नई दिल्लीः आठ जिले। 49 सीट। 587 उम्मीदवार। एक करोड़ 70 लाख वोटर। यह आंकड़े हैं छठें चरण के। मुलायम के गढ़ आजमगढ़ से लेकर योगी के किले गोरखपुर तक, उधर मुख्तार अंसारी के दुर्ग यानी मऊ-गाजीपुर में वोट पडेंगे। आसपास के बलिया आदि जिले में छठें चरण में ही शामिल हैं। पूर्वांचल के कुल 28 में से आठ जिलों का यह चरण यूपी की सियासत के लिहाज से बेहद अहम हैं। क्योंकि मुलायम , योगी आदित्यनाथ, मुख्तार अंसारी सहित अखिलेश सरकार के कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यहां शनिवार को मतदान का दिन इन दिग्गजों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं। क्योंकि सभी के सामने चुनौती है कि उनका एक-एक वोट ईवीएम में दाखिल हो जाए।
अपने संसदीय इलाके में क्यों नहीं गए मुलायम
भले ही इटावा मुलायम का गृहजनपद हो, मगर उन्हें सियासत में आजमगढ़ हमेशा से प्यारा रहा है। वजह भी है। क्योंकि आजमगढ़ हमेशा मुलायम की सियासत पर मुहर लगाता रहा। यही वजह है कि जब 2014 में मोदी लहर में बसपा का पूरे प्रदेश में सफाया हो गया तो भी मुलायम आजमगढ़ से चुनाव जीते। यही नहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में भी यहां की जनता ने दस में से नौ सीटें जीतकर दीं। मगर पारिवारिक कलह के बाद पार्टी में ही हाशिए पर गए मुलायम सिंह यादव इस बार यहां एक दिन भी प्रचार के लिए नहीं पहुंचे। जबकि आजमगढ़ उनका संसदीय क्षेत्र है। ऐसे में समाजवादी पार्टी के तमाम कार्यकर्ता यहां नाराज बताए जाते हैं। सवाल है कि क्या मुलायम के गए बिना भी अखिलेश यहां से 2012 की तरह सीटें निकाल सकेंगे।
आजमगढ़ः इन सीटों पर दिग्गजों की साख दांव पर
वन मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव आठवीं बार आजमगढ़ की सदर सीट से चुनाव मैदान में हैं। भतीजे प्रमोद खुद विरोध में हैं तो बसपा ने बाहुबली मुन्ना को टिकट दिया है। अतरौलिया सीट से माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव के बेटे संग्राम यादव मैदान में हैं। मगर साख मंत्री की दांव पर लगी है। बेटे के हारने पर मंत्री बलराम का समाजवादी पार्टी में साख बचा कर रखना मुश्किल है। क्योंकि यादव परिवार में लड़ाई के दौरान वे अखिलेश के विरोधी खेमे में नजर आए थे। फूलपुर सीट से बाहुबली रमाकांत यादव के बेटे अरुणकांत चुनाव लड़ रहे हैं। यूं तो रमाकांत तीन टिकट चाहते थे मगर न मिलने बार बागी हो गए थे। बाद में मान गए। रमाकांत के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है। बसपा नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर दीदारगंज सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार महज 27 सौ वोट से हारे राजभर के मुकाबले इस बार बसपा से विधायक आदिल शेख तो भाजपा से कृष्णमुरारी विश्वकर्मा हैं।
गोरखपुरः गोरखपुर यानी योगी आदित्यनाथ का गढ़। हो भी क्यों न पिछले पांच बार से लगातार योगी बंपर वोटों से सांसद बनते आ रहे हैं। मगर एक सबसे बड़ा सवाल यहां की फिजाओं में तैर रहा है। वह यह कि आखिर क्या वजह है कि शहर से जुड़ी दो सीटों तक ही विधानसभा चुनाव में भाजपा जीत सकी है। जब योगी का जादू गोरखपुर ही नहीं आसपास के जिलों में भी चलता है तो फिर ग्रामीणांचल की सीटों पर भाजपा चुनाव हार क्यों जाती है। योगी के विरोधियों का कहना है कि आदित्यनाथ खुद नहीं चाहते कि गोरखपुर में भाजपा में और कोई नेतृत्व पनपे। ताकि भविष्य में उन्हें कोई चुनौती न मिल सके।
इन सियासी सूरमाओं के लिए अग्निपरीक्षा
छठे चरण में बसपा के कद्दावर नेता और राज्य विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पाण्डेय, बसपा से भाजपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य, पूर्व मंत्री सूर्य प्रताप शाही, बहुचर्चित विधायक मुख्तार अंसारी, सपा से बसपा में गये अम्बिका चौधरी,नारद राय,पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीर बहादुर सिंह के पुत्र फतेह बहादुर सिंह और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नजदीकी पंचायती राज मंत्री राम गोविन्द चौधरी की साख दांव पर है। पाण्डेय गोरखपुर, श्री मौर्य पडरौना, श्री शाही पथरदेवा, मुख्तार अंसारी मऊ, अम्बिका चौधरी बलिया की फेफना, नारद राय बलिया सदर, फतेहबहादुर सिंह महराजगंज की पनियरा और राम गोबिन्द चौधरी बलिया की बांस डीह से चुनाव मैदान में हैं।
कहां-कहां होना है चुनाव
इस चरण में फरेंदा, नौतनवां, सिसवा, महाराजगंज(सु), पनियरा, खड्डा, पडरौना, तमकुहीराज, फाजिलनगर, कुशीनगर, हाटा, रामकोला(सु), कैम्पियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहरी, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, खजनी(सु), चौरीचौरा, बांसगांव(सु), चिल्लूपार, रुद्रपुर, देवरिया, पथरदेवा, रामपुर कारखाना, भाटपाररानी, सलेमपुर(सु), बरहज, अतरौलिया, गोपालपुर, सगडी, मुबारकपुर, आजमगढ, निजामाबाद, फूलपुर पवई, दीदारगंज, लालगंज(सु), मेहनगर(सु), मधुबन, घोसी, मुहम्मदाबाद गोहना(सु), मऊ, बेल्थरारोड (सु), रसडा, सिकन्दरपुर, फेफना, बलिया नगर, बांसडीह और बैरिया क्षेत्र में मतदान होगा।