सदा बेईमानी करने वाला मनोहर स्कूटी चलाते हुए कुछ सोचते हुए कहीं जा रहा था। थोड़ी दूर बाद लाल बत्ती आने के कारण अनेकों गाड़ियां कतारबद्ध खड़ी हो गई। तभी पीछे से एक मोटरसाईकिल सवार मनोहर के आगे आकर रूका। जिसकी जेब से उसका मोबाईल आधा बाहर निकला हुआ, जो बस गिरने ही वाला था। मनोहर की नजर उसके मोबाईल पर पड़ी। लाल बत्ती के हरा होते ही गाड़ियां चलने लगी तो मोटरसाईकिल सवार के आगे बढ़ते ही उसका मोबाईल सड़क पर गिर गया। जिसे देख पीछे से आते मनोहर ने तुरन्त बिना देर किए उसे उठा लिया और बिना कुछ सोचे तेजी से उस मोटरसाईकिल सवार को आवाज देकर रोकते हुए उसका मोबाईल लौटा दिया। ऐसे अप्रत्याशित रूप से गिरा हुआ मोबाईल वापिस मिल जाने पर मोटरसाईकिल सवार ने मनोहर को धन्यवाद देते हुए, उसकी ईमानदारी की प्रषंसा की। फिर दोनों अपने-अपने रास्ते हो गये। सारे रास्ते मनोहर का मन कश्मकश से भरा रहा जो कई दिनों तक उसके मन में बना रहा... न जाने क्यों !