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केतकी का क्रोध

1 फरवरी 2022

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भाग 2

जैसे ही केतकी की सेविका दिव्या उसे उठाती है तो वह क्रोधित हो उसे देखती है और कहती है ,*" ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ा जो असमय तुम मुझे अर्ध निंद्रा से  उठाने की धृष्टता कर रही हो ,*"!!!

दिव्य कहती हूं ,*" क्षमा प्राथी  हूं देवी पर सूचना हो कुछ ऐसी है की में स्वयं को रोक नहीं पाई , *"!!

केतकी उसे क्रोध भरी नजरो से देखते हुए कहती है ,*" ऐसा कौनसा अनर्थ हो गया ,जो तुम मेरा दिशा निर्देश ही भूल गई,*"!!!

दिव्या कहती है ,*" देवी अनर्थ  नही समझिए प्रलय आ गया , गंधर्व  देवक और अप्सरा पुष्पा को देवाधिदेव महादेव ने जन्म जन्मांतर तक दोनो को पति पत्नी के रूप में रहने का वरदान दे दिया , *"!!!

यह सुनते ही केतकी ने एक जोरदार थप्पड़ दिव्या को मारती है और चीखते हुए कहती है ,*" दुष्ट अर्ध रात्रि में यह अशुभ वार्ता सुनने के लिए उठाया , ,*"!!
वह गुस्से से उठती है ,उसे लगने लगा की जैसे सच में भूचाल आ गया , उसे अपना जीवन मिथ्या लगने लगा , दिव्या थप्पड़ खाने के पश्चात हतप्रभ सा गाल पर हाथ रखे केतकी  को देख रही थी ,कुछ ही क्षणों में न जाने कितने मनोभाव उसके मुख पर आए और चले गए ,ऐसा लगने लगा जैसे उसका मुख मालिन हो गया , वह क्रोध में चहल कदमी करने लगी और फिर दिव्या को पकड़ कर चीखते हुए कहती है ,*" नही ! ये नही हो सकता ,? देवक मेरा है ,और मैं उसे पाए बिना नही रह सकती , में उसे इतने सहजता से पुष्पा का कैसे होते देख सकती हूं , और वैसे भी यहां के सेवक गण किसी एक का होकर नही रह सकते हैं ,*"!!!

दिव्या कहती है ,*" किन्तु ! अब हो भी क्या सकता है देवी , भगवान शिव का दिया हुआ वरदान तो मिथ्या नही हो सकता है ,*"!!!
केतकी टहलती हुई कहती है,*" में भी जानती हूं की महादेव का दिया वरदान मिथ्या नही हो सकता है ,पर मैं अपना वो अपमान कैसे भूलूं ,जो देवक ने मेरा प्रणय निवेदन ठुकरा कर किया था , आज भी उस घड़ी को जब स्मरण करती हूं तो मेरे मन में भूचाल सा उठ जाता है , उस शरद पूर्णिमा की रात में भाव विभोर हुई देवक से मिलन की आशा लिए मैं उपवन में गई जहां वह पुष्पा की प्रतीक्षा कर रहा था , मेरे मन में उसके पुष्प के प्रति व्याकुलता देख ईर्ष्या होने लगी ,!!!!
( पुराने परिदृश्य में जाते है ) 

एक सुंदर सी पुष्प वाटिका में देवक अपनी प्रिए पुष्पा की प्रतीक्षा कर रहा था , देवक को पुष्प वाटिका के फूल भी आकर्षित नही कर पा रहे थे ,रात रानी की सुगंध ने  पूरे वातावरण को सुगंधित कर रखा था , जुगनू सितारों की तरह फूलों पर चमकते हुए घूम रहे थे , ,!!!
केतकी देवक को इस प्रकार बैचेन देख उस से उपहास करने का मन बना लेती है ,और वह पुष्पा के चाल में चलते हुए घूंघट से अपना मुखड़ा ढके हुए ,पायलो की झंकार करती हुई धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ती है ,!!!

दूर से उसे पुष्पा समझ बेचैन देवक इस से कह उठता है *" अहो प्रिए कितनी प्रतीक्षा करवाओगी ,कब से तुम्हारी राह तक रहा हूं , *"!!!

कहते है ना प्रेम में सभी अंधे हो जाते हैं तो देवक भी इस समय प्रेमाग्नि में पुष्पा से मिलन को व्याकुल था ,!!!!!

केतकी देवक से थोड़ी दूर ही रुक जाती हैं ,"!!!

