लखनऊ: देश की जनता को एक बार फिर इस समाचार ने दहला दिया है कि नकली नोट की समस्या पर लगाम लगाने के उद्देश्य से सरकार 500 और 2000 के नये नोटो को सुरक्षा की दृष्टि से 2-3 साल के अंतराल में बदल सकती है।
इस समाचार के बाद जन सामान्य के मन मे यह जिज्ञासा होना स्वाभाविक है कि क्या नवम्बर - दिसम्बर 2016 की भांति लोगो को एटीएम और बैंकों में पुनः लाइन लगानी पड़ेगी। कुछ लोग इसे राजनैतिक लाभ की दृष्टि से देख रहे है । विरिडी पार्टियो द्वारा नोट बंदी का जितना प्रबल विरोध किया गया उतना ही नोटबन्दी का अप्रत्याशित लाभ लेकर भारतीय जनता पार्टी को विधान सभा चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल हुआ। अनुमान लगाया जा रहा है कि 2019 के लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पुनः प्रचण्ड बहुमत से जिताने हेतु सरकार द्वारा एक बार फिर नोट बदलने का काम किया जा सकता है।इसे सरकार की सोची समझी चाल माना जा रहा है।
जानकार सूत्रों के अनुसार नोट बदलने की इस योजना को एक उच्च स्तरीय बैठक जिसमें गृह सचिव,सचिव वित्त और अन्य शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे, को अंतिम रूप दिया गया है।इस बैठक में यह निष्कर्ष निकाला गया कि अधिकतर विकसित देश 3-4वर्षो के अंतराल में करेंसी बदल देते है उसी भाँति भारत मे भी सुरक्षा की दृष्टि से करेंसी नोट को बदल देना चाहिये।