नई दिल्लीः हॉस्पिटल में वैकेंसी नहीं थी फिर भी CV भेजने के चार दिन में सरकारी डॉक्टर बन जाना। वो भी डायरेक्टर की ओर से अप्वाइंमेंट लेटर घर भेज देना। फिर दिल्ली सरकार के तमाम काबिल अफसरों को दरकिनार कर स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी बन जाना। दोनों नियुक्तियों में न कोई विज्ञापन निकला न ही किसी औपचारिकता की पूर्ति हुई। किस्सा यहीं नहीं खत्म होता। यह शख्स देश के सबसे महंगे मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में सिर्फ पांच दिन पढ़ाई करने भेजा जाता है, जिस पर खर्च बैठता है पूरे 1.15 लाख का। यह पैसा खर्च हुआ आम आदमी की जेब का। आखिर में विदेशी सैर-सपाटे का भी उठाया लुत्फ। इतना सब कुछ सुनकर आपको इस शख्स की ताकत का अंदाजा तो लग ही गया होगा। यह कहानी है आम आदमी पार्टी के राबर्ट वाड्रा की। राबर्ट वाड्रा का तमगा इसलिए कि जिस तरह से कांग्रेस हुकूमत में सोनिया के दामाद राबर्ट वाड्रा पर सरकार की कृपा बरसती है, वही कृपा अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में केजरीवाल की भाभी के दामाद डॉ. निकुंज अग्रवाल पर बरस रही है। डॉ. अग्रवाल ने जो चाहा, जहां चाहा, हर पद हथिया लिया। आम आदमी पार्टी की सरकार में एक साल से मलाई काटने का कोई मौका नहीं गंवाया।
हाथ से खत लिखते ही पहुंच गया नियुक्ति पत्र
इंडिया संवाद के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि केजरीवाल के रिश्ते के दामाद डॉ. निकुंज अग्रवाल ने छह अगस्त 2015 को दिल्ली सरकार के अधीन चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय(सीएनबीसी) के डायरेक्टर को हाथ से पत्र लिखा। खुद को डीएनबी आर्थोपेडिक सर्जन बताते हुए हास्पिटल में सीनियर रेजीडेंट पद पर काम करने की इच्छा जताई। कहा कि वह सीवी भेज रहे हैं, आवेदन पर विचार कर नियुक्ति देने की कृपा करें। खास बात रही कि अस्पताल में इस पद की कोई वैकेंसी नहीं रही। मगर अस्पताल के डायरेक्टर ने चार दिन बाद ही डॉ. निकुंज अग्रवाल के घर नियुक्ति पत्र भेज दिया। जिसके बाद डॉ. अग्रवाल बतौर सीनियर रेजीडेंट कांट्रैक्ट आधार पर चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय से जुड़ गए।
फोटो-डॉ. निकुंज अग्रवाल के इसी हाथ से लिखे लेटर पर मिली चाचा नेहरू चिकितसालय में नौकरीअस्पताल से बुलाकर सत्येंद्र जैन ने बना लिया अपना OSD
अभी कुछ ही समय डॉ. निकुंज अग्रवाल को चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में काम करते हुए थे कि स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की कृपा बरस गई। जैन ने चार सितंबर 2015 को डॉ. निकुंज अग्रवाल को अपना विशेष कार्याधिकारी(ओएसडी) बना लिया। जबकि निकुंज अग्रवाल की हैसियत एक संविदा चिकित्सक की ही रही। स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी होने की काबिलियत रखने वाले महकमे व दिल्ली सरकार में कई पूर्णकालिक अफसर रहे। दूसरी तरफ अस्पताल के चिकित्सक से ओएसडी का काम कराने का भी कोई औचित्य नहीं बनता। संविदा चिकित्सक पर इस कदर दरियादिली निभाने से जाहिर सी बात है कि केजरीवाल भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने के आरोप से बच नहीं सकते। सूत्र बताते हैं कि इस मामले की शिकायत एलजी नजीब जंग से भी हो चुकी है। खास बात है कि सत्येंद्र जैन अब तक डॉ. निकुंज अग्रवाल को चार बार ओएसडी पद पर सेवाविस्तार दे चुके हैं।
पांच दिन की मैनेजमेंट पढ़ाई और खर्च 1.15 लाख
चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के नियमो के तहत किसी चिकित्सक को सरकारी खर्च पर मैनेजमेंट की पढ़ाई का कोई प्रावधान नहीं है। यह दीगर बात है कि अध्ययन अवकाश लेकर चिकित्सक किसी भी स्तर की पढ़ाई निजी खर्चे पर कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग सरकारी खर्च पर केवल मेडिकल एजूकेशन या ट्रेनिंग की सुविधा ही अपने चिकित्सकों को देता है। चूंकि दिल्ली के सत्ताधीश केजरीवाल के डॉ. निकुंज अग्रवाल रिश्तेदार रहे। लिहाजा उनकी इच्छा पर उन्हें देश के सबसे महंगे मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट आईआईएम अहमदाबाद भेजा गया। जहां 20 जून से 25 जून के बीच महज पांच दिन की मैनेजमेंट पढ़ाई पर दिल्ली सरकार ने 1.15 लाख रुपये खर्च किए। यह पैसा किसका रहा, वही आम आदमी पार्टी की जेब का, जिसकी राजनीति करने का केजरीवाल दाव करते हैं। सवाल है कि इस पांच दिन की महंगी शिक्षा का हॉस्पिटल में डॉ. अग्रवाल ने कितना उपयोग किया।
सरकारी पैसे पर गए चीन
इतना ही नहीं दामादजी को विदेशी सैर कराने के लिए भी दिल्ली सरकार ने एक प्लान तैयार किया। आर्किटेक्ट और डॉक्टरों की टीम गठित कर चीन के दौरे पर भेजा गया। किस उद्देश्य से भेजा गया, आखिर चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में कांट्रैक्ट पर तैनात चिकित्सक को अन्य नियमित चिकित्सकों के ऊपर तरजीह देकर विदेशी सैर पर क्यों भेजा गया, इसका जिम्मेदारों के पास कहीं कोई जवाब नहीं है।