रांची : झारखंड बने 16 साल हो गए लेकिन अभी तक कई विकास योजनाएं सालो से लंबित पड़ी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के लंबित प्रोजेक्ट का जिक्र किया था . अपने भाषण में कहा था कि देरी होने के कारण 34 करोड़ का प्रोजेक्ट 2100 करोड़ का हो गया है . झारखंड में भी कमोबेश यही स्थिति है .लंबित पड़ी योजनाओं कि लागत हर साल बढ़ती जा रही है. सिचाई परियोनाएं तो कई दशकों से निर्माणाधीन है. देरी होने की वज़ह से झारखंड की 4298 करोड़ की कुल 29 परियोजनाओं की लागत बढ़ कर 19249 करोड़ रुपये हो गई है. इनमें सिंचाई , रेल . सड़क सहीत राज्य के राजधानी रांचा के सिवरेज-ड्रेनेज की परियोजना भी सालो से लंबित है.
झारखड बनने के बाद की परियोनाएं भी लंबित
राज्या की तीन संडके लंबे समय से बन रही है निर्माण में देरी से इसकी लागत भी बढ गयी है . रांची रिंग रोड फेज 7 की लागत तीन गुनी हो गई है . सडक का बजट 155 करोड़ रुपये से बढ़कर 450 करोड़ रुपए किया किया गया. साल 2002 से 2007 के बीच शुरु हुई 1997 करोड़ की पांच रेल परियोजनाएं भई सपय पर पूरी नहीं हुई. विलंब के कारण इनकी वर्तमान लागत 5775 करोड़ रुपये हो गया है यह परियोजना 2013 तक पूरा होना था पर काम पूरा नहीं हो सका. तीसरी बार राज्य सरकार और रेल मंत्रालय के बीच एकरारनामा हुआ. लागत बढ़ कर 5775 करोड़ हो गई.