भाग 1
सोरठी बृझभार ,उत्तरप्रदेश और बिहार की एक प्रसिद्ध लोक कथा है , यह एक कहानी जो एक अप्सरा और गंधर्व की प्रेम कथा पर आधारित है , आशा करता हूं की आप सभी को पसंद आएगी ,!!!
देवी की नगरी जहां स्वर्ग लोक की सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं , उस नगरी का नाम है *"अमरावती " * ,!!
मानवों की कल्पना से परे अमरावती में केवल देव ,गंधर्व और अप्सराएं ही वास करती हैं , !!!
मानवों को सदा ही विचारो में आकर्षित करने वाली इस मनोरम नगरी के वासी भी पृथ्वी लोक के आकर्षण से अछूते नहीं थे , वह लोग भी बार बार अलग अलग रूपों में पृथ्वी पर भ्रमण करने आते रहते हैं , "!!!
यह कथा एक ऐसे ही गंधर्व देवक और अप्सरा पुष्पा की है जो भूल वश एक दूसरे से प्रेम करने लगे थे , भूल वश इसलिए कहा क्योंकि वहा के नियमानुसार गंधर्व और अप्सराएं इंद्र की सेवा के लिए ही थी ,और वह सब प्रेम ,विवाह इत्यादि कार्य उनके लिए वर्जित थे , !!
पर प्रेम तो अपने आप में एक अद्भुत सरंचना है , इसका कोई मापदंड तो है नही अब जिसे हो जाए तो फिर उसका कोई पर्याय ही नही रहता , फिर तो प्रेमी किसी भी सीमा तक जाकर अपने प्रेम को प्राप्त करने का प्रयास करता है , *"!!
ईर्ष्या, द्वेष मानवों में होना कोई आश्चर्य की बात नही है ,किंतु ये मानवीय दोष देवलोक में भी प्रयाप्त रूप में व्याप्त है , और ऐसा कई बार सिद्ध भी हो चुका है , !!!
गंधर्व देवक और अप्सरा पुष्पा बड़े चितित बैठे थे , उन्हे समझ नही आ रहा था की वह दोनो खुल कर प्रेम कब कर पाएंगे कैसे कर पाएंगे , *"!!
उसी समय देवऋषि नारद उस मार्ग से प्रवास करते हुए , उन्हे उदास बैठा देख मुक्राकार उनके पास जाकर पूछते हैं *" नारायण नारायण क्या बात है , गंधर्व देवक और अप्सरा पुष्पा आप दोनो इस प्रकार मुंह लटकाए क्यों बैठे हैं , *!!?
दोनो ही देवऋषी को दंडवत प्रणाम करते है और देवक कहता है , *" देवऋशी हम दोनो बहुत ही व्यथित है , हम दोनों एक दूसरे से अगाध प्रेम करते हैं , परंतु इस इंद्रलोक में हमारा प्रेम वर्जित है ,क्या कोई ऐसा उपाय है जिस से हम एक ही सके ,*"!!!?
नारद मुस्कराते हुए कहते हैं ,*" इस त्रिलोक में हर कार्य का उपाय है ,आप दोनो देवाधिदेव भगवान शिव की प्रार्थना कर उन्हे यदि प्रसन्न कर लेते हो तो सभी उपाय स्वयं उपलब्ध हो जायेंगे, *"!!!
दोनो ही प्रसन्न हो नारद जी को पुनः दंडवत प्रणाम करते हैं ,!!
नारद जी उन्हे कल्याण हो का आशीर्वाद देते हुए जाते हैं , ,*"!!!
कैलाश पर्वत पर गंधर्व देवक और अप्सरा पुष्पा दोनो ही एकत्र बैठे भगवान शिव का मिट्टी से बने लिंग की पूजा कर रहे हैं ,!!
देवक एक और बैठा मंत्र पढ़ रहा है ,*" ॐ नमः शिवाय , ॐ नमः शिवाय , ॐ नमः शिवाय ,!!
वही अप्सरा भी इसी मंत्र का जाप कर रही है ,*"!!
जप करते करते उन्हे कई दिन हो गए तो उनकी तपस्या से प्रसन्न हो भगवान शिव माता पार्वती के साथ प्रकट हो जाते हैं ,!!!
