खुद की निकल तलाश में तू
गेरो से इतना हताश क्यों है ll
बिछाए है कांटे राहों में
छीना नही सफर
तू इतना निराश क्यों है ll
अस्त हुआ है सूरज अभी बस
दिन ढला नही है ll
तू अंधेरे से इतना डरता क्यो है ll
जिंदगी बाकी है अभी तेरी
खत्म नही हुई जिन्दगी ll
तू इतनी जल्दी हार जाता क्यों है ll
अकेला है बस आज तू
उमिंदो का दामन छूटा तो नही है
तू रुक जाता क्यों है ll
मिलेगी मजीले भी एक दिन
तू सपनो को उड़ान देता क्यो नही हैं ll
सारा आसमा तेरा होगा
तू उड़ानों से डरता क्यो है ll