहन अपने परिवार मे सुखी है, उसने मुझसे इतना जरूर कहा कभी भी कोई जरुरत हो तो बताना कोशिश करुँगी तेरी मदद कर पाऊं। लेकिन पति के साथ निबाह के लिए सामंजस्य तो तुझे ही बिठाना होगा। हमने तो बचपन से दुःख और संघर्ष देखा है, अब तो तुझे इसकी आदत हो जानी चाहिए और वीणा हमारे जैसे गरीब लोगों की यही ज़िंदगी होती है। इससे अच्छे की तो हम सिर्फ कभी न पूरी होने वाली आशा ही कर सकते हैं।
और भाई!?? राजश्री ने सवाल किया
भाई-भाभी भी अपने जीवन मे खुश हैं। किराए के कमरे में रहते हैं। भाई कहता है तुझे कहाँ रखूँगा!? जैसे भी हो निबाह कर ले वहीं। हो सकता है तेरे प्रयासों से जीजाजी बदल जाएँ!! वैसे भी लड़की का असली घर तो उसका ससुराल ही होता है!!! और औरत चाहे तो पति को बदल सकती है!!!!!
एक माँ थीं जो शायद मेरा दुःख समझतीं वे अब रही नहीं। कभी-कभी तो मुझे लगता है कि वे होतीं तब वे भी शायद मुझे ही समजझाइश देतीं!!!!
तो तुम तैयार हो पुरी ज़िन्दगी ऎसे घुट-घुट कर जीने के लिये? राजश्री ने उसका मन टटोलना चाहा
नहीं मैडम जी, लेकिन छोड़ कैसे दूँ? समाज क्या कहेगा मुझे? भाई-बहन परिवार सबको ताने देंगे लोग। असमंजस के भाव लिए वीणा बोली।
कौन से समाज की परवाह है वीणा तुम्हें? वही समाज जो कभी तुम्हारे काम न आया!? कोई एक व्यक्ति भी मुझे बता दो जो तुम्हे एक दिन भी पति की मार से बचाने आया हो!?
ये तो मैने भी कई बार सोचा मेडम जी! मगर हिम्मत नहीं होती!
आख़िर नाम के लिए ही सही, पति तो है उसका साया सिर से हट गया तो.. कहते कहते वीणा घबराहट के भाव लिए चुप हो गई।
राजश्री एक फीकी हंसी लाते हुए अफ़सोस से अपनी गर्दन दाएँ बाएँ हिलाते हुए एक पल के लिए चुप हो गई। फिर बोली-
हम्म्म!!! तो ये बात है!?
अच्छा एक बात बताओ किस पति का नाम अपने साथ जोड़े रखना चाहती हो!? जिसको पत्नी शब्द के मायने भी नहीं पता!? वीणा ने अश्रुपूरित नज़रों से राजश्री जी की और
देखती रह गई।
आखिर क्या समझाना चाहती है राजश्री वीणा को? क्या सुरेश और वीणा का तलाक करवाना ही उसका उद्देश्य है.? क्या वह वीणा का मन बदलने में कामयाब होगी या यह बातचीत वीणा के जीवन को किसी अलग ही रास्ते की और मोड़ देगी! जानने के लिए अगला एपिसोड पढ़ना न भूलें।
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