नई दिल्लीः भाजपा से राज्यसभा सांसदी छोड़ने के बाद तमाम अटकलों को विराम देते हुए आखिरकार भाजपा नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने आवाज-ए-पंजाब नाम से चौथा मोर्चा खड़ा कर लिया है। यह मोर्चा केजरीवाल से डील टूटने और भाजपा की नाराजगी की बुनियाद पर खड़ा हुआ है। जिस प्रकार से सिद्धू के करीबी पंजाब में 41 सीटें पर जीत के दावे कर रहे हैं, उससे केजरीवाल के साथ डील को लेकर फंसा पेच सार्वजनिक हो गया है। कहा जा रहा है जब केजरीवाल से सिद्धू की बातचीत हुई थी तो उन्होंने दो शर्तें रखीं थीं। या तो उन्हें सीएम दावेदार बनाया जाए या फिर अमृतसर के आसपास उनके प्रभाव वाली कुल 41 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का अनुमति मिले। मगर, केजरीवाल तैयार नहीं हुए। जिसके चलते भाजपा और आप के बीच झूल रहे नवजोत सिंह सिद्धू को अकाली दल से निष्कासित पूर्व ओलंपियन परगट सिंह और बैंस ब्रदर्स के सहारे चौथा मोर्चा खड़ा करना पड़ा। अब जब उन्हीं 41 सीटों पर चौथे मोर्चे के मजबूत होने की बात कही जा रही तो डीलिंग में यह मुद्दा शामिल होने के दावे को बल मिल रहा।
केजरीवाल ने ट्वीट कर सिद्धू का भाजपा में रहना कर दिया था मुश्किल
बीते दिनों केजरीवाल ने बहुत चालाकी से एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने सिद्धू से अपनी मुलाकात की पोल खोली। कहा कि उनके बीच बातचीत हुई है। सिद्धू ने विचार करने का मौका लिया है। हालांकि उन्होंने कोई शर्त नहीं रखी है। कहा जाता है कि यह ट्वीट केजरीवाल ने सिद्धू से डील टूटने की खीझ में किया था। वे चाहते थे कि सिद्धू अगर 'आप' के नहीं हुए तो भाजपा के भी न रहें। इसलिए उन्होंने अपने साथ हुई गोपनीय मीटिंग को चालाकी से राजनीति क भाषा व अंदाज में ट्वीट कर उजागर कर दिया। मकसद था कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। इस ट्वीट के बाद से पर्दे के पीछे सिद्धू जो गुल खिला रहे थे वह बात आम हो गई। केजरीवाल के ट्वीट के बाद सिद्धू को लगा कि अब भाजपा में रहना उनके लिए सम्मानजनक नहीं रहा। यही वजह रही कि उन्होंने उस पार्टी को छोड़कर नया मोर्चा बनाने का फैसला कर ही लिया, जिस पार्टी की बदौलत वे दस साल अमृतसर से सांसद रहे।
पंजाब के खिलाफ काम करने वालों की खिलाफ करेगा मोर्चा
सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का कहना है कि परगट सिंह और बैंस ब्रदर्स के साथ मोर्चा बन गया है। यह पंजाब के खिलाफ काम करने वालों के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करेगा। मोर्चे की आधिकारिक घोषणा आठ सितंबर को होगी।
देखिए नए मोर्चा का कहां है प्रभाव
नवजोत सिंह सिद्धू का अमृतसर में काफी दबदबा है। यहां से दस साल सांसद रहे। इसमें दस विधानसभा सीटें आती हैं। यही नहीं सिद्धू पटियाला के रहने वाले हैं, इस नाते गृहक्षेत्र में भी प्रभाव है। चौथे मोर्चा के दूसरे नेता व पूर्व ओलंपिक परगट सिंह जालंधर ईस्ट से विधायक हैं। परगट अकाली दस से निष्कासित चल रहे। वहीं तीसरे और चौथे नंबर के नेता बैंस ब्रदर्स यानी सिमरजीत सिंह बैंस लुधियाना की आत्मनगर सीट तो बलविंदर सिंह लुधियाना साउथ से निर्दलीय विधयाक हैं। इन चारों नेताओं के गृहक्षेत्र और चुनावी क्षेत्र को मिलाकर देखा जाए तो करीब 41 सीटें प्रभाव में आती हैं।
इतनी सीटों पर होगा चौथे मोर्चा का प्रभाव
जिला विधानसभा सीटें
अमृतसर 10
पटियाला 8
जालंधर 9
लुधियाना 14