इधर पुलिस हिमांशु की कॉल डिटेल्स चेक करती हैं तो पुलिस को पता चलता है कि, हिमांशु ने लास्ट कॉल उसने पिता को किया था, और साथ ही पिता को कॉल करने से कुछ देर पहले उसके दोस्त रमन को भी कॉल किया गया था। इस पर पुलिस करण से हिमांशु कर दोस्त रमन के बारे मैं पूछताछ करती है, पर करण को कुछ भी पता नहीं होता है।
इधर पुलिस रमन को पूछताछ के लिए थाने बुलाती है तो रमन बताता है, कि उसके पास हिमांशु का फोन आया था और हिमांशु ने उससे कहा था कि में अब बदलना चाहता हूं, और आज से में कोई नशा नहीं करूंगा और फिर कभी नशे के लिए मुझे फोन मत करना इतना कहकर हिमांशु ने फोन काट दिया पर उसकी बातचीत से वो काफी निराश लग रहा था।
पुलिस ने रमन को छोड़ दिया और कुछ भी पता लगने पर सूचित करने को कहा l
वही दूसरी ओर करण और उसके पिता बब्बन की तलाश में सोसाइटी वालों से पूछताछ कर रहे थे परन्तु कोई भी जानकारी हाथ नहीं आ रही थी l
पुलिस ने करण से बंगले के बाहर पार्किंग पर लगे cctv के फुटेज के बारे मे पूछा, तो करण ने उन्हें बताया कि वो तो पिछले तीन महीनों से खराब है l जिसके बाद पुलिस ने आस पास के लोगों से पूछताछ की पर किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी।
जिससे पुलिस भी इस केस को लेकर उलझती ही जा रही थी, वही बब्बन का भी कोई पता नहीं चल रहा था। पुलिस ने बब्बन की फोटो अखबार में देकर गुमशुदगी का इश्तहार छाप दिया पर पूरे चार दिन बाद भी कोई सफलता हाथ न लगी l
करण के पिता ने करण से पूछा कि क्या उसका कोई दुश्मन था जो एसा कर सकता हो जिस पर करण ने साफ इंकार कर दिया l इधर अचानक ही पुलिस इंस्पेक्टर को एक बात याद आती हैं, कि जब वो बंगले पर गया था तो बंगले के गार्डन की घास गिली थी जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक हिमांशु की मौत पोस्टमार्टम करवाने के चार पांच दिन पहले होना बताया गया था मतलब हिमांशु की मौत के बाद भी शायद कोई सबूत मिटाने के लिये बंगले पर गया होगा पर वो गार्डन में पानी क्यों देगा.........l
कुछ दिनों तक पुलिस ने इस मसले पर बहुत मशक्कत की, पर जब कोई भी सुराग नहीं मिला और न ही बब्बन का कोई पता चला, तो पुलिस भी इस घटना को आत्महत्या मानने पर मजबूर हो गई l
वही दूसरी ओर करण और उसके पिता भी हिम्मत हार चुके थे और इस घटना को बुरा सपना समझ कर भूलना चाहते थे।
तभी अचानक कुछ एसी चीज़ पुलिस के हाथ लगी जिससे इस केस में एक नया मोड़ आ गया...........l
उलझने बढ़ती गई, पर हांसिल कुछ हुआ नहीं ।
कत्ल ग़र हुआ था, तो कातिल क्यूं मिला नहीं ।।
बैचेनी बढ़ती गई औऱ, समझ कुछ ना आया ।
आग ग़र लगी थी तो , उठा क्यूं धुआं नहीं ।।
एसा क्या लगा पुलिस के हाथ जिससे इस कहानी में एक नया मोड़ आ गया.................................l
इस घटना के तकरीबन एक माह बाद की बात है, कि पुलिस को न्यू दिल्ली स्टेशन के पास रेल्वे ट्रैक पर एक संदिग्ध लाश मिलने की सूचना प्राप्त होती हैं।
जिस पर पुलिस मौका ए वारदात पर पहुंच कर जब लाश का मुआयना करती हैं, तो लाश को देखकर हैरान हो जाती हैं क्योंकि लाश का चेहरा बहुत ही भयानक तरीके से जला हुआ था.....l
जिसके बाद पुलिस ने थाने में दर्ज किए गए गुमशुदगी के केस के सभी गुमशुदा व्यक्तियों का हुलिया लाश से मिलाया तो लाश का हुलिया कुछ कुछ बब्बन से मिल रहा था..........l फिर इस बात की सूचना देते हुए, शिनाख्ति के लिए पुलिस करण को बुलाती है, और अचानक से बब्बन की लाश मिलने की सूचना से हैरान करण भी तत्काल वहां पहुंच कर लाश के दाहिने पांव पर पुरानी चोट का निशान देखकर लाश बब्बन की ही होने की पुष्टि करता है।
फिर घटनास्थल का मुआयना कर पुलिस लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है, साथ ही हिमांशु का केस जिसे पुलिस आत्महत्या मान चुकी थी उसमे एक नया मोड़ आ जाता है l
इधर पुलिस को लगता है कि शायद हिमांशु की मौत होते बब्बन ने देख लिया होगा, इसलिए कातिल ने बब्बन को अगवा कर लिया होगा, जिससे कि पुलिस का शक बब्बन पर चला जाय और अब जब ये मामला ठंडा हो गया तो बब्बन का चेहरा जलाकर उसकी लाश को रेल्वे ट्रैक पर फेंक दिया गया जिससे कि इसकी शिनाख्त न हो पाए और लावारिस लाश की तरह ही बब्बन का चैप्टर क्लोज हो जाए l
पर असलियत क्या थी ये कोई नहीं जानता था.......
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आती हैं, तो पता लगता है कि बब्बन की मौत भी जहर खाने की वजह से ही हुई है और उसे कोई ड्रग्स भी दिया जाता था, साथ ही मरने से पहले उसे बुरी तरह से पीटा गया था। जिस कारण उसके घुटने में क्रैक भी था पर पीटने का कोई भी कारण पुलिस को समझ नहीं आ रहा था......l
पुलिस ने घटना स्थल का दुबारा से भी निरीक्षण किया
पर कोई भी सबूत नहीं मिला....l
इधर दूसरी ओर हिमांशु के पिता को जब सूचना मिलती हैं, कि बब्बन की लाश बरामद हुई है तो वो भी कुछ दिनों के लिए वापस दिल्ली आ जाते है, और पुलिस थाने में जाकर केस के बारे पूछताछ करते हैं, पर पुलिस के पास अभी तक उन्हें बताने जैसा कोई भी सबूत नहीं था, इसलिये वो जल्द ही कुछ करने की दिलासा देकर उन्हें लौटा देती है l
फिर पुलिस हिमांशु और बब्बन को दिए गए जहर के बारे मे रिसर्च करवाती है, तो पता चलता है कि दोनों जहर एक ही फार्मूला के थे जो कीटनाशक दवा के रुप मे शहर मे बिकता है।
उसके बाद पुलिस शहर में इस फार्मूला से तैयार किए गए जहर के सभी डीलर से पूछताछ करती हैं और हिमांशु की मौत के के एक दिन पहले और उसी दिन इसे खरीदने वाले लोगों की जानकारियां निकालने में जुट जाती हैं l
यूं ही नहीं हुआ ये सब ।
जरूर कोई बात थी ।।
शायद ये तह था या ।
बस एक शुरुआत थी ।।