नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को 2015 लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा था कि उन्होंने 'स्टार्टअप्स' के लिए 10,000 करोड़ का फंड रखा है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इसके जरिये देश में रोजगार उत्पन्न होगा लेकिन इस घोषणा के एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सरकार अभी भी इसके कुल फंड में से मात्र 5.66 करोड़ ही खर्च कर पायी है। अख़बार बिजनेस स्टैंडर्ड को 8 फ़रवरी को भारतीय लघु औद्योगिक विकास बैंक (SIDBI) ने आरटीआई के जरिये ये जानकारी दी।
सरकार की ओर से स्टार्टअप्स के लिए 10 हजार करोड़ रुपए का ‘फंड ऑफ फंड्स’ बनाया था जिसे सिडबी (SIBDI) मैनेज कर रहा है। यह फंड सेबी रजिस्टर्ड वीसी फंड्स में इन्वेस्ट करेगा जो भी बाद में स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट करेगा। गौरतलब है कि सिडबी द्वारा प्रबंधित इंडिया एस्पीरेशन फंड में एलआईसी को भी भागीदार और सह-निवेशक बनाया गया है।
बजट 2017-18 दस्तावेजों के मुताबिक सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए इस फंड के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। उसके बाद अगले वित्त वर्ष में इसमें 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, जिसे संशोधित अनुमान में घटाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया गया।
एक फरवरी को पेश किए गए 2017-18 के बजट में स्टार्ट-अप्स के लिए इस मद में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस कोष की शुरुआत के समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि इससे स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई में हजारों करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश करने में मदद मिलेगी।
साल 2016 में 200 से ज्यादा स्टार्टअप हुए बंद
साल 2016 में ही देश में स्टार्टअप का हाल यह रहा कि तकरीबन 212 स्टार्टअप का सफर समाप्त हो गया। इनमे ज्यादातर की समस्या फंडिंग रही। डेटा एनालिटिक्स फर्म ट्रैक्सन (Tracxn) का दावा है कि बंद हुए स्टार्टअप की यह संख्या साल 2015 से 50 फीसदी ज्यादा है। इस लिस्ट में पहला बड़ा नाम किराने की डिलीवरी करने वाले स्टार्टअप पेपर टेप का है। साल 2015 में इस स्टार्टअप ने निवेशकों से सबसे ज्यादा फंडिंग की हासिल की थी।
रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 से लेकर साल 2015 में शुरू हुए ज्यादातर स्टार्टअप बंद हो गए। इनमे ऑनलाइन कूरियर वाली पार्शल्ड, लॉन्ड्रिंग सर्विस देने वाली डोरमिंट भी शामिल हैं। देश के सभी बड़े कैपिटल फंड वेंचर स्टाटर्टअप में निवेश करने से कतरा रहे हैं। भारत में 30 प्रतिशत से ज्यादा निवेश करने वाली अमेरिकी टाइगर ग्लोबल ने साल 2016 में को भी निवेश नही किया।