नई दिल्ली: बंटवार जी शब्द सुनते ही भारत और पाकिस्तान के अलग अलग तस्वीर आपके ज़हन में उभर रही होगी। लेकिन असल में ऐसा ही एक मामला है जायबा का। पाकिस्तानी वेबसाइट हेराल्ड डॉट डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, जायबा अपने जन्म स्थान भारत के लेह से केवल 30 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टीस्तान के चालूंका में थीं। 45 साल तक वह अपने जन्म स्थान नहीं लौट पाईं। पिछले साल 29 अगस्त 2016 को आखिरकार उन्हें अपनी जन्मस्थली को फिर से देखने में कामयाबी मिली। यहां आने पर उन्होंने देखा कि उनकी 96 साल की मां खातीबी लकवे से जूझ रही हैं और वह देख भी नहीं सकतीं। लेकिन 45 साल में उन्होनें ऐसा कुछ देख लिया कि बस दर्द और मुस्कान के बीच एक ऐसी खुशी जिसे न शब्दों में बयांन किया जा सकता है और नहीं ज़ुबान से बस महसूस किया जाए।
दरअसल, दिसंबर 1971 से पहले तक चालूंका पाकिस्तान का हिस्सा था लेकिन दोनों देशों के बीच जंग के बाद यह भारतीय हिस्सा बन गया। इसके चलते जायबा अपने पति के साथ पाकिस्तान अधिकृत हिस्से में चली गईं। उनके माता-पिता और बाकी भाई-बहन भारत में रह गए। जायबा के भारत जाने के लिए उनके बच्चों ने कागजात जमा किए और 4 लाख रुपये जोड़े। उनकी ओर से नवंबर 2015 में पहली बार भारतीय वीजा के लिए आवदेन किया गया। लेकिन अर्जी खारिज कर दी गई। जायबा की वीजा अर्जी दो बार रद्द हुई। इसके बाद जून 2016 में वीजा दे दिया गया। यहां आने के बाद उन्होंने बताया कि चालुंका का खानपान, लोग, भाषा और प्राकृतिक सुंदरता वैसी ही है जैसे गिलगित-बाल्टीस्तान में है।
जायबा की उम्र 60 साल के करीब हो चुकी हैं। हेराल्ड को उन्होंने बताया, ”अलग होने के सात साल बाद मुझे पता चला कि मेरे माता-पिता और भाई-बहन चालूंका में हैं। जब पता चला कि वे जिंदा हैं तो मुझे बहुत खुशी हुई। भारत सरकार मेरे परिवार का काफी अच्छा ख्याल रख रही है। चालूंका आना काफी थका देने वाला सफर था लेकिन मैं अपनी मां को देखना चाहती थी। इससे मेरी राह आसान हो गई।” यहां आने के बाद भारत सरकार ने कई बार उनके वीजा की अवधि बढ़ा दी।