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बोझ

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पहनने वाला ही जानता है जूता कहाँ काटता है। जिसे कांटा चुभे वही उसकी चुभन समझता है।। पराये दिल का दर्द अक्सर काठ का लगता है। अपने दिल का दर्द सदा पहाड़ सा लगता है।। अंगारों को झेलना चिलम खूब जा

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एक लीटर पानी से मंहगा तेल, कर के बोझ तलेदबा इंसानजीएसटी, सीएसटी को विशेषज्ञ चाहेकिसी भी तरह से लोगों को समझाये लेकिन आम लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्‍हेंसरकार ने जो एक देश एक टैक्‍स का वादा किया था वह कहां है? हम पैदा होते हैं तबसेलेकर मरते दम तक एक नहीं तरह तरह के टै

युगो-युगो तक टूट कर गिर जाने सेउम्र कम नहीं हो जाती,आसमान मे चमकोगे तारो की तरह।आकार के छोटा बड़ा हो जाने सेकोई भूल नहीं पाता,ईद-बकरीद,पूर्णिमा, करवाचौथ मे चाँद पूजा जाता।एक रंग मे ऊग कर,उसी रंग मे डूबजाने से औकाद कम नहीं होती।बन आंखो की रोशनी सारेजहाँकी, छठ पर्व मे सम्मानित किया जाता।सूख कर,धूल-बनकर

लघुकथाबोझक्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या बच्चे , सब के सब आधुनिकता के घोड़े पर सवार फैशन की दौड़ में भाग रहे थे और वह किसी उजबक की तरह ताक रहा था । गाँव से आया वह पढा लिखा आदमी, भूल से , एक भव्य माल में घुस आया था और अब ठगा-सा खड़ा था।उसकी नजर एक आदमी पर पड़ी जो एक स्टील के बेंच पर बैठा था। उसके पास

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