सर हमने ही करण को किडनैप किया था.........
हमने ही हिमांशु को ज़हर दे कर मारा था.......और बब्बन को भी हमने ही मारा है.........अब हमे मत मारो सर हम सब बताते है......दोनों गिड़गिड़ाते हुए विनय से कहने लगे....l
दरअसल हमे इन दोनों भाइयों को मारने के लिए एक दो करोड़ रुपये की सुपारी दी गई थी........और फिर
इस वारदात को अंजाम देने के लिये हमने करण का पीछा करना शुरू किया ताकि हम अपने प्लान को सक्सेस करने के लिए उसकी दिनचर्या से अच्छी तरह परिचित हो सके...l
कई दिनों तक करण को फालो करने के बाद एक दिन हमने देखा कि करण एक नर्सरी में गया और अपने बंगले के बगीचे के लिए नई किस्म के पौधे मंगवाने के लिए कह रहा था जिस पर नर्सरी के मालिक ने उसे एक हफ्ते का समय दिया और कहा कि एक हफ्ते बाद आप पौधे ले जा सकते है.........l
और इसके बाद करण किसी काम से बेंगलुरु चला गया........... हमे ये सही समय लगा हिमांशु को मारने का.... इसलिये जैसे ही करण निकला उसके कुछ देर बाद हम बंगले पर पहुंच गए और नर्सरी से आने का बोलकर हिमांशु से मिले जिस पर हिमांशु ने हमसे पूछा कि तुम्हें किसने बुलाया तो हमने करण का नाम बताया फिर हिमांशु ने करण को फोन किया ।
भैया नर्सरी से दो लोग आए है कोई पौधे का कह रहे हैं कि जो एक हफ्ते बाद आने वाले थे उन्हें पास की नर्सरी से अभी ही ले आए है और लगाने का कह रहे है........... हिमांशु ने करण को बताया।
फिर कुछ देर बात करने के बाद हिमांशु ने फोन काट कर हमसे कहा कि, ठीक है आप लोग अभी ही ये पौधे लगा सकते हो,और हमसे पूछने लगा कि कितना वक़्त लगेगा इन पौधों को लगाने में जिस पर हमने उससे कहा कि तीन चार घंटे में हो जायगा और हमने हिमांशु को एक कीटनाशक दवा का नाम बताकर इसे मंगवाने को कहा जिस पर हिमांशु ने उस दवा का नाम एक पर्ची में लिख कर बब्बन को भेजकर वो दवा लाने के लिये भेज दिया और फिर जब तक बब्बन दवा लेकर लौटे उसे हमने बातों में उलझाए रखा की तुम्हें एक हफ्ते तक इन पौधों की खास देखभाल करनी होगी यदि ये सूखने लगे तो हमे सूचना कर देना..........l
फिर हिमांशु ने उसके पिता को फोन कर के कहा कि में एक हफ्ते बाद फिरोजाबाद आऊंगा अभी मुझे भैया ने किसी काम से रोक लिया है.........l
इतने में बब्बन दवा लेकर आ गया और हिमांशु ने उसे चाय बनाने के लिये भेज दिया.....l
फिर बब्बन जब चाय लेकर आया तो हमने उसे पौधे लगाने के लिये पूरे बगीचे में पानी भरने के लिए भेज दिया......और उसे भेजने के बाद हमने हिमांशु को कीटनाशक घोलने के लिए एक बाल्टी मंगवाने के बहाने भेजकर उसकी चाय में वो कीटनाशक का ज़हर मिला दिया फिर जब वो वापस आया तो उसने वो चाय पी ली जिसके दस मिनट बाद वो मर गया......l
इसके बाद हमने उसकी लाश को वहीं छोड़ कर सभी चीजें ज्यों की त्यों रख दी ताकि किसी को भी हमारे आने का कोई सबूत न मिले और वो तीनों कप भी बाहर आकर बब्बन को दे दिए और वो उन्हें धोकर किचन में रख कर बाहर आ गया.........l
अब हिमांशु की मौत का इल्ज़ाम बब्बन के ऊपर लग जाये इसलिए हम बब्बन को अगवा कर के ले गए पर हम उसे जान से नहीं मारना चाहते थे इसलिए उसे एक एसा ड्रग्स देने लगे जिससे वो पागल हो जाये ताकि हम उसे किसी अनजान शहर मे छोड़ दे जिसके बाद जब वो ड्रग्स उसे न मिले तो वो खुद ही मर जायगा.....l
