विनय रुको..... तुम कहां जा रहे हो..........मेरी बात तो सुनो..........तुम उसे एसे नहीं गिरफ्तार कर सकते तुम्हें वहां की लोकल पुलिस के साथ की जरूरत पड़ेगी......वो एक बाहुबली है.....चिल्लाते हुए करण के पिता ने विनय को रोकने की एक नाकाम कोशिश की।
विनय अपनी गाड़ी लेकर सीधा थाने पहुंचता है और थाने से इंस्पेक्टर को कहकर दस सिपाहियों की एक हथियारबंद टुकड़ी तैयार करवाता है।
48 घंटे पूरे होने में अब मात्र 30 घंटे ही और बचे थे इसलिए विनय पूरी कोशिश कर रहा था कि 30 घंटे के अंदर संग्राम सिंह अरेस्ट हो जाए....l
जिसके बाद 2 गाड़ियां, पुलिस फोर्स के 10 हथियार बंद जवानों के साथ इंस्पेक्टर और विनय सभी फिरोजाबाद निकलने के लिए तैयार हो गए.....l
इधर करण के पिता विनय के बारे में सोच कर परेशान हो रहे थे इसलिए उन्होंने विनय की मदद के लिए फिरोजाबाद में अपने मित्र डी.एस.पी. रामजी शिंदे को फोन किया..
हैलो राम......
जी सर बोलिए.......कैसे याद किया मुझे.......
मेरी बात ध्यान से सुनो.... मैंने तुम्हें बताया था न कि मेरे छोटे पुत्र का कत्ल हो गया है और उसकी जांच विनय के हाथ में है.........
जी सर...........
उसका कातिल बाहुबली संग्राम सिंह है......जिसने मुझसे 20 वर्ष पुराने एन काउन्टर का बदला लेने के लिए ही ये कत्ल किया है.....और विनय उसे गिरफ्तार करने के लिए निकल चुका है.......उसके सर पर खून सवार है..... वो संग्राम सिंह के बारे में कुछ भी नहीं जानता......कहीं विनय के साथ कुछ गलत न हो जाए....इसलिये.....l
जी सर......मैं सब समझ गया......आप निश्चिंत रहें.....विनय को कुछ नहीं होगा......में अभी फोर्स तैयार करता हूं इतना कहकर रामजी शिंदे ने फोन काट दिया।
विनय भी अपनी फोर्स के साथ संग्राम सिंह की हवेली तक पहुंचने ही वाला था कि रास्ते मे उसे रामजी शिंदे ने रोक कर करण के पिता से फोन पर हुई बातचीत के बारे में बताया.....l
धन्यवाद सर जो आप मेरी मदद के लिए अपनी फोर्स के साथ यहां पर आए...विनय बड़े ही आदर के साथ रामजी शिंदे को कहता है l
फिर विनय और रामजी दोनों हवेली पर पहुंचते है तो वहां का नज़ारा देखकर एक पल के लिए घबरा ही जाते है.......l
इस हवेली के अंदर जो कोई भी मुझसे टकराने आता है वो जिंदा वापस नहीं जाता ........एक जोरदार आवाज में संग्राम सिंह अपनी हवेली के पोर्च पर खड़े होकर हवेली के मुख्य द्वार के बाहर खड़े विनय और रामजी से बोलता हैं।
इतना सुनते ही विनय एक जोरदार लात मुख्य द्वार के पहरेदार को मारकर दूसरे पहरेदार के कनपटी पर पिस्टल रखकर गेट खुलवा लेता है फिर पूरी पुलिस फोर्स हवेली के अंदर घुस जाती हैं......l
और फिर लाठीचार्ज के जरिए विनय भीड़ को तितर बितर कर देता है पर भीड़ के कुछ लोग जो आक्रामक होकर पुलिस पर फायर कर रहे थे विनय ने उन्हें शूट करने के ऑर्डर दे दिए अब तो पुलिस की गोलियों की गूंज से पूरी हवेली खाली हो चुकी थी और फिर विनय हवेली के अंदर घुसकर घसीटते हुए संग्राम सिंह को बाहर लाता है......l
तुम ठीक नहीं कर रहे हो ...........इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी होगी तुम्हें...........संग्राम सिंह जोर से चिल्लाते हुए विनय से कहता है l
फिर विनय उसे गाड़ी में भरकर दिल्ली के लिए निकल जाता है......l
और फिर रास्ते में एक सुनसान जगह पर उसे उतारकर विनय अपनी पिस्टल लोड करता है l
ये तुम क्या कर रहे हो........मुझे मत मारो...........में अपने गुनाह कबूल कर लूँगा.........मुझे मत मारो प्लीज....... इसी बीच गोली की आवाज आती है ठाए....ठाए.....दोनों गोली संग्राम सिंह की छाती को चीरती हुई निकल जाती हैं.......l
संग्राम सिंह की लाश लेकर विनय दिल्ली पहुंच जाता है और कमिश्नर साहब को केस खत्म हो जाने की सूचना के साथ कातिल संग्राम सिंह के एन काउन्टर के बारे में भी बता देता है......l
मुझे पता था कि तुम कुछ न कुछ छीछालेदर जरूर ही करोगे खैर..........जो हुआ सो हुआ अब तुम वापस जा सकते हो......इस मामले को में आत्मरक्षा में होने वाला एन काउन्टर बताकर निपटा ही दूँगा................
कमिश्नर साहब हंसते हुए विनय से कहते हैं।
थैंक्स सर........और उस दिन मैंने आपको गलत समझा था...उसके लिए में बहुत शर्मिन्दा हूं....हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजियेगा....एसा कहते हुए विनय निकल जाता है।
***# कौतूहल एक मुश्किल तलाश समाप्त #***