shabd-logo

क्यों

3 जनवरी 2022

33 बार देखा गया 33

खुद की निकल तलाश में तू
गेरो से इतना हताश क्यों है ll
बिछाए है कांटे राहों में
छीना नही सफर
तू इतना निराश क्यों है ll
अस्त हुआ है सूरज अभी बस
दिन ढला नही है ll
तू अंधेरे से इतना डरता क्यो है ll
जिंदगी बाकी है अभी तेरी
खत्म नही हुई जिन्दगी ll
तू इतनी जल्दी हार जाता क्यों है ll
अकेला है बस आज तू
उमिंदो का दामन छूटा तो नही है
तू रुक जाता क्यों है ll
मिलेगी मजीले भी एक दिन
तू सपनो को उड़ान देता क्यो नही हैं ll
सारा आसमा तेरा होगा
तू उड़ानों से डरता क्यो है ll


Ekta की अन्य किताबें

26
रचनाएँ
नारी जीवन
4.5
नमस्कार 🙏🙏🙏 मेरे प्रिय पाठकों मैं अपनी पहली रचना नारी जीवन लिखने जा रहीं हू.... इसमे नारी के कितने जीवन एक ही जिंदगी मे जीने मिलते है ये भी दिखाना चाहूँगी... तो चलिए चलते है अपने सफ़र पर हमने अक्सर ये देखा है कि सभी की जिंदगी मे जीवन हर मोड़ पर नित नए सफर और मंजिल पर चलना सिखाती है और ये सफर ही मंजिल तक जाने का नाम जिंदगी है.. फिर कोई भी क्यो ना हो चाहे कोई गरीब हो या अमिर बेटा हो या फिर बेटी किसी भी वर्ग किसी भी प्रांत किया बात कुओं ना हो.... और वही अगर हम बात एक बेटी की करे तो उसकी जिंदगी तो होती ही है बहुत सी परीक्षा से लड़ने वाली हर वक्त बस जिंदगी एक परिक्षा होती हैं ll और बेटी की जिंदगी मे कभी ना ही परीक्षा खत्म होती है ना ही उनसे लड़ने की उम्मींद... तो ऐसी ही एक बेटी... एक नारी की जिंदगी को हम आपसे बांटने लाए है ll तो ये सफर है सीना का ll सीना जो हमारी कहानी की एक महत्वपूर्ण किरदार है... सीना.... तो चलिए जानते है सीना को और देखते है सीना कि जिंदगी की रोचक परीक्षाओ को कैसे सीना उन्हें सुलझा पाएगी ll हम सभी जानते है कि जीवन में हमेशा वो नही होता ....जो हम चाहते हैं या फिर जो भी हम सोचते हैं ll फिर भी हम इन्तजार करते हैं या ये कहे कि विश्वास रखते है की जो हो रहा है अछा हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा ll और हमारी सीना तो हमेशा से ऐसी ही थी जो..... इसी बात पर जीती थी.... कि जो है अच्छा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा.... उसने हमेशा सभी की खुशियो में ही खुश रहना सिखा था और छोटी छोटी सी ख्वाहिशें और सपने है सीना के जिनमें उसकी सारी दुनिया समायी रहती है ll कुछ बड़ा नहीं कुछ खास नहीं..... सीना एक मध्य वर्गीय परिवार मे जन्मीं सीधी सादी सी लड़की.... सीना के पापा कैलाश त्रिपाठी जी जो सरकारी बिजली बिभाग मे एक क्लर्क की पोस्ट पर कार्यरत है ll और मम्मी रुक्मणी त्रिपाठी जो एक हाउस वाइफ है ll                 एक छोटा भाई संदीप जो अभी 12 वी क्लास का स्टूडेंट है ll इक छोटी बहन है नेहा जो 9th क्लास मे पढ़ती है ll एक छोटा सा खुशहाल परिवार है सीना का ll सीना ने अभी अभी 19 साल की हुई है ll और सीना ने 12 पास कर  b. Com फर्स्ट ईयर मे एडमीशन लिया है ll और कुछ दो महीने हुए हैं उसे कॉलेज स्टार्ट किए ll आज का दिन भी रोज की तरह ही था ll सुबह की पहली
1