देवक उसे रुका देख कहता है ,*" रुक क्यों गई प्रिए , मेरी बाहों में आ जाओ देखो ये कब से तुम्हारे आलिंगन को आतुर हो  रहे हैं ,!!!!
केतकी उसकी बाहों में आती है तो उसके स्पर्श से देवक चौक उठता है वह चिहुंक कर पीछे हटता है ,!!!
वह हड़बड़ा कर पूछता है ,*" तुम कौन हो ,तुम मेरी पुष्प नही हो सकती ,*"!!?

केतकी कहती है ,*" हां !  मैं पुष्पा नही हूं पर मैं तुम्हारे प्रेम की प्यासी ,तुम्हे पाने की चीर अभिलाषी ,अप्सराओं में श्रेष्ठ देवी सची की प्रधान प्रचारिका केतकी हूं प्रिए,*"!!
वह अपने मुखड़े से चुनरी हटाती है ,!!!!

देवक उसे देख चौकता है और कहता है ,*" केतकी तुम ,*"!??

केतकी कहती है ,*" हां मैं ,!!! आज इस शरद पूर्णिमा की इस दूध नहाई चांदनी रात में तुम्हारे पास प्रणय निवेदन लेकर आई हूं , प्रिय देवक  मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार कर मुझे  कृतकृत्य करो ,*"!!!

देवक कहता है ,*" यह संभव नहीं है देवी केतकी , मैं ने पहले ही महाराज इंद्र की परिचारिका  पुष्पा का प्रणय निवेदन स्वीकार कर लिया है , *"!!

केतकी कहती हैं ,*" देवी पुष्पा तो अभी देवेंद्र की याचिका में लगी है ,उन्हे आने में विलम्ब होगा ,तब तक तो मेरी अभिलाषा पूर्ण कर दो ,*"!!
देवक चीख कर कहता है ,*" तुम इस समय अपने आपे में नही हो जाओ जाकर विश्राम करो ,*"!!!

केतकी कहती हैं *" विश्राम ही तो नही कर पा  रही हूं,जब भी पलके झपकती हैं तो निद्रा के स्थान पर तुम्हारी छवि दिखलाई पड़ने लगती है ,  और मैं पूर्ण रात्रि तुम्हें पाने के लिए तड़पती रहती हूं , मेरा स्वप्न में भी केवल तुम ही दिखाई देते हो , मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार कर देवलोक के नियमानुसार गर्व का अनुभव करो , तुम मेरा सहचर स्वीकार करो गंधर्व श्रेष्ठ ,*"!!!

देवक  हाथ जोड़कर कहता है ,*" में क्षमा प्रार्थना कर रहा हूं देवी मुझे तुम्हारा प्रणय निवेदन स्वीकार करने में कोई आपत्ती नही है किंतु आज नही ,*"!!!

उसी समय पुष्पा वहां आती है ,उसे देख केतकी एकदम से जल भुन जाती है , !!!
वह केतकी को प्रणाम कर कहती है ,*" मेरा प्रणाम स्वीकार करो देवी केतकी तुम यहां इस समय क्या कर रही हो , *"!!
केतकी क्रोधित होकर कहती है ,*" इतनी अनजान न बनो पुष्पा और तुम दोनो जो खेल खेल रहे हो में सभी के सामने उजागर कर दूंगी , *"!!!
पुष्पा कहती हैं ,*" देवी केतकी अभी तो मैने देवक से प्रणय निवेदन कर लिया था और उसे इन्होंने स्वीकार कर लिया था और रही बात उजागर करने की तो अभी तक हमने कोई ऐसा कृत्य नही किया है जिस से हमे कोई भी दंडित कर सके हम जो भी कर रहे है देवलोक के नियमानुसार ही कर रहे है ,अभी के लिए क्षमा प्राथी हूं ,हमे विलंब हो रहा है ,चलो प्रिए ,*"!!!

देवक उसे देखते हुए जाता है , केतकी आंखे क्रोध से लाल हो जाती है ,!!!
वह क्रोध वश बोलती है ,*" यह तुमने अच्छा नही किया देवक ,मेरे प्रेम का अंदर इस तुच्छ पुष्पा के लिए किया , मैं अपने अपमान का ऐसा बदला लूंगी जिसे तुम दोनो सदियों तक नही भूल पाओगे ,*"!!
वह क्रोध में अदृश्य होती है ,!!!

