ये सब बातें चल ही रही होती हैं, कि विनय अचानक ही करण के पिता को फोन करता है, औऱ उनसे करण की कार के बारे में पूछताछ करता है, फिर करण के पिता विनय को बताते है, कि जब में दिल्ली आया तो कार बंगले पर ही थी और बंगला भी लॉक था, मेरे पास बंगले की दूसरी चाबी थी जिससे गेट खोलकर में बंगले के अंदर गया था...l
विनय को एसा प्रतीत हो रहा था, कि करण को किसी ने किसी बहाने से फोन कर के बाहर बुलाया होगा, और फिर करण बंगले को लॉक करके पैदल ही चला गया होगा, जहां से उसे किडनैप किया गया होगा.....l
और फिर विनय इंस्पेक्टर को करण की कॉल डिटेल्स निकलवाने के लिए बोलता है, जिससे उसे पता लगता है कि लास्ट कॉल करण ने उसी के स्टाफ के एक शख्स रोहित मेहरा को किया था, और उससे करीब चालीस मिनट पहले रोहित मेहरा ने करण को फोन किया था............l
फिर विनय रोहित मेहरा को पूछताछ के लिए थाने में बुलाता है, जिस पर रोहित मेहरा थाने पहुंच कर विनय से मिलता है, फिर विनय उससे करण को फोन करने का कारण पूछता है। जिस पर रोहित विनय को बताता है, कि करण उस दिन ऑफिस में कुछ उदास उदास सा था, और मैंने जब उससे इसका कारण पूछा तो उसने कहा कि हम खाने के बाद रात में कुछ देर तक पार्क में बैठ कर चर्चा करेंगे..........l
इसलिए मैंने करण को फोन पर किया तो करण ने कहा कि उसे फ्री होने में आधे घंटे और लगेंगे और वो घर से निकलते ही मुझे फोन लगा देगा....l
फिर करीब आधे घंटे बाद करण का फोन आया और में उससे मिलने गया, तो वो तो पार्क में दिखा ही नहीं मैंने काफी देर तक इंतजार भी किया पर जब वो नहीं आया, तो में वापस घर लौट गया..........l
इधर रोहित की बात सुनकर विनय रोहित को कुछ देर के लिए बाहर बैठने का बोल कर हवलदार को चोरी छुपे उसके हावभाव पर निगरानी रखने का बोलता है कि क्या वह डरा हुआ सा या कुछ परेशान सा लग रहा है या समान्य ही है..............l
और फिर विनय इंस्पेक्टर से बात करते हुए पूछता है, कि क्या रोहित पर यकीन किया जा सकता है या वो झूठ कह रहा है.....l
क्या उसके साथ सख्ती से पूछताछ करना उचित होगा या नहीं..............l
जिस पर इंस्पेक्टर विनय से कहता है, कि मुझे उसकी बातों पर यकीन नहीं हो रहा ये सुनते ही विनय हवलदार को अंदर बुलाकर, उसे रोहित के हावभाव के बारे में पूछता है जिस पर हवलदार विनय को बताता है, कि वो कुछ घबराया हुआ सा दिख रहा था.......l
फिर विनय ने एसा कदम उठाया जो सही था या गलत पता नहीं.........................l
सच और झूठ में, जब फर्क़ वो ना कर सका।
क्रोध के आगोश मे, कुछ इस कदर दहल गया।।
पार करदी हदें सारी, जब वो बेरहम बना और।
कौतूहल खत्म करने को कर वो,कोलाहल गया।।
विनय ने रोहित को वापस अंदर बुलाया, और सच कहने के लिये कहा, जिस पर रोहित ने कहा कि वो सच कह रहा है। उसने सिर्फ पार्क में बुलाने के लिए ही करण को फोन किया था और कोई भी बात नहीं थी..l
इंस्पेक्टर ने रोहित को पीटना शुरू कर दिया, और सब कुछ सही सही बताने को बोला पर रोहित भी अपनी बातों पर अडिग था..............l
काफी देर तक पीटने पर भी, जब रोहित अपनी बात पर अटल रहा तो विनय ने उससे पूछा कि यदि तुम करण से मिलने पार्क गए, और तुम्हे करण वहां नहीं मिला, तो तुमने उसे दोबारा फोन क्यूं नहीं किया......l
विनय की बातें सुनकर रोहित ने डरे हुए शब्दों मे कहा, कि मैं अपना मोबाइल घर पर ही भूल गया था, इसलिये वही बैठकर करण का इंतजार करता रहा और फिर जब काफी देर तक वो नहीं आया तो फिर में अपने घर लौट गया.....l
विनय ने उससे पूछा कि तुमने घर जाकर करण को दोबारा फोन क्यों नहीं किया, जिस पर रोहित ने कहा, कि उसने करण को फोन किया था पर उसका फोन स्विच ऑफ बता रहा था...l
फिर बहुत पूछताछ के बाद भी, जब विनय को कोई जवाब न मिला तो अंततः उसने रोहित को जाने दिया पर इंस्पेक्टर को उस पर नजर रखने के लिये कह दिया......l
पर न जाने क्यों विनय को रोहित की बातों पर यकीन ही नहीं हो रहा था, और इसलिए अगले ही दिन वो अपने एक कांस्टेबल को गुप्त रूप से रोहित के ऑफिस के बाहर तैनात कर देता है, और उसे रोहित की निगरानी कर उसकी हर गतिविधियों पर नजर रखने को कहता है.....l
वही दो दिन बीत जाने के बाद भी जब विनय को करण के बारे में कोई सूचना नहीं मिलती, तो वो इंस्पेक्टर से कह कर स्टाफ के कुछ लोगों को पूछताछ के लिए थाने पर बुलाता है, और उनसे रोहित के बारे में पूछता है...l
जिस पर स्टाफ के लोग विनय को बताते है, कि जब से करण लापता हुआ है, तब से ही रोहित का मिजाज कुछ बदला बदला सा लग रहा है, और मज़दूरों भी अकारण ही डांटा करता है........l
इन्हीं सब बातों से विनय सोच मैं पड़ जाता है, कि अचानक उसे उस कांस्टेबल का फोन आता है जिसे उसने रोहित की निगरानी में लगाया था......l
कांस्टेबल विनय को बताता है कि कुछ देर पहले ऑफिस के बाहर रोहित एक वकील से मिला था, और करीब दस मिनट तक बातचीत करने के बाद वो फिर से ऑफिस में चला गया.......l
जिस पर विनय ने कांस्टेबल से उस वकील के बारे में पूछा तो कांस्टेबल ने बताया, कि वो उसे जानता तो नहीं पर वो आदमी वकील के लिबास में था, और उसके चेहरे से वो उसे पहचान सकता है.......l
इतना सुनते ही विनय उस कांस्टेबल के पास जाने के लिए निकल पड़ा, और वहां पहुंच कर उसे अपने साथ गाड़ी में बिठाकर कोर्ट में पहुंच गया, जहां पर कांस्टेबल ने उस वकील को देखकर उसे पहचान लिया.......l