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नारी जीवन पहला अध्याय भाग - 7

1 दिसम्बर 2021

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सगाई के बाद दुसरा दिन avi का घर....
Avi - लडकी मे कुछ कमी है शायद...

संतोष - avi तुम पागल तो नहीं हो गये कंही ll ये क्या बोल रहे हो avi को डाटती है ll
Avi - नहीं मम्मी सही मे.... या फिर शायद गूंगी तो नहीं कही
मम्मी - चुप करो तुम क्या बोले जा रहे हो कुछ भी अनाप शनाप ll
Avi - पर पापा कुछ तो है नहीं तो यू बिना कुछ कहे बिना कुछ बोले क्यो बुला ले गये सीना को..... उसका भाई हम क्या खा जाते उसे
मम्मी - चलो रुको अभी तुम्हारी बात करवाती हू रुको तुम

ट्रिन ट्रिन..... ट्रिन ट्रिन.......
कैलाश जी हेलो नमस्कार जीजी नमस्कार जी ओर कैसे है हो गयी सभी रिश्तेदारों की विदाई..... हनजी बस सीना की बुआ फूफा और भाई वो लोग कल जायेगे बाकी तो सभी विदा हो गये।। चलो अच्छा है।। और जीजी सभी खुश तो है कोई कमी कोई गलती तो नहीं हुई ना।। अरे नहीं नहीं बस Avi को एक शिकायत है..... अरे क्या हुआ क्या कमी रही बताईये।। बस कमी तो नही सीना से बात चीत करना चाहते था ll जो हो नहीं सकीं तो बस वही एक बात थी ll लो ये कोनसा कोई बड़ी बात है ll और अब तो सीना आपकी भी है जब मरज़ी बात कीजिए ll लो अभी करवा देते है बात लिजिए lll सीना सीना कहा हो बेटा इधर आओ हनजी पापा लो आपकी सास आपसे बात करेगी।।

"ये अरेज मेरीज कुछ इस तरह की होती है जहां सब कुछ नया और अलग अनजान " 
पर फिर भी आज भी अपनी संस्कृति यहि है और यही है यहां के संस्कार ll सीना बहुत घबराई हुई सी नमस्ते आन्टी जी नमस्ते बेटी और एक बात बेटा अब anty नहीं मम्मी बोलने की आदत डाल लो ll सीना हाँ जी...... पर मन ही मन सोचती हुई ll कैसे कोई इतनी जल्दी अपनी आदत को बदल सकेगा ll समय तो लगेगा ना पर यहां कोई नहीं समझता ये और लड़की को बस हर जगह ये बादलों वो बादलों शुरू हो जाता है ll पर कर भी क्या सकते है ll करना तो है ही अब ये सब और कुछ बात करने के बाद Avi को फोन देते हुए लो सीना Avi बात करेगा आपसे  बात करो.......हैलो कैसे हों Avi बोलता है और सीना सिर्फ हाँ ना हम्म इसमे ही सारी बात खत्म की और जल्दी से बाये करके फोन काट दिया ll सीना ने इससे पहले कभी किसी लड़के से बात नहीं की क्यों कि जिस समाज मे हम रहते हैं और 90 के दशक मे किसी लड़की का लड़के से बात तो दूर देखना तक गलत समझा जाता था तो सीना की हिचकिचाहट गलत नहीं थी पर Avi को ये जरा भी पसंद नहीं आया था यू उसका फोन काट देना ll

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नमस्कार 🙏🙏🙏 मेरे प्रिय पाठकों मैं अपनी पहली रचना नारी जीवन लिखने जा रहीं हू.... इसमे नारी के कितने जीवन एक ही जिंदगी मे जीने मिलते है ये भी दिखाना चाहूँगी... तो चलिए चलते है अपने सफ़र पर हमने अक्सर ये देखा है कि सभी की जिंदगी मे जीवन हर मोड़ पर नित नए सफर और मंजिल पर चलना सिखाती है और ये सफर ही मंजिल तक जाने का नाम जिंदगी है.. फिर कोई भी क्यो ना हो चाहे कोई गरीब हो या अमिर बेटा हो या फिर बेटी किसी भी वर्ग किसी भी प्रांत किया बात कुओं ना हो.... और वही अगर हम बात एक बेटी की करे तो उसकी जिंदगी तो होती ही है बहुत सी परीक्षा से लड़ने वाली हर वक्त बस जिंदगी एक परिक्षा होती हैं ll और बेटी की जिंदगी मे कभी ना ही परीक्षा खत्म होती है ना ही उनसे लड़ने की उम्मींद... तो ऐसी ही एक बेटी... एक नारी की जिंदगी को हम आपसे बांटने लाए है ll तो ये सफर है सीना का ll सीना जो हमारी कहानी की एक महत्वपूर्ण किरदार है... सीना.... तो चलिए जानते है सीना को और देखते है सीना कि जिंदगी की रोचक परीक्षाओ को कैसे सीना उन्हें सुलझा पाएगी ll हम सभी जानते है कि जीवन में हमेशा वो नही होता ....जो हम चाहते हैं या फिर जो भी हम सोचते हैं ll फिर भी हम इन्तजार करते हैं या ये कहे कि विश्वास रखते है की जो हो रहा है अछा हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा ll और हमारी सीना तो हमेशा से ऐसी ही थी जो..... इसी बात पर जीती थी.... कि जो है अच्छा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा.... उसने हमेशा सभी की खुशियो में ही खुश रहना सिखा था और छोटी छोटी सी ख्वाहिशें और सपने है सीना के जिनमें उसकी सारी दुनिया समायी रहती है ll कुछ बड़ा नहीं कुछ खास नहीं..... सीना एक मध्य वर्गीय परिवार मे जन्मीं सीधी सादी सी लड़की.... सीना के पापा कैलाश त्रिपाठी जी जो सरकारी बिजली बिभाग मे एक क्लर्क की पोस्ट पर कार्यरत है ll और मम्मी रुक्मणी त्रिपाठी जो एक हाउस वाइफ है ll                 एक छोटा भाई संदीप जो अभी 12 वी क्लास का स्टूडेंट है ll इक छोटी बहन है नेहा जो 9th क्लास मे पढ़ती है ll एक छोटा सा खुशहाल परिवार है सीना का ll सीना ने अभी अभी 19 साल की हुई है ll और सीना ने 12 पास कर  b. Com फर्स्ट ईयर मे एडमीशन लिया है ll और कुछ दो महीने हुए हैं उसे कॉलेज स्टार्ट किए ll आज का दिन भी रोज की तरह ही था ll सुबह की पहली
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तुम प्रेम हो जो अगर तो थाम लो उस तरह जैसे हर दफा भीड़ में मां मेरा हाथ थाम लेती है ll तुम विरह हो जो अगर तो त्याग दो कुछ इस तरह जैसे बाबा अपने खुयाबो को अपनो की खुशी के लिए त्याग देते है ll

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