क्रमशः


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रचनाएँ
सोरठी बृजभार
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यह एक उत्तर भारत की प्रसिद्ध लोक कथा है ,इसी कथा से पति पत्नी का रिश्ता सात जन्म तक होता है कहा जाता है ,एक अप्सरा और गंधर्व की प्रेम कहानी है ,!!
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सोरठी बृझभार

1 फरवरी 2022
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भाग 1 सोरठी बृझभार ,उत्तरप्रदेश और बिहार की एक प्रसिद्ध लोक कथा है , यह एक कहानी जो एक अप्सरा और गंधर्व की प्रेम कथा पर आधारित है , आशा करता हूं की आप सभी को पसंद आएगी ,!

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केतकी का क्रोध

1 फरवरी 2022
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भाग 2जैसे ही केतकी की सेविका दिव्या उसे उठाती है तो वह क्रोधित हो उसे देखती है और कहती है ,*" ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ा जो असमय तुम मुझे अर्ध निंद्रा से उठाने की धृष्टता कर रही हो ,*"!!!दिव्य कह

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केतकी की परेशानी

2 फरवरी 2022
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भाग 3 केतकी पुनः पुराने परिदृश्य में लौटती है ,दिव्या वही खड़ी खोई हुई केतकी को देखती हैं ,केतकी की आंखो में आक्रोश भरा हुआ है, !!!वह दिव्या से पूछती है ,*" गंधर्व कर्कोटक कहां हैं ,*"!??दि

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विजई पुष्पा

2 फरवरी 2022
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भाग 4 देवलोक में सितारों के बीच एक रंगमंच सजा हुआ है , सामने रंगमंच के ऊंचाई के बराबर दो सिंहासन लगे हुए हैं, जिन पर देवराज इन्द्र और देव रानी शची विराज मान हैं ,उनके पीछे चारो ओर से

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देवेंद्र का श्राप

2 फरवरी 2022
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भाग 5 मान सरोवर के तट पर सुंदर वृक्षों के प्रांगड़ में पुष्पा और देवक अपने प्रणय आनंद में खोए हुए थे ,उन्हे तो इस बात का आभास भी नही था की उनकी जीत से कुपित केतकी और उसके साथी कोई कुचक्र भी चल सक

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ब्रह्मदेव का पुत्र

2 फरवरी 2022
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भाग 6सभी देवर्षि नारद को देख प्रणाम करते है ,*" प्रणाम देवर्षि नारद जी,*"!!!नारद जी अपनी ताल में कहते हैं *" नारायण नारायण कल्याण हो सबका ,*"!!!केतकी प्रसन्न होते हुए कहती हैं ,*" हमारे अह

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गौ दान

2 फरवरी 2022
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भाग 7 ब्रमदेव बेचारा निरीह ब्राह्मण अपने बच्चे के लिए गाय प्राप्त करने के लिए चल देता है ,!!सेठ धनिक लाल के द्वार पर ढोल ताशे बज रहे थे , सेठ का मुंशी भिखारियों को अनाज ,धन , वस्त्र दान कर रहे थे

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देव और छबि का मिलना

2 फरवरी 2022
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भाग 8 ग्राम की पाठशाला में सभी बच्चे आ रहे हैं , कुछ अध्यापक पेड़ो के नीचे बैठे छात्रों को पढ़ा रहे हैं , पाठशाला खुले मैदान में पेड़ो के नीचे ही चल रही थी ,कुछ कुटिया बनी हुई थी ,उसम

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देव कुमारी और छबि का प्यार

7 फरवरी 2022
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भाग 9 रात्रि का समय है ,केतकी ,कर्कोटक ,माया , फूलवती सभी बैठे हैं ,कर्कोटक केतकी को देवकुमारी और छबीनाथ के बारे में बता रहा है,!!कर्कोटक कहता है *" अब और देखने का समय नहीं रहा है देवी केतक

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दोनों की तड़प

7 फरवरी 2022
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भाग 10ब्रह्मदेव अपने घर में चिंतित सा चहल कदमी कर रहा है, सामने वसुधा बैठी है ,!!वसुधा उसे चिंतित देख कहती है,*" देखिए आर्यपुत्र ,मेरा मन नहीं मानता ,मेरा छबि ऐसा नहीं है ,वह तो भोला भाला सरल बालक है

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केतकी की चाल

10 फरवरी 2022
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भाग 11केतकी और कर्कोटक नीचे की कक्ष की ओर जाते हैं ,वह उसके कक्ष में प्रवेश करते हैं , दाई मां अपने कक्ष में पलंग पर सोई है,केतकी उसके पास पहुंच कर उसके ऊपर अपनी छड़ी घुमाती है ,जिस से वह बेसुध हो जात

