नई दिल्लीः मुलायम सिंह यादव की बात छोड़िए, हिंदी न्यूज चैनल के कुछ एंकर्स तक के पांव लपककर छूने वाले मनोज तिवारी भले ही चमचागिरी से भाजपा की राजनीति में रंक से राजा बन गए हों, हकीकत यही है कि पार्टी में ही उनका भारी विरोध हो रहा है। जड़ में है उनका रवैया। दिल्ली में चाहे विधूड़ी गुट हो या फिर खुराना की पंजाबी लॉबी। एमसीडी चुनाव के टिकट वितरण के बाद से दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से चिढ़ने वालों की गिनती इंद्रप्रस्थ में आसमान छूने लगी है। पार्टी के एक नेता कहते हैं कि मनोज तिवारी के व्यक्तित्व में उतने ही गड़बड़ियां हैं जितने कि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह में। यही वजह है कि दोनों नेता अक्सर पार्टी से लेकर बाहर तक तमाम कंट्रोवर्सीज से घिरे रहते हैं।कभी दिल्ली में टिकट वितरण में तमाम आरोपों से घिरने पर संजय सिंह सरेआम महिला से थप्पड़ खा जाते हैं तो कभी पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान वहां अपने ही नेता सुच्चा सिंह के संगीन आरोपों में फंसते हैं। कभी नतीजे आने से पहले लड़कों की तरह टोली में बैठकर ठिठोली करता वीडियो वायरल होने पर पार्टी की किरकिरी करा बैठते हैं। कुछ ऐसा ही हाल भाजपा नेता मनोज तिवारी का भी है। इनके भी कई वीडियो भाजपा की किरकिरी करा चुके हैं। मोदी की नोटबंदी के बाद जनता का मजाक उड़ाते वीडियो में कैद हुए तो खुद के साथ पार्टी की भी फजीहत करा बैठे।
कैलाश खेर का भी तोड़ दिया दिल
दिल्ली एमसीडी चुनाव के लिए भाजपा ने भजन गायक कैलाश खेर को गीत व संगीत तैयार करने के लिए कहा था। कैलाश खेर ने बदल रहा है देश, अब बदलेगी दिल्ली टाइटिल से गीत की रचना शुरू कर आवाज देना शुरू किया। जब तक उनका गीत पूरा होता, उससे पहले ही दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अपनी आवाज में दिल में है दिल्ली टाइटिल सांग गा दिया। जिस पर कैलाश खेर ने नाराजगी भी जताई। जाहिर सी बात है कि आगे किसी गीत के लिए अगर पार्टी कैलाश खेर से बात करेगी तो उन्हें सौ बार सोचना होगा।
सपा-बसपा छाप मनोज को प्रदेश अध्यक्ष बनाना समझ से परे
दिल्ली भाजपा के एक बड़े नेता का कहना है कि दूसरे दलों से किसी नेता को पार्टी में लिया जाना आज की राजनीति के लिहाज से गलत नहीं है। दलबदलू नेता मंत्री, विधायक या सांसद बने तो भी चलेगा। मगर प्रदेश अध्यक्ष जैसा पद खांटी भाजपाई को ही बनाना चाहिए। हेडगेवार, गुरुजी के तप और कुर्बानी का जिसे तनिक भी अहसास न हो, अगर उसके हाथ में ही पार्टी मशाल थमा दे तो दीर्घकाल के लिए पार्टी का वसूलना पर उभरना मुश्किल होगा।
कैसे भाजपा में घुसे मनोज तिवारी
2009 के लोकसभा चुनाव में जब सपा ने मनोज तिवारी को गोरखपुर से उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने मुलायम यादव को वचन दिया था कि वह योगी को हराकर छोडेंगे। मगर योगी की लोकप्रियता के आगे भोजपुरिया सस्ते गीत गाने वाले मनोज तिवारी की हालत चुनाव में खराब हो गई। भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा। चुनाव हारे तो फिर से सपा की राजनीति से तौबा कर लिया। हालांकि जब भी मुलायम से आमना-सामना हुआ तो टिकट के एहसान तले दबे होने के कारण पैर छूने से नहीं चूके मनोज। इसके बाद फिर मनोज अपनी भोजपुरी की दुनिया में लौट गए। भोजपुरी गाने में तो बिजनेस चलता रहा और अभिनेता बनने की कोशिश भी खूब किए मगर रविकिशन पहले ही भोजपुरी में बिग बी का खिताब पा चुके थे। इस बीच जब दिल्ली में अन्ना आंदोलन हुआ तो मनोज तिवारी रामलीला मैदान भी पहुंच गए गाना गाने। आम आदमी पार्टी में भी जुगाड़ नहीं हुआ तो फिर कुछ भाजपा नेताओं का चक्कर काटने लगे। इस बीच अमित शाह से नजदीकियां बढ़ीं तो 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट मिल गया। सांसद हुए और फिर एमसीडी चुनाव में पूर्वांचलियां वोटरों की तादाद को देखते हुए शाह ने दूसरे स्थानीय नेताओं को ऩजरअंदाज करते हुए चार दिन की राजनीति वाले मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
शिक्षिका को कर चुके हैं अपमानित
उत्तर-पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी को बीते दिनों एक स्कूल के कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। वहां उनकी प्रशंसक एक शिक्षिका ने गाने की फरमाइश क्या कर दी कि मनोज तिवारी भड़क उठे। शिक्षिका को सांसद की प्रोटोकॉल की धौंस दिखाते हुए अपमानित कर स्टेज से नीचे उतरवा दिया। यह वीडियो काफी वायरल हुआ तो बाद में तिवारी को सफाई देनी पड़ी। खास बात है कि स्कूल के मंच पर सांसदी का प्रोटोकॉल झाड़ने वाले तिवारी जब बनारस में प्रचार करने गए तो टीवी पर दिखने के लिए रिक्शा चलाने से लेकर हर वो स्टंट किए, जो कि उनके प्रोटोकॉल से मैच नहीं खाता।