हर दफ़ा हर सीढ़ी पर मैं डरता सा चल रहा था ll
चलते चलते थक हांफ कर फिर गिर रहा था ll
मुश्क़िल था जीना यूं खुद से ही लड़ कर जिन्दगी ll
फिर भी ना जाने किस उमिंद में जी रहा था ll
एक ही सवाल मेरे जहन मे अब चल रहा था ll
आखिरी सीढी है बस इतना नजर आ रहा था ll
अकेला ही है तू इस सफर में ये जान गया था ll
बावजूद इस के मैं हर इम्तिहान से लड़ रहा था ll
जाना था बहुत दूर तक और मुस्किल सफर था ll
जितना है अब कर चुका ये फेसला था ll