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पंचायत

15 फरवरी 2022
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भाग 12देवकुमारी और छबि को इस प्रकार लिपट कर पड़े देख एक महिला कहती हैं ,*" ही भगवान दोनो कैसे निर्लज्ज की तरह एक दूसरे से चिपके पड़े हैं , ऐसे तो पति पत्नी भी नही रह सकते हैं ,,*"!!लोगो की भिड़ लग जात

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ब्राम्हदेव का निष्कासन

3 मार्च 2022
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भाग 13निर्धन की सुनवाई तो किसी भी काल या युग में कभी भी नही हुई है ,हमेशा धनवान और समर्थवान लोगो के पक्ष में सभी लोग रहते हैं ,ये चाहे सतयुग रहा हो या त्रेता या फिर द्वापर कलयुग की तो बात ही निर

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छनीनाथ की जिद्द

11 मार्च 2022
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भाग 14थोड़ी दूर निकल जाने पर एक बैल गाड़ी उन्हे मिल जाती है ,वह उस पर पूरा सामान लाद देते हैं, और आगे बढ़ते हैं ,चलते चलते वह एक गांव के किनारे पहुंचते हैं ,और वहां के मुखिया के पास जाकर गांव में शरण

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मान गए सेठजी

11 मार्च 2022
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भाग 15 सेठ जी के हवेली के सामने छबीनाथ पहुंचता है उसे देख सभी नौकर घबराकर सेठ जी को आवाज देते हैं तो सेठ हड़बड़ाते हुए बाहर आता है ,और सामने छबीनाथ को देख उसका माथा ठनका और वह कहता है ,*" अरे दरि

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पूरा हुआ पहला जन्म

11 मार्च 2022
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भाग 16सेठ धनिक लाल देवकुमारी से कहता है ,*" बेटी तू दूध पी लें मैं अभी जाकर छबि और उसके परिवार से क्षमा मांग कर ले आता हूं और तुम्हारा विवाह धूम धाम से करूंगा ,*"!!देवकुमारी कहती है ,*" बाबू जी

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दूसरा जनम

20 जून 2022
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भाग 17देवक और पुष्पा हाथ जोड़े इंद्रदेव के समक्ष खड़े हुए हैं , पास ही एक और कर्कोटक और केतकी अपने सहेलियों के साथ खड़ी है , उन्हे इस बात की खुशी थी की इन दोनो का मिलन नही हो प

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प्रेम से बड़ा ना कोई

21 जून 2022
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भाग 18उस दिन के पश्चात रामनाथ और शांति प्रतिदिन जब भी अवसर मिलता फुलवारी में पहुंच कर गले मिलते थे , !!यदि रामनाथ पहले पहुंच जाता तो वह जोर जोर से एक गीत गाता , *" बंजारन वो बंजारन ,

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दोनो प्रेमी का घर छोड़ना

21 जून 2022
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भाग 19रघु बंजारा शंभूनाथ के दरवाजे पर खड़ा था , वह शभुनाथ को आवाज देता है ,*" सरदार , सरदार शंभूनाथ , *"!!शंभूनाथ एक अनजान आवाज सुन बाहर आते हैं ,वह रघु

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शांति की मृत्यु और जीवित होना

21 जून 2022
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भाग 20रामनाथ और शांति वही बैठकर जलपान करने लगते हैं , और दोनो ही अपने भविष्य की चिंता करने लगते हैं , शांति को तो अभी से अपने मां और बापू का स्मरण आने लगा था , अब तक के जीवन में पहली बार मां बाप से दू

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दोनो प्रेमी की लीला समाप्त

21 जून 2022
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भाग 21शांति के भगवान कृपा से ठीक हो जाने पर रामनाथ उसका और अपना दोनो का सामान उठाकर उसे साथ ले कहीं किसी गांव या सुरक्षित स्थान पर रुकने की सोच रहे थे, !!!देवी केतकी और क

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तीसरा जनम

23 जून 2022
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भाग 22इंद्र की देवनगरी में उस समय दरबार में नृत्य संगीत का कार्यक्रम चल रहा था ,सभी देवगण उसका आनंद ले रहे थे ,केतकी एक सुंदर नृत्य कर रही थी आज वह बहुत ही उत्तम नृत्य कर रही थी , कर

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मिल गए प्रेमी

23 जून 2022
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भाग 23वीरसेन के पिता जमींदार कुबेर सिंह ने उसके जन्म लेने पर बड़ा समारोह आयोजित किया , निर्धनों को धन बाटा भोजन वितरित किया कपड़े बाटे, उस समय जो भी सामने पड़ा वह खाली हाथ नहीं गया , ,!!वही हाल

