लखनऊ : इस बार गर्मी से धरती कुछ ज्यादा ही तप रही है, ऐसे में रमजान में अल्लाह की इबादत करना आसान नहीं होगा
,बावजूद अल्लाह के बंदों में रमजान को लेकर गजब का उत्साह है।
रमजान शुरू होने में अभी 33 चांद बाकी हैं, यानी 33 दिन बाद 27 मई से रमजान का मुबारक महीना शुरू होगा। इसी के साथ एक महीने तक सहरी और अफ्तार का सिलसिला चलेगा। ईद की खुशियां 26 जून को खुदा की नेमत से धरती पर बरसेंगी।
मौसम विभाग के मुताबिक बीते दस बरसों के मुकाबले इस साल गर्मी ज्यादा पड़ेगी, साथ ही उमस भी ज्यादा परेशान करेगी। ज्यादा गर्मी का कारण यूपी में हरियाली कम होना और ग्लोबल वार्मिंग। विकट गर्मी के ऐसे हालात में पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर इस्लाम की राह पर चलना कोई आसान काम नहीं होगा, लेकिन खुदा का रहम ओ करम हासिल करने के लिए सच्चे ईमान वाले बंदों यानी मुसलमानों ने अभी से तैयारियों को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है।
रमजान की शुरुआत के साथ ही गर्मी परेशान करने लगेगी। मौसम विभाग के अनुसार 28 मई से 07 जून तक झुलसाने वाली गर्मी पड़ेगी। कुल मिलाकर इस अवधि में अधिकतम तापमान 42-43 डिग्री रहेगा, लेकिन उमस के कारण जिंदगी बेहाल रहेगी। इस दौरान न्यूनतम तापमान भी 28-29 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है।
मौसम वै ज्ञान िकों के अनुसार पश्चिम से चलने वाली गर्म हवाओं के कारण रात का मौसम भी शुष्क रहेगा। अलबत्ता 8 जून से 11 जून तक रोजेदारों को थोड़ी राहत मिलेगी। इस दौरान बादलों की अठ खेल ियों के कारण अधिकतम तापमान गिरकर 37 डिग्री के करीब मंडराता रहेगा, और न्यूनतम तापमान भी 25 डिग्री रहेगा।
मौसम विभाग के अनुसार इस बार जबरदस्त गर्मी के नौ दिन 12 जून से 20 जून तक होंगे। इस नौ दिन में गर्मी पिछले कई वर्षो के रिकार्ड तोड़ सकती है। मौसम विभाग ने लोगों से नौपता के दिनों में खाली पेट नहीं रहने के लिए कहा है। तनिक सोचिए... रोजेदार ऐसी गर्मी में किस प्रकार रोज़े रहते होंगे, वह भी पांच वक्त की नमाज और रोजमर्रा के तमाम कामों के करते हुए।
ईद के मुबारक़ मौके पर मौसम मेहरबान रहेगा। सूरज के प्रचंड तेवरों से राहत तो 21 जून के बाद ही मिलने लगेगी। आसमान में बादलों का डेरा दिखेगा। 24 जून यानी ईद के दो दिन पहले रिमझिम वर्षा की संभावना है। ईद वाले दिन भी बदली रहेगी, लेकिन पानी नहीं बरसेगा। यानी ईद की खुशियों में कोई खलल नहीं पड़ेगा।
यूं तो अल्लाह की इबादत का महीना है रमजान, लेकिन इस पवित्र माह के पीछे मकसद है घर-गृहस्थी में लीन रहते हुए बंदे को याद रहे कि यह जिंदगी उस खुदा की नेमत है, जिसे तू रोजी-रोटी के चक्कर में भुला बैठा है। ऐसे में कुछ समय उसकी इबादत के लिए निकाला जाए, ताकि खुदा का रहम ओ करम बना रहे और आखिर समय खुदा के फरिश्ते लेने आयें और खुदा जन्नत बख्शें। अलबत्ता खुदा के करीब होने का रास्ता इतना भी आसान नहीं है, खुदा भी बंदों की परीक्षा लेता है। जो कसौटी पर खरे उतरते हैं उन्हें ही खुदा की नेमत नसीब होती है। इसी कारण इस्लाम में खुदा की इबादत के लिये रमज़ान के पाक महीने को महत्व दिया जाता है।
रमज़ान या रमदान एक ऐसा विशेष महीना है जिसमें इस्लाम में आस्था रखने वाले लोग नियमित रूप से नमाज़ अता करने के साथ-साथ रोज़े यानी कठोर उपवास रखे जाते हैं। रोज़ा सबके लिए एक फज़ऱ् है जिसें रखने से आत्मा की शुद्धि, अल्लाह की तरफ पूरा ध्यान, और कुर्बानी का अभ्यास होता हैं और आदमी किसी भी तरह के लालच से खुद को दूर रखने में कामयाब होता है।