कशमकश

18 अक्टूबर 2021
9
4
3

कभी किसी का दिल रखा <div>तो कभी किसी का </div><div>इसी कशमकश मे भूल गए </div><div>अपन

2

बहन

18 अक्टूबर 2021
6
4
2

<div>एक दूसरे की जान</div><div>होती है दोस्त और माँ भी बहन</div><div>करती सबसे झगड़ा </div><div

3

तजुर्बा

19 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div>उम्र तो नहीं</div><div>तजुर्बा कहता है </div><div><span style="font-size: 1em;">कोइ नहीं क

4

रिश्ते

20 अक्टूबर 2021
3
3
2

<div>यू तो कोई नहीं तेरा</div><div>फिर भी तू तमाम रिश्तों से घिरा है </div><div>हकीकत तब ब्यान

5

मालूम

20 अक्टूबर 2021
1
1
1

<div>मालूम ना था</div><div>इक दिन ऐसा भी आएगा ll</div><div>अपनों का मेला होगा </div><div><span

6

हकीकत

20 अक्टूबर 2021
1
0
1

<div>हकीकत तो कुछ और ही रहीं तेरी</div><div>कहानी ही बन गयी जिंदगानी </div><div>अपनों की इस भीड

7

जी हजूरी

20 अक्टूबर 2021
1
0
1

<div>नहीं की जी हजूरी तो</div><div>हम किसी के भी नहीं रहे</div><div>करते रहे जो गुलामी तो </div

8

बरखा

28 अक्टूबर 2021
3
3
1

<div>जब जब बरखा रानी आती</div><div>कितनी ढेरों खुशिया ले आती </div><div><br></div><div>नए नए नि

9

नारी जीवन - 2

22 नवम्बर 2021
1
0
1

उसी दिन शाम को करीब 6 बजे का वक्त हम सभी साथ ही बेठे थे ll पापा अभी तक आए नहीं थे दफ्तर से....

10

क्यों

23 नवम्बर 2021
1
0
1

<div>चाहा नहीं</div><div><br></div><div>माँगा नहीं </div><div><br></div><div>फिर क्यों </d

11

नारी जीवन - 3

23 नवम्बर 2021
2
0
2

करीब सुबह 11 बजे लड़के वाले और लड़का सीना के घर आते है ll<div><br></div><div>हमारी कहानी का दूसरा कि

12

नारी जीवन - 4

29 नवम्बर 2021
1
0
1

<div align="left"><p dir="ltr">सैम डे करीब 2 बजे खाना खा कर मोहन जी और बाकी सभी घर के लिए निकलते है

13

नारी जीवन - 5

1 दिसम्बर 2021
2
0
1

<div align="left"><p dir="ltr">एक दिन करीब दो महीने बाद सुबह सुबह 7 बजे फोन की घंटी और ये क्या मोहन

14

नारी जीवन - 6

1 दिसम्बर 2021
1
0
1

<div align="left"><p dir="ltr">दिनाक - 20 सगाई का दिन सीना के घर रिश्तेदारों की चहल-पहल और चारों ओर

15

नारी जीवन पहला अध्याय भाग - 7

1 दिसम्बर 2021
1
0
1

<div align="left"><p dir="ltr">सगाई के बाद दुसरा दिन avi का घर.... <br> Avi - लडकी मे कुछ कमी है शाय

16

नारी जीवन पहला अध्याय भाग - 8

1 दिसम्बर 2021
1
0
1

<div align="left"><p dir="ltr">अब रोज फोन आने लगे थे अवी के..... और सीना भी समय बीतते बीतते सहज हो ग

