झाबुआ : कश्मीर में लगातार बढ़ रही पत्थरबाजी से निपटने के लिए मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले से एक सुझाव आया है. झाबुआ जिले के आदिवासियों ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि कश्मीर के पत्थरबाजों से निपटने के लिए उनके पारंपरिक हथियार गुलेल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
युवा आदिवासियों ने सरकार से गुलेल बटालियन बनाए जाने की मांग की है. एक नौजवान आदिवासी ने कहा कि कश्मीर के इन भाड़े के पत्थरबाजों को वो माकूल जवाब दे सकते हैं...पत्थर का जवाब पत्थर से.. वो भी उनसे तेज और दूर तक पत्थर फेंक कर.
आदिवासियों के इस सुझाव को सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष, दोनों के नेताओं का समर्थन मिला है. बीजेपी विधायक शांतिलाल बिलवाल ने कहा, 'कानूनी बंधनों की वजह से आर्मी के जवान खुद का बचाव करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग नहीं कर सकते. सरकार को इन युवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए.'
वहीं, झाबुआ से कांग्रेस के पूर्व विधायक जेवियर मेधा ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा पत्थरबाजी की समस्या ने निपटने के लिए सरकार को 'गुलेल पत्थरबाज दस्ता' बनाना चाहिए. पुराने समय में किसान पक्षियों को उड़ाने के लिए गुलेल का इस्तेमाल किया करते थे. हाथ से पत्थर फेंके जाने की तुलना में गुलेल से 4-5 गुना ज्यादा तेज रफ्तार से पत्थर फेंके जा सकते हैं.