और किसी पागल आदमी के मरने पर कोई ध्यान नहीं देगा और बब्बन का किस्सा भी खत्म हो जायगा...l
इसलिए हम कई दिनों तक लगातार उसे वो ड्रग्स इंजेक्शन के जरिए देते थे जिसे बब्बन सहज ही नहीं लेता था इसलिये हम उसे मार पीट कर जबरदस्ती ये इंजेक्शन देते थे फिर अचानक एक दिन हमने देखा कि बब्बन मर गया है और उसके पास फर्श पर वही कीटनाशक दवा थी जो हम हिमांशु को देने के बाद अपने साथ ले आए थे ताकि बंगले पर कोई सुराग न रह जाये.........l
हम समझ गए कि बब्बन ने आत्महत्या की....फिर हमने इसे लावारिस लाश घोषित करने के लिए इसका चेहरा जलाकर इसे रेल्वे ट्रैक पर फेंक दिया पर जिसे हमने ये काम दिया था उसने पटरी पर फेंकने के बजाय लाश को ट्रैक के पास फेंक दिया और ट्रैन से न कट पाने की वजह से बब्बन की शिनाख्त हो गई........l
इसके बाद हमने करण को मारने के लिए दोबारा उसे फालो करना शुरू किया और उस दिन जब वो अकेला पार्क के पास दिखा तो हम उसे अगवा कर के उसका फोन लखनउ जाने वाले एक ट्रक में फेंक दिया और उसे साकेत कॉलोनी के एक मकान में ले गए जिसके बाद हम उसे मारने की प्लानिंग कर ही रहे थे कि उसने हमे उसे न मारने के लिए 50 करोड़ रुपए देने को कहा और हमारे मन में लालच आ गया और फिर रोहित के जरिए विनय अपनी प्रॉपर्टी बेचकर हमे पैसे देने के लिए राजी हो गया पर इतने में आपने उस वकील को उठाकर पूछताछ की तो सारा रहस्य खुल गया इसलिए हमने रोहित को मारने की कोशिश भी की क्योंकि एक अकेला रोहित ही एसा व्यक्ति था जो हमे जानता था......इसलिये उसे मारना भी जरूरी था.......l
पर न जाने कैसे वो हमारे हाथ से बच निकला और एन मौके पर आप ने आकर उसे बचा लिया जिसके बाद हम करण को मारकर वहां से निकलना चाह रहे थे पर जल्दबाजी में कोई तरीका नहीं सूझ रहा था इसलिये हम उसे लेकर ही साकेत कॉलोनी के उस मकान से निकल गए इतने में सारे शहर मे नाकाबंदी हो जाने से हम उसे मारने के लिए एक सुनसान जगह पर ले गये
और वहां भी पुलिस पहुंच गई और हमे गिरफ्तार कर लिया...........l
मर्डर करोगे........सुपारी लोगे.........ये जानते हुए भी कि इस केस को में हैंडल कर रहा हूं तुम्हें बिलकुल भी डर नहीं लगा ये सब करने से पहले ....इतना कहकर
विनय उन्हें घसीटते हुए हवालात से बाहर ले आया और उन पर लात घूसो से अंधाधुन प्रहार करने लगा जिससे पूरा स्टाफ विनय को रोकता है और उसे समझाता है कि मत मारिये इन्हें नहीं तो ये मर जायेंगे...l
मार ही डालूंगा इन्हें मैं.......इनकी हिम्मत कैसे हुई...नहीं छोड़ूंगा इन्हें........कहते हुए विनय फिर उन्हें पीटने लगा.....l
फिर जब विनय का क्रोध शांत होता है तो वो उन दोनों से पूछता है कि तुम्हें सुपारी देने वाला आदमी कौन हैं.......l
फिर वो दोनों विनय को बताते है कि उन्होंने फिरोजाबाद के एक मशहूर बाहुबली संग्राम सिंह के कहने पर ये सब किया................l
मिट गए अंधेरे सारे, हकीकत-ए-प्रकाश से l
पूरी हुई आश उनकी,जो थे कभी हताश से ll
शातिर तो वो था बेशक, पर सामने विनय था l
खत्म हुआ कौतूहल भी, एक मुश्किल तलाश से ll