भगवान शिव अपना हाथ ऊपर कर देवक और पुष्पा की ओर करते हैं तो उसमे से एक प्रकाश निकल कर उन दोनो के माथे से टकराता है , दोनो का ध्यान भंग होता है तो अपने समक्ष साक्षात भगवान शिव और माता पार्वती को देख दोनो हाथ जोड़ कर उनकी वंदना करते हैं , !!!
दोनो *" प्रभु आप ,!??
देवक कहता है ,*" हे देवाधिदेव हमारा प्रणाम स्वीकार करे *"!!!
दोनो ही शष्टांग दंडवत प्रणाम करते हैं ,!!
भगवान शिव कहते हैं, *" हे गंधर्व देवक , हे अप्सराओं में अद्वितीय सुंदरी अप्सरा पुष्पा मैं तुम दोनो की तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं , अतः तुम दोनो मनोवांछित वर मांग लो, !!
देवक कहता है , *" हे प्रभु आपके दर्शन पाने के लिए सभी देवता और ऋषि मुनि प्रयास रत रहते हैं ,आप ने मुझ अकिंचन को दर्शन देने की जो कृपा की है उस से अधिक हमे क्या चाहिए ,आप हम पर सदा कृपा बनाए हुए अपने चरणों में स्थान देने की कृपा करे , *"!!!
महादेव मुस्कराकर कहते हैं ,*" गंधर्व श्रेष्ठ तुम तुम्हारे विनम्र शील स्वभाव ने मेरा मन मुग्ध कर दिया ,में तुम्हे वरदान देता हूं की तुम्हारे हृदय में में मेरी भक्ति सदेव बनी रहे और इसके साथ आशीर्वाद देता हूं कि त्रिलोक में काल कालांतर तक तुम्हारी कीर्ति गई जाए , तुम्हारा नाम जगत में सदेव आदर भाव से लिया जाएगा ,!!!
देवका प्रभु के चरणों में समर्पित हो जाता है ,!!!
महादेव पुष्प की ओर देखते हैं ,*" देवी पुष्पा ,अपनी अभलाषा कहो ,तुम क्या वरदान पाना चाहती हो ,*"!!!
पुष्पा हाथ जोड़कर कहती है ,*" ही जगत पिता , हे परमेश्वर मैं आपके चरणों के निष्ठा के साथ साथ जन्म जन्मांतर तक गंधर्व देवक को अपने पति के रूप में वरन करना चाहती हूं , इसके शिवा मुझे कुछ नहीं चाहिए ,*"!!!
भगवान शिव चौक उठते हैं और कहते है ,*" यह वरदान तो अत्यंत कठिन हैं देवी पुष्पा ,। देवलोक में गंधर्व और अप्सराएं स्वचंद विहार करती हैं , अतः तुम दोनो एक दूसरे के प्रति कैसे समर्पित रह सकते हो , !? मुझे भय है की कहीं यह मेरा वरदान तुम्हारे लिए अभिशाप ना बन जाए ,?
पुष्पा कहती है*" कुछ भी हो जाए प्रभु , हमने एक दूसरे के प्रति समर्पित होने के लिए ही आपका तप किया है , आपके अलावा हमे कोई एक कर ही नही सकता था , कृपा कर हमारी इच्छा पूरी करे ,*"!!!
भगवान शिव मुस्कराकर बोले ,*" एवमस्तु !!!!
देवक और पुष्पा दंडवत प्रणाम करते हैं , भगवान शिव मां पार्वती के साथ अदृश्य होते हैं,!!
उनके जाते ही आकाश में बिजली कड़कने लगती हैं , ,ऐसा लगता है जैसे श्रृष्टि में हलचल सी मच गई हो , !!!
अमरावती में तो जैसे भूचाल सा आ गया था , !!!
अप्सरा केतकी अपने शयनकक्ष में सोई है ,उसकी सेविका दिव्या तेज़ी से दौड़ती हुई आती हैं , और केतकी को उठाने लगती है , !!
वह कहती है ,*" देवी केतकी , देवी केतकी उठिए ,निद्रा का त्याग कीजिए देवी केतकी ,*"!!!
केतकी हड़बड़ा कर उठती हैं और क्रोधित हो उसे देखती है ,!!!!
क्रमशः