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बंजारन की चाल

23 जून 2022
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भाग 24केतकी कर्कोटक के पास पहुंचती है ,कर्कोटक उसे देख चौकता है ,और कहता है ,*" देवी केतकी आज आप मेरे निवास स्थान पर ,मुझे आदेश कर दिया होता वैसे तो मैं स्वयं ही आने वाला था ,*"!!केतकी कहती हैं ,*" मे

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मिल गई प्रेमिका

23 जून 2022
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भाग 25 लक्ष्मी प्रसाद की वार्ता से प्रसन्न हो ,सेठ सामलाल अपनी तैयारी में लग जाते हैं , लाजवंती अपनी माता से कहती है ,*" मां मैं विरसेंन से प्रेम करती हूं ,में और किसी से विवाह नही करना चाहत

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प्रेमी के घर प्रेमिका

23 जून 2022
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भाग 26 दो दिन तक दोनो ही प्रेमी एक दूसरे को देख तड़पते रहे ,*!!दूसरे दिन वीरसेन तड़प कर गीत गाता है *" चल उड़ चले हम पक्षी बनकर , शाम में घर पहुचेंगे ,, जिएंगे जीवन अपने बनाए घों

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भाग निकले प्रेमी

23 जून 2022
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भाग 27 बहुत प्रयास करने के पश्चात भी इन दोनो प्रेमियों को अपनी इच्छा पूर्ति हेतु अवसर प्राप्त नहीं मिल पा रहा था , घर में उपस्थित नौकर चाकर हर समय आगे पीछे लगे रहते थे , अब ये इतने भी दुष्ट प्रवृ

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राजा ले गए लाजवंती

23 जून 2022
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भाग 28दोनो भाई के मारे पूरी रात भागते रहे ,सुबह होते होते वह दोनो बहुत दूर आ गए थे , मार्ग में थक जाने के कारण कई बार वीरसेन लाजवंती को गोद में भी लेकर और कई बार कंधे पर भी बिठा कर भागा था , वह उस गां

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तीसरा जनम भी गया

23 जून 2022
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भाग 30राजा का आदेश मिलते ही ,नदी के किनारे दो पर्णकुटी बना दी जाती है , उसमे रानी के लिए सारी व्यवस्था भी करवा देते हैं ,!!सभी व्यवस्था होने के पश्चात एक अच्छा मुहूर्त देख रानी लाजवंती को सेविका

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पुनः मिले प्रेमी

24 जून 2022
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भाग 29राजा के बारे में सुन , वीरसेन राजमहल के सामने पहुंच कर गीत गाने लगता है ,उसको महल के द्वार पर देख एक सिपाही तुरंत दौड़ कर राजा के पास जाता है ,और कहता है ,*" महाराज की जय हो , महाराज

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चौथा जनम

24 जून 2022
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भाग 31 चौथा जनमदोनो के मृत्यु के पश्चात अमरावती में केतकी के महल में आनंद की लहर दौड़ पड़ती है , वह सभी को मिठाई यह कह कर बटवाती है ,की*" देवक और पुष्पा पुनः अपना जीवन व्यतीत कर अमराव

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दोनो को गए प्रेम में

24 जून 2022
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भाग 33प्रेमचंद और चमेली दोनो ही पेड़ के नीचे अपनी बातों में को गए थे ,तभी ज्ञानचंद कहता है ,,*" राजकुमार फूल एकत्र हो गए हैं ,रानी मां राह देख रही होंगी ,शीघ्र चलो , पूजा में विलम्ब

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बढ़ गया प्रेम

24 जून 2022
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भाग 34राजकुमार प्रेमचंद चमेली को ढूढने लगता है , उसके साथी चुप चाप एक कोने में छुपकर बैठ जाते हैं ताकि उन्हे कोई देख न ले ,!!चमेली अपने घर में माला गूंथ रही थी ,पर उसके कान फुलवारी की ओर थे ,उसे इस बा

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पकड़े गए प्रेमी

24 जून 2022
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भाग 35राजकुमार प्रेमचंद और चमेली दोनो ही प्रेम में इतने दीवाने हो गए थे, जब तक वह दिन में एक बार मिल नहीं लेते तो उनसे रहा नही जाता था,!!कहते हैं ना जब फुलवारी में फूल खिलेगा तो सुगंध तो फैलेगी ही, ऐस

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