अनूप श्रीवास्तव
नई दिल्लीः देश की राजधानी दिल्ली में सुरक्षा की क्या हालत है। यह घटना पोल खोल देती है। भ्रष्टाचार के कई खुलासे कर चुका एक आरटीआई एक्टिविस्ट डीसीपी से जान-माल बचाने की गुहार लगाता है तो उल्टे अगले ही दिन उसके ऊपर ताबड़तोड़ हमला हो जाता है। जी हां राजधानी दिल्ली में यह दुस्साहसिक घटना रविवार की रात हुई। बेख़ौफ़ बदमाशों ने मयूर विहार फेस 2 के इलाके में रविवार रात दनादन गोलियां बरसाईं। हमला एक RTI एक्टिविस्ट सुरजीत सिंह पर किया गया। कुल पांच गोलियां निशाना कर बदमाशों ने दागी। संयोग ठीक रहा कि वे हमले में बाल-बाल बच गए। सुरजीत पिछले कई सालों से भ्रष्टाचार और बिल्डरों के काले कारनामों का खुलासा करते रहे। उनका कहना है की पिछले कई दिन से उनको धम्मा सरदार नामक शख्स के स्तर से लगातार धमकी दी जा रही थी कि बिल्डरों के ख़िलाफ़ अपनी शिक़ायत को वापस ले लें नहीं तो गोली मार दी जाएगी। लेकिन माफिया के आगे न झुकते हुए उन्होंने शिकायत वापस लेने से इन्कार कर दिया। इस पर भूमाफिया ने आरटीआई कार्यकर्ता पर हमला करा दिया.
चश्मदीदों की जुबानी
चश्मदीदों के मुताबिक़ सरदार सुरजीत को हमले से पहले कुछ लोग आकर धमकाने लगे। जिस पर एक्टिविस्ट सुरजीत जान बख्श देने की गुहार लगाते रहे। जिसके बाद धमकाने वाले चले गए तो वहां स्कूटी पर सवार 4 बदमाश आए और सुरजीत को लक्ष्य कर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। संयोग ठीक रहा कि गोलियां सुरजीत को छू न सकीं। वे बाल-बाल बच गए। देर रात हुई इस वारदात में बदमाशों ने अन्धाधुंध पूरे 5 राउंड फायरिंग की। गोलियों की आवाज से पूरा इलाका गूंज उठा। मामला शांत होने के बाद लोग मौके की तरफ दौड़ पड़े।
मौका-ए-वारदात को यूं दिया अंजाम
दरअसल देर रात हुई इस घटना से पुरा इलाका दहशत में है। सुरजीत को सरदार धमकी देकर निकल चुका था कि सुरजीत ने चलना चालू किया और तक़रीबन 5 से 6 कदम चलने के बाद सुरजीत जैसे ही ट्राफिक पुलिस बूथ तक पहुंचे उन पर ताबड़तोड़ एक के बाद एक कई फ़ायरिंग की गईं। हैरत की बात तो यह कि जब फायरिंग की जा रही थी तब भी पुलिस वहां मौजूद थी. सुरजीत को गोली तो एक भी नहीं लगी लेकिन सुरजीत ज़मीन पर पड़े हुए थे। सामने से एसएचओ की गाड़ी आ रही थी कि तभी सुरजीत उठ खड़े हुए और गाड़ी में बैठे एसएचओ के ड्राइवर से कहा कि उन हमलावरों को पकड़ो. लेकिन ड्राइवर ने ढुलमुल रवैयै दिखाते हुए मंद मुस्कान के साथ सुरजीत को कहा कि मेरी पास कुछ सामान है। सुरजीत हक्का बक्का रह गया और बोला इस बात का क्या मतलब है। इतना ही नहीं घटनास्थल से महज़ 200 मीटर की दूरी पर ही पांडव नगर थाना है लेकिन न तो उसकी किसी ने सुनी और न हीं उसकी मदद को कोई आया। अब इससे यह तो साफ है कि पुलिस का ख़ौफ़ बदमाशों के भीतर कितना है यह कहने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है।
बकौल सुरजीत
सुरजीत ने बताया कि धम्मा सरदार एक हिस्ट्री शीटर है जिसके ख़िलाफ़ वो पहले भी शिक़ायत दर्ज करा चुके हैं। उन्होनें बताया कि जब उन्होनें कई साल पहले एक शेखर
अग्रवाल नाम के बिल्डर के ख़िलाफ़ शिक़ायत दर्ज की थी तब भी यह सरदार उनके पास उन्हें धमकाने आया था। जिसके बाद बिल्डर अग्रवाल बिल्डर लोगों के पैसे लेकर रफ़ूचक्कर हो गया था। और अब जब उन्होने जीतू बिल्डर के खिलाफ़ शिक़ायत दर्ज कराई तो एक बार फिर धम्मा सरदार उसे धमकी देने आ पहुंचा। जिसके बाद सुरजीत ने बिल्डर, शासन और प्रशासन के जाल की बात कही और कहा कि मैने तो कल ही कंप्लेन डीसीपी को दी थी और मेरे ऊपर आज ही इतना ख़तरनाक़ हमला हो गया? सुरजीत ने कहा कि उन्होनें कंप्लेन की प्रतिलिपि देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, उपराज्यपाल, मानवाधिकार आयोग, कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर, और मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार को भी दी है। सुरजीत ने कहा कि इतना ही नहीं जब रात को धम्मा सरदार का मेडिकल कराने पुलिस उसको लाल बहादुर अस्पताल लाई तो उसने फिर सुरजीत को कहा कि ज़्यादा पर निकल आएं है तुम्हारे लगता है, यह सब भी पुलिस की मौजूदगी में हुआ और पुलिस के लोग बदमाश की बात सुनकर बदमाश के साथ ही हंसने लगे और सुरजीत का मज़ाक उड़ाने लगे। सिस्टम का ऐसा मज़ाक वाकई शर्मनाक है, डीसीपी को कंप्लेन कोई मतलब नहीं, पुलिस की मौजूदगी कोई फर्क़ नहीं, भ्रष्टाचार उजागर करना जी हां कोई मतलब नहीं, क्या यही सिस्टम है।