अब जहाँ एक ओर विनय उस ड्रग्स के बारे में सोचकर परेशान था, तो वही दूसरी ओर करण के पिता विनय को फोन पर करण के लापता होने की सूचना देते हैं....।
जिसे सुनकर विनय के होश उड़ गये, और फिर वो इसे विस्तारपूर्वक जानने के लिये करण के पिता को थाने पर बुलाता है, जिस पर करण के पिता थाने पहुंच कर विनय को बताते है, कि कुछ दिन पहले में जरूरी काम से फिरोजाबाद लौट गया था, जिसके बाद से करण का फोन भी नहीं लग रहा था...... इसलिये में उससे मिलने दिल्ली आया पर वो बंगले पर भी नहीं मिला.... और उसके ऑफिस में पूछताछ की तो वहां के वर्कर्स ने बताया, कि वो तो कई दिनों से ऑफिस नहीं आए है...... और इतना कहकर करण के पिता जोर ज़ोर से रोने लगते है..........l
फिर विनय उन्हें सांत्वना देते हुए वापस भेज देता है, और अपनी पूरी टीम को करण की तलाश में लगा देता है.........l
अब तो ये गुत्थी इतनी उलझ गई, कि विनय भी एक पल के लिए हताश होकर खुद को कोसने लगता है, कि में क्यों कुछ नहीं कर पा रहा हूं......l
अखिर ये सब हो क्या रहा हैं............l
फिर काफी देर तक सोच विचार करने के बाद, विनय को यह प्रतीत होता है, कि हो न हो ये किसी आपसी दुश्मनी का ही संकेत है, कि एक के बाद एक उस परिवार के सदस्य इस तरह लापता हो रहे हैं, और उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है......l
अब एक और जहाँ करण के बारे में सोच सोच कर उसके पिता का बुरा हाल हो रहा था, तो वहीं दूसरी ओर विनय ने भी करण को बचाने के लिये उसे ढूंढने में पूरी फोर्स लगा दी, और दिल्ली के चप्पे चप्पे पर पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया, सिक्युरिटी इतनी टाइट कर दी कि कातिल तो क्या कोई परिंदा भी उससे बचकर नहीं निकल सकता.....l
शहर के हर सुनसान इलाके में पुलिस फोर्स भेजकर तलाशी चालू कर दी, यहां तक कि किसी भी संदिग्ध को देखते ही उठा लेने का आदेश कर दिया.....l
विनय इस केस में इतना उलझ गया मानो ये उसका कोई व्यक्तिगत मामला हो, या बात उसकी शान पर आ गई हो कि बड़े बड़े केस चुटकियों में सुलझाने वाले विनय से आज एक मामूली सा मर्डर केस साल्व नहीं हो पा रहा........l
इस केस में उलझ कर विनय खुद को पूरी तरह से भूल चुका था, उसकी रातों की नींद उड़ गई थी हर वक़्त वायरलेस पर सूचना लेता रहता था, पर कोई भी जानकारी हाथ नहीं आ रही थी....l
निराश हो गया जब, हर बाजी हारकर।
शर्म से हर बार, अपनी आंखें चार कर।।
कोशिशें उसकी सारी, नाकाम जब हुईं।
फिर उठ खड़ा हुआ, वो दहाड़ मार कर।।
क्रोध से हो गई उसकी, आंखें भी सुर्ख लाल।
शायद आने वाला हो, जैसे एक नया भूचाल।।
तलाश जिसकी हो रही है जोर शोर से, जाने।
कैसा होगा अब उस, कातिल के दिल का हाल।।
एक और जहाँ विनय ने पूरी पुलिस फोर्स करण की तलाश में लगा दी, तो वही दूसरी ओर ये केस राजनीतिक तूल पकड़ने लगा और दिल्ली पुलिस पर सवालिया निशान खड़े होने लगे......l
इधर विनय इन फिजूल की बातों पर गौर न करते हुए, इंस्पेक्टर को करण का मोबाइल ट्रैस करने के लिए बोलता है जिस पर इंस्पेक्टर द्वारा विनय को बताया गया, कि करण के मोबाइल की लास्ट लोकेशन लखनऊ हाईवे के पास दिखाई दी उसके बाद से कोई मूवमेंट नहीं है ...........l
जिसे सुनकर विनय सोच में पड़ जाता है कि करण का मोबाइल लखनऊ हाई-वे पर कैसे........l
क्या किडनैपर करण को लेकर लखनऊ गया होगा...l
या करण की किडनैपिंग ही लखनउ हाईवे के पास से हुई है......l
फिर विनय करण के ऑफिस जाकर पूछताछ करता है, कि क्या करण ने किडनैपिंग के पहले कभी लखनऊ जाने का कोई जिक्र किया था, या ऑटो पार्ट्स की लखनऊ में कोई डील पिछले कुछ दिनों में हुई है..l
जिस पर स्टाफ द्वारा विनय को बताया गया, कि लखनउ से तो पिछले दो महीनों से कोई भी डील नहीं हुई, और न ही करण ने कभी इस बात का जिक्र किया था, कि उसे लखनउ जाना हैं........l
फिर विनय स्टाफ से लखनउ के उन सभी डीलर की जानकारी मांगता है, जिन्हें यहां से ऑटो पार्ट्स सप्लाय किए जाते हैं, और स्टाफ के द्वारा विनय को सूची दे दी जाती हैं, जिसमें लखनउ के उन सभी डीलर की इन्फॉर्मेशन होती है जो करण की कंपनी से ऑटो पार्ट्स लेते थे......l
फिर विनय एक एक को फोन करके करण के आने के बारे में पूछताछ करता है, पर सभी इंकार कर देते है जिससे विनय को इस बात की पुष्टि हो जाती हैं कि करण लखनउ नहीं गया था, उसे वहां ले जाया गया है या फिर उसके मोबाइल को वहां तक ले जाकर डिस्पोज कर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया गया है............................................l
अभी भी ये बात स्पष्ट नहीं थी कि करण को दिल्ली में ही रखा गया है या लखनउ में.........l