विनय ने देखा कि उस सुनसान इलाके में किसी इंसान को घसीट के ले जाने के निशान थे, जो कि ट्रैक के आसपास की मिट्टी के दरदरी और बालू समान होने के कारण दिखाई दे रहे थे, पर कुछ दिन पुराने हो जाने से स्पष्ट नहीं दिख रहे थे।
विनय ने जब इस बात पर गौर किया तो उसने ये भी देखा कि वहां पर केवल एक ही व्यक्ति के पैरों के निशान दिखाई दे रहे जो घसीटने के निशान के साथ साथ ही दिख रहे थे l कुछ दूर तक तो निशान दिखे पर फिर आगे घास होने के करण कोई निशान नहीं दिखाई दिया l
फिर आसपास कुछ दूर तक तलाश करने पर कुछ पतले से टायर के जैसे निशान दिखे जैसे कि ये किसी साइकिल के टायर हो पर विनय ने सोचा कि हो सकता है शायद कोई साइकिल वाला यहां से गुजरा होगा, और इस बात को नजरअंदाज कर देता है l
और फिर विनय सिपाहियों के साथ लौट जाता है और सीधे करण के बंगले पर जाता है जहां करण के पिता जिसे विनय अपना गुरु मानता है कुछ देर तक बैठ कर विनय से बातें करते हैं फिर दोनों लोग साथ बैठकर खाना खाते हैं और विनय वहां से निकल जाता है l
तभी अचानक रात को इंस्पेक्टर का फोन आता है, कि
चौराहे पर लगे सीसीटीवी की शाम पांच बजे से अगले दिन लाश के बारे में सूचना मिलने तक के समय, कि फुटेज चेक करने पर उस रास्ते पर केवल चार फोर व्हीलर गई, जो कि उसी सडक के किनारे बने हुए घरों के निवासियों की थी और इसके अलावा कोई भी संदिग्ध कार या वाहन नहीं दिखाई दिया l
जिस पर कुछ देर तक सोच विचार करने के बाद विनय को अचानक से साइकिल के टायर के निशान याद आये और फिर वो पूरा माजरा समझ गया...........l
कातिल जो भी है वो इतना शातिर है कि उसने सड़क के बजाय साइकिल पर बाँधकर लाश को ट्रैक तक पहुँचाया था फिर अगले ही दिन वो सुबह साइकिल से वहां पर जाता है और एसे रास्ते की तलाश करता है जिससे साइकिल आसानी से निकल सके।
और उसे पगडंडी के जैसा एक रास्ता दिखाई देता है जो उस चौराहे के थोड़ा पहले ही सड़क पर मिल जाता है l
विनय को भी ये समझने में देर न लगी कि ये दो व्यक्तियों का काम है जिनमे से एक ने लाश को बाँधकर गाड़ी से पगडंडी तक पहुँचाया, और दूसरे ने लाश को ट्रैक तक पहुंचाकर उसे खोल दिया l
फिर विनय ने इंस्पेक्टर को उन सभी गाड़ियों की डिटेल्स निकलवाने के निर्देश दिए जो इस चौराहे से तो निकली, पर उस चौराहे तक नहीं पहुची जिसकी फुटेज पहले चेक की थी क्योंकि पगडंडी वाला रास्ता इन्हीं दो चौराहे के बीच में थाl और यहां से विनय को बहुत बड़ी कामयाबी मिलती है, फुटेज से उसे पता चल जाता है, कि रेड कलर की एक वेन जो एक चौराहे से निकल कर दूसरे तक नहीं पहुंची, जबकि इन दोनों चौराहों के बीच में फोर व्हीलर ले जाने लायक एसा कोई भी रास्ता नहीं था, जहां से ये निकल सके और न ही कोई
पार्किंग ।
फिर कुछ देर बाद यही वेन वापस जाते हुऐ भी दिखी, और उसके कुछ ही देर बाद फुटेज में एक व्यक्ति साइकिल से जाता हुआ भी दिखाई दिया, पर चेहरा स्पष्ट नहीं दिखाई दे रहा था पर वेन के नंबर से विनय ने जब वेन के मालिक के बारे में जानकारी निकाली, तो पता लगा कि ये तो वही वेन है जिसकी चोरी की रिपोर्ट बब्बन के लाश की सूचना मिलने के एक दिन पहले ही थाने में दर्ज की गई थी l
न जाने कौन है वो शख्स।
जो अब तक गुमनाम है।।
क्या विनय की जीत हुई या।
ये उसके भ्रम का कोई मुकाम है।।
क्या वाकई में विनय कातिल के करीब है या ये सिर्फ उसका कोई भ्रम है........................................l