17

क्यों

3 जनवरी 2022
3
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">खुद की निकल तलाश में तू<br> गेरो से इतना हताश क्यों है ll<br> बिछाए है कांटे राहों में <br> छीना नही सफर <br> तू इतना निराश क्यों है ll<br> अस्त हुआ है सूरज अभी बस<br> द

18

मुश्किल सफर था

7 जनवरी 2022
0
0
0

हर दफ़ा हर सीढ़ी पर मैं डरता सा चल रहा था ll चलते चलते थक हांफ कर फिर गिर रहा था ll मुश्क़िल था जीना यूं खुद से ही लड़ कर जिन्दगी ll फिर भी ना जाने किस उमिंद में जी रहा था ll एक ही सवाल मेरे जहन मे अब

19

मेहनत के आगे

8 जनवरी 2022
1
1
0

मत बैठ नसीब के भरोसे तू मेहनत के आगे सर झुका ले ll कितनी भी हो समस्या जिन्दगी में खुद को ही समाधान बना ले ll ना दे वक्त जो वक्त तुझे तो अपना वक्त तू खुद बना ले ll रोके जो तूफान तुझे तो दिल को तू चट्टा

20

Hindi humari

10 जनवरी 2022
0
0
0

हमारी वर्तनी हिन्दी हिन्दी हमारी व्याकरण ll हमारी संस्कृति हिन्दी हिन्दी हमारा आचरण ll हमारा ज्ञान हिन्दी हिन्दी हमारी वेदना ll हमारी चेतना हिन्दी ll हिन्दी हमारी आत्मा ll हमारी भावना हिन्दी हिन्द

21

थाम लो या त्याग दो

12 जनवरी 2022
0
0
0

तुम प्रेम हो जो अगर तो थाम लो उस तरह जैसे हर दफा भीड़ में मां मेरा हाथ थाम लेती है ll तुम विरह हो जो अगर तो त्याग दो कुछ इस तरह जैसे बाबा अपने खुयाबो को अपनो की खुशी के लिए त्याग देते है ll

22

मुझे गलत खुद को सही कहने वाले

8 फरवरी 2022
1
1
0

वो मुझे गलत और खुद को सही कहने वाला हम फिर भी उसे प्यार करते है ll उसे नही दिखाई देती अब तकलीफ हमारी हम फिर भी उसके सामने हस्ते है ll वो चला जाता है बार बार किसी और ही रास्ते अपनी मोहब्बत को साबित

23

, फिर से वो मिट्टी की खुश्बू चाहता हूं

9 फरवरी 2022
1
1
1

मै फिर से अब वो बचपन वाली छुट्टी चाहता हूं ll बरसात में आने वाली मिट्टी की वो खुशबू को फिर से एक बार महसूस करना चाहता हूं ll मैं फिर से एक बार वो बचपन वाली सी सुलह चाहता हूं ll दो उंगलियों के मिलाने भ

24

खुद ही उड़ते जाते

18 मई 2022
0
0
0

अगर शब्दो के पंख होतेजरूरत ही ना होती किसी सी कुछ कह पाने कीखुद ही उड़ते जाते येपहुंच जाते जरूरत बातो पे जिन्हें होती जितनी जरूरत इनकी llउसकी उतनी बात होती ll कितनी सुहानी सी रात होतीकि

25

फिक्र

19 मई 2022
0
0
0

फिक्र जिनकी सुबह शाम थीउनका भी दिल दुखा दिया llइन मुहब्बत के एहसासों नेहर रिश्ता उलझा दीया llचाहते तो थे सभी को खुश रखनापर सच पूछो तो उनको रुला दीया llकैसे बताए कितना चाहते थे हमउन्होंने ने तो हमे बेव

26

क्या देखूं

20 मई 2022
0
0
0

अब इससे बुरा क्या देखू मैंखुद को सब कुछ खोते देखा है मैंनेअब इससे ज्यादा क्या समझूं मैंखुद को समझाने में जमाना बदलते देखा मैने

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए