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सांप और मकड़ी की कहानी

15 अप्रैल 2023

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एक बार एक साँप जंगल में घूम रहा था। उसे भूख लगी थी और वह खाने की तलाश में था। तभी उसे एक मकड़ी दिखाई दी। साँप ने सोचा कि उसे यह मकड़ी अपना शिकार बनाएगी। लेकिन मकड़ी बहुत चतुर थी।

मकड़ी ने साँप को एक चालाक प्लान बनाने के लिए धोखा दिया। उसने साँप से कहा कि वह उसे खाने से पहले एक गाना गाएँ। साँप ने सोचा कि यह बहुत आसान है और उसने गाना गाना शुरू कर दिया। जब साँप गाना गा रहा था, तब मकड़ी ने उसे अचानक पकड़ लिया।

साँप ने मकड़ी को पूछा, "तुमने मुझे क्यों धोखा दिया?" मकड़ी ने कहा, "मैंने तुम्हें धोखा नहीं दिया। मैंने तुम्हारे गाने को नहीं सुना था, मैं तुम्हें अपनी चालाकी से फंसाना चाहती थी।"

साँप ने यह समझ लिया कि वह मकड़ी से बहुत बच्चे हैं। वह मकड़ी को माफ कर दिया और उसे चले जाने के लिए कहा। इससे मकड़ी ने अपनी चालाकी से साँप को फंसा लिया था। 

जैसे ही मकड़ी चली गई, साँप ने अपने आप को खुशकिस्मत समझने लगा कि उसने मकड़ी को माफ कर दिया और अब वह स्वतंत्र है। लेकिन फिर उसे एक विचार आया कि क्या यदि वह फिर से किसी अन्य चालाक जानवर की शिकार बन गया।

इसलिए, साँप ने अपनी सोच को बदलने का फैसला किया। वह अब अपने बुद्धिमान दिमाग का इस्तेमाल करने लगा। वह सोचता रहा कि कैसे वह अगली बार किसी चालाक जानवर से बच सकता है।

फिर एक दिन, साँप ने एक लोमड़ी को देखा। उसे याद आया कि उसने कहीं पढ़ा था कि लोमड़ी बहुत चालाक होती है। साँप ने लोमड़ी को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन लोमड़ी उससे बच गई।

इससे साँप को यह समझ में आया कि वह अपनी चालाकी से किसी भी जानवर को फंसा सकता है, लेकिन लोमड़ी की तरह सोचते हुए। अब साँप भी बहुत चालाक हो गया था।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुद्धिमान बनने से हम किसी भी चालाकी से बच सकते हैं।  

परिस्थितियों से निपटने के लिए, हमें अपने बुद्धिमान दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए। साँप की यह कहानी हमें यह भी बताती है कि हमें अपने अंदर के ताकतों को खोजना चाहिए और उनका सही इस्तेमाल करना चाहिए।

इस कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें किसी के बारे में भी गलत धारणाओं से बचना चाहिए। जैसे साँप को मकड़ी के बारे में गलत धारणा थी, वैसे हमें भी लोगों को सिर्फ उनके दिखावे से नहीं जानना चाहिए। हमें लोगों को उनकी सही वास्तविकता में जानने की कोशिश करनी चाहिए।

इसी तरह से, हमें अपनी जीवन में चालाकी से काम लेने की बजाय सच्चाई और ईमानदारी से काम लेना चाहिए। हमें संयम और धैर्य से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाना चाहिए।

इस तरह से, साँप की मकड़ी पर कहानी हमें कई महत्वपूर्ण सीख देती हैं। यह एक बहुत ही रोचक और शिक्षाप्रद कहानी है। 

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रचनाएँ
कही-अनकही कहानियाँ
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विज्ञान और धर्म (बुद्धि और हदय) में मात्र इतना ही अंतर है कि विज्ञान मानता है काला रंग वास्तव में कोई रंग न होकर समस्त रंगों की अनुपस्थिति मात्र है। जहां कोई रंग नहीं वहां काला अर्थात् अंधकार ही होगा । इसी प्रकार सफेद रंग वास्तव में सभी रंगों के मिश्रण से प्राप्त होता है। यही भौतिकी के सिद्वान्त कहते हैं। इसके विपरित इसी विषय में हदय का प्रयोग करने वाले कला प्रेमी लोगों का इसके विपरित ही तर्क है। उनके अनुसार वास्तव में काला रंग समस्त रंगों के मिश्रण का नाम है। आप किसी चित्रकार से पूछिए कि उसे काला रंग बनाने के लिए क्या करना होगा, उत्तर में यही मिलेगा कि समस्त रंगों को मिला दीजिए, जो रंग प्राप्त होगा वह काला और समस्त रंगों की अनुपस्थिति से सफेद रंग प्राप्त होता है। यहां दोनों ही अपने-अपने स्थानों पर बिल्कुल सही हैं। दोनों वर्ग अनेकों प्रकार के प्रयोग करने के पष्चात ही इस निर्णय तक पहुंचे हैं जिसका गलत होने की कोई संभावना नहीं। मात्र दृष्टि का अंतर है। सही दोनों हैं। यह दोनों को मानना भी होगा कि वैज्ञानिक और चित्रकार दोनों ही सही हैं। विरोध को कोई प्रष्न नहीं और कभी इस विषय को लेकर किसी ने इनके मध्य कोई लड़ाई भी न सुनी होगी। मानव चेतना भी इन्ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसमे अक्सर मनुष्य का अंतर्मन सदा आपस में काले-सफेद को लेकर लड़ता रहता है, सदा दोनों और चलने वाली इस खींच तान के बीच कभी भी यह सुनिष्चित नहीं हो पाता कि वैज्ञानिक सही या चित्रकार? मानव मस्तिष्क के भीतर चलने वाले द्वन्द को इस पुस्तक में क्रमबद्ध पिरोया गया है, जिसमे उसके अंतर जगत को प्रतिबिंबित करता है....
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