अयोध्याः सरयू का पुल पार कर जैसे ही आप रामनगरी में घुसेंगे तो एक खास चुनावी माहौल से पाला पड़ता है। यूं तो पूर्वांचल के कई शहरों से होकर इंडिया संवाद टीम गुजरी, मगर वहां उतनी सरगर्मी नहीं दिखी, जितनी अयोध्या में। यहां हर घर किसी पार्टी के साथ है तो खुलकर। घरों पर टंगे झंडे इसकी गवाही देते हैं। यहां बीच बाजार मौजूद हर घर पर सियासी झंडे फहराते दिखते हैं। भाजपा, सपा और बसपा के झंडे टंगे हैं। चूंकि भाजपा ने व्यापार ी नेता वेदप्रकाश गुप्ता को उतारा है और बाजार में व्यापारियों के घर ज्यादा हैं तो भगवा झंडे की तादाद कुछ ज्यादा ही दिखती है। हां ग्रामीण इलाकों में स्थिति थोड़ी अलग है। पांचवे चरण में सोमवार को जिन 52 सीटों पर मतदान हो रहा है, उसमें अयोध्या की यह चर्चित सीट भी शामिल रही। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या भाजपा इस बार यह सीट अपनी झोली करने में सफल रहेगी। क्या बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी उतरने से भाजपा की राह कुछ आसान हुई है। पिछले चुनाव में सपा प्रत्याशी पवन पांडेय ने भाजपा के लल्लू सिंह को हराकर सपा की झोली में यह सीट डाली थी।
भाजपा कहीं भितरघात का शिकार न हो जाए
सांसद लल्लू सिंह अयोध्या सीट से बेटे को टिकट चाहते थे, मगर भाजपा ने व्यापारी नेता वेद प्रकाश गुप्ता को मैदान में उतारा। हनुमानगढ़ी पर मौजूद मिले रामप्रकाश शर्मा कहते हैं कि भाजपा को किसी दूसरे से नहीं बल्कि अपने ही सांसद लल्लू सिंह से अंदरखाने चुनौती मिल रही है। उन्होंने खुद को बंधक बनाए जाने की नौटंकी कराई थी। भाजपा नेतृत्व को यह संदेश देने के लिए टिकट वितरण से जनता नाराज है। लल्लू सिंह टिकट वितरण को गलत ठहराने के लिए वेदप्रकाश गुप्ता को हराने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। दरअसल लल्लू दो दशक से अधिक समय से अयोध्या के विधायक रहे। वे नहीं चाहते कि अयोध्या में भाजपा में उनके सामने कोई और नेता उभर सके। लल्लू सिंह को 2012 में सपा के पवन पांडेय ने हरा दिया था। फिर भी भाजपा ने 2014 के सासंदी चुनाव में उन पर दांव लगाया और वे मोदी लहर में जीतने में सफल रहे। वेद प्रकाश गुप्ता के सामने मुश्किल है कि एक व्यापारी नेता भी चुनाव लड़ रहे। दूसरे पवन पांडेय मुकाबिल हैं। ऐसे में वेद गुप्ता के व्यापारी और भाजपाई वोटबैंक में सेंध लग रही।
एंटीइन्कमबैंसी से जूझ रहे सपा प्रत्याशी पवन पांडेय
अखिलेश सरकार में मंत्री रहे पवन पांडेय दबंग छवि रखते हैं। स्थानीय लोगों से बातचीत कर पता चलता है कि वे एंटीइन्कमबैंसी से जूझ रहे हैं। खास बात है कि उनके कई करीबी चुनाव में साथ छोड़ चुके हैं। दाहिने हाथ रहे बंशीलाल यादव तो पवन पांडेय को हराने के लिए चुनाव मैदान में कूद चुके हैं। लोग यह मानते हैं कि अयोध्या में पवन पांडेय ने काम जरूर कराया है। घाटों का सुंदरीकरण,लाइट आदि की व्यवस्था की। मगर यह भी कहते हैं कि संत समुदाय उनके साथ नहीं है। जो संत हैं भी तो वे पवन के लिए वोट डालने की अपील नहीं कर रहे।
पवन पांडेय की राह में बसपा का रोड़ा
यादव और मुस्लिम सपा के बेस वोटबैंक माने जाते हैं। मगर अयोध्या में बसपा ने पहली बार मुस्लिम कार्ड खेल कर सपा का खेल बिगाड़ने की कोशिश की है। जिससे पवन पांडेय के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बसपा प्रत्याशी वज्मी सिद्धीकी को भले ही मुस्लिमों का पूरा वोट न मिले मगर 60 फीसद मुस्लिम वोटर उनके साथ जरूर रहेंगे। जाहिर सी बात है कि सपा प्रत्याशी पवन पांडेय के लिए यह बड़ा नुकसानदायक है।