वरिष्ठ क्राइम रिपोट्रर इंद्र वशिष्ठ का लेख
नई दिल्ली : दिल्ली और एनसीआर में पिछले 4-5 सालों में हत्या, लूट और जबरन वसूली जैसे संगीन अपराध में देसी पिस्तौल के इस्तेमाल में जबरदस्त इजाफा हुआ है । उम्दा किस्म के देसी पिस्तौल का आसानी से मिल जाना इसका मुख्य कारण है। अवैध पिस्तौलों गढ़ है मुंगेर
अपराध में अवैध पिस्तौलों के बढ़़ते इस्तेमाल को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने एक स्टडी की, जिसमें पता चला कि उम्दा किस्म के ये देसी पिस्तौल बिहार के मुंगेर में बनाए जाते है। क्वालिटी के मामले में ये हथियार भारतीय आयुध फैक्टरी में बने हथियार से किसी भी तरह कम नहीं है। मुंगेर में बनी पिस्तौल से एक बार में 7-8 गोलियां तक आसानी से चलाई जा सकती है। इसलिए इन पिस्तौलों की अपराधियों में जबरदस्त मांग है। तफ्तीश के दौरान पता चला कि मुंगेर में छोटी-छोटी फैक्टरियों में हथियार बनाए जाते है और संगठित गिरोह द्वारा पूरे देश में सप्लाई किए जाते है। यह भी पता चला कि अवैध हथियार मेरठ,आगरा और इलाहाबाद के हथियार तस्करों द्वारा सप्लाई किए जाते है। हथियार बिहार से लाकर दिल्ली और आसपास के राज्यों में सप्लाई किए जाते है। हथियारों की तस्करी में महिलाओं का भी इस्तेमाल किया जाता है। उन पर शक न हो इसलिए वह महिलाओं के साथ परिवार की तरह यात्रा करते है।
आतंकियों और नक्सलियों को भी सप्लाई
पुलिस ने पाया कि हथियार तस्कर मध्य प्रदेश,उड़ीसा,बिहार और झारखंड के नक्सलियों को भी हथियार सप्लाई करते है। 19-9-2010 को जामा मस्जिद के बाहर विदेशियों पर गोलियां चलाने और पुणे बम धमाकों के आरोप में पकड़े गए इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों से भी मुंगेर की बनी 4 पिस्तौल बरामद हई थी।
मुंगेर बना दर्रा
पाकिस्तान में उत्तर-पश्चिम फरंटियर इलाके में दर्रा- नामक इलाके में अवैध हथियार बनाना बड़े कुटीर उद्योग की तरह है। उसी तरह भारत में मुंगेर उम्दा किस्म के देसी पिस्तौल/रिवाल्वर बनाने के बड़े स्त्रोत के रूप में उभरा है। पुलिस के अनुसार सरकार ने मुंगेर में कुछ साल पहले बंदूक बनाने के लिए 32 फैक्टरियों को लाइसेंस दिए थे। इनमें काम करने वाले या रिटायर हुए कुछ लोग मोटा पैसा कमाने के लिए अवैध हथियार बनाने लगे। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर, कैराना में भी देसी तमंचे बनाए जाते है। हरियाणा के मेवात में भी हथियार बनाए जाने की भी जानकारी पुलिस को मिली है।
मध्य प्रदेश भी गढ़
मुंगेर के बाद अवैध हथियार बनाने में मध्य प्रदेश का नंबर आता है। पुलिस ने स्टडी में पाया कि मध्य प्रदेश के भिंड, खरगौन, धार और सेंधवा, बरवानी में भी अवैध पिस्तौले बनाई जाती है। ये पिस्तौल दिल्ली समेत कई राज्यों के अपराधियों को सप्लाई किए जाते है।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी राजन भगत ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने 15 मई 2016 तक 288 पिस्तौल/रिवाल्वर/ बंदूक जब्त की है । साल 2012 में 586,साल 2013 में 700,साल 2014 में 868 और साल 2015 में 433पिस्तौल/रिवाल्वर जब्त की गई ।
स्पेशल सेल ने 4 जून 2016 को मथुरा के उतवार का नंगला गांव निवासी सलामुद्दीन को गिरफ्तार किया । उसके पास से 27 पिस्तौलें बरामद हुई । सलामुद्दीन मथुरा के छाता निवासी मुश्ताक के लिए काम करता है। मध्य प्रदेश के सेंधवा से पिस्तौल की एक खेप लाने के एवज में उसे 5000 रूपए मिलते थे । मुश्ताक दिल्ली,एनसीआर और अन्य इलाकों में हथियार सप्लाई करता है।
देसी को विदेशी बताते है.
मोटे मुनाफे के लिए इन पिस्तौलों को विदेशी बता कर बेचने के लिए इन पर मेड इन इंग्लैंड और यूएसए भी लिख दिया जाता है। मुंगेर से पिस्तौल 10-12 हजार रुपए में लाकर हथियार तस्कर 25-30 हजार रुपए में अपराधियों को बेचते है।
99 मुंगेरी पिस्तौल की सबसे बड़ी खेप
दिल्ली पुलिस ने जुलाई 2013 में मुंगेर से लाई गई 99 पिस्तौल और 198 मैगजीन बरामद की थी । एम्बेसडर कार की हेडलाइटों के पीछे बनाए गए विशेष स्थान पर ये पिस्तौले छिपा कर लाई गई थी। इस मामले में गिरफ्तार किए गए मुंगेर निवासी निरंजन मिश्र और फिरोज आलम ने पुलिस को बताया कि वह देश के ज्यादातर हिस्से में हथियार सप्लाई करते है। इन्होंने ने यह भी बताया कि वह हर महीने हथियारों की कम से कम एक खेप दिल्ली और आसपास के राज्यों में सप्लाई करते है। उन्होंने मुजफ्फर नगर के हाजी उर्फ मुल्लाजी को 85 पिस्तौले सप्लाई की थी। बरामद पिस्तौल पर ‘आर्मी सप्लाई केवल’ और ‘मेड इन यूएसए ’ लिखा हुआ है।
12 जनवरी 2014 को स्पेशल सेल ने खरगौन के दिनेश और सुनील को 16 अवैध पिस्तौलों के साथ गिरफ्तार किया था। इन दोनों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि ये दोनों दिल्ली ,एनसीआर के अलावा मुजफ्फरनगर ,आगरा, अलीगढ़ और हाथरस में हर पखवाड़े हथियारों की एक खेप सप्लाई करते रहे है। 5 फरवरी 2014 को स्पेशल सेल ने मध्यप्रदेश के बरवानी निवासी मोह बाई उर्फ मुन्नी को उस समय पकड़ा जब वह मथुरा निवासी शम्सु को 9 पिस्तौलें सौंप रही थी। मुन्नी ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि गांव में अवैध पिस्तौल बनाने वाले व्यकित के लिए वह हथियार सप्लाई करती है। हथियार की एक खेप पहुंचाने की एवज में उसे 2500 रूपए मिलते है। मुन्नी अवैध हथियारों के साथ पहले बीना जिला सागर और सेंधवा में भी पकड़ी जा चुकी है। 19 फरवरी 2014 को स्पेशल सेल ने ही हाथरस के संजू को 10 पिस्तौलों के साथ पकड़ा। संजू ने पुलिस को बताया कि खरगौन में वीरपाल सिंह अवैध पिस्तौलें बनाता है और वहीं मुख्य सप्लायर भी है। संजू खरगौन से हथियार लाकर हाथरस के ही हमबीर के माध्यम से देश के ज्यादातर हिस्से में सप्लाई करता था ।