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नारी जीवन - 2

22 नवम्बर 2021

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उसी दिन शाम को करीब 6 बजे का वक्त हम सभी साथ ही बेठे थे ll पापा अभी तक आए नहीं थे दफ्तर से.... 

फिर फोन आता है ll और मम्मी से बात होती है ll हैलो कैसे है जीजा जी और दीदी कैसी है ll यहां सब बडिया है आप सभी सुनाओ ll

यहां भी सब कुशल मंगल है ll और घूम जाइए बहुत समय हो गया आए नहीं आप सभी यहा .... बस अब मिलते है जल्दी ही...... वेसे सुबह मेने सीना बिटिया की शादी के सिलसिले मे फ़ोन किया था ll  कुछ सोचा है इस बारे मे कोई विचार कर रहे है क्या आप लोग ll जीजाजी शादी तो करनी ही हैं ll आपकी नजर में है कोई लड़का तो बताए ll देखने मे क्या हर्ज हैं ll सही लगा और समझ आया तो बात चित करने मे तो कोई दिक्कत नहीं है ll 
हाँ है तो देख लो आप लोग आपस मे सहमति कर लो कैलाश आ जाए पूछ लो तो मुझे बता देना ll फिर यहां भी बात करके देखते है ll सीना बिटिया को तो लेके जाना ही है बोला था हमने ll

सीना सब दूसरे कमरे मे बेठि सुन रहीं थीं ll उसे समझ आ रहा था कि शादी की बातें ही चल रहीं है ll पर वो कभी कुछ बोलती ही नहीं थी तो उस समय चुप बस सुन कर रह गयी ll

बोलती भी तो क्या उसने भी सोचा कि बात ही तो हो रहीं है अगर मम्मी कुछ कहेंगी तो बात करुँगी ll अंदर ही अंदर गुस्सा तो आ रहा था थोड़ा पर वो कुछ कर नहीं सकती थी
तो चुप रहना ही बेहतर समझती है इस समय के लिए ll

डोर वेल बजती है ll सीना गेट खोलती हैं ll पापा आ गए आप बेग लेती हुई ll हाँ बेटा जी और पापा कैसा रहा आपका दिन?? अच्छा था बेटा आप बताओ सही चल रहा है कॉलेज हन जी पापा जी ll लॉ पापा जी पानी 

अरे आज जल्दी आ गए आप तो आप क्या सोचती हो हम घर ना आया करे ll हर बार की तरह रुक्मणी और कैलाश मे वो मीठी सी तकरार शुरू हो गयी ll मैं चाय लाती हू पापा के लिए ll 
पापा - और वो दोनों आए नहीं अभी तक classes से ll जरा ध्यान रखा करो ईन पर करते क्या है दोनों 

मम्मी - अरे आ ही रहे होंगे टाइम तो हो... तो ही आयेंगे ना ll अच्छा सुनिए वो तिवारी जीजा जी का फोन आया था अभी.... बोल रहे थे कि आपसे बात करू अगर आपको सही लगे तो एक बार देखने मे क्या हर्ज है लड़के को ll

पापा - तुम भी ना अभी पढ़ रहीं है सीना और शादी के लिए पैसे भी चाहिए यू बस लड़का देखा और हो गयी शादी बस ऐसा नहीं होता सीना की मम्मी ll

मम्मी - पर.... अ ए वो मैं क्या सोच रहीं थीं कि अगर देख ले देखने मे बुराई क्या है ll 

चलो ठीक है पापा ही सहमत नहीं है अभी तो सही रहा मैं कुछ नहीं बोली अभी बच गई ll सीना बहुत खुश होती है ll फ़िलहाल वो थोड़ा सा relex थी ll

उधर रुक्मणी जी ओर कैलाश दोनों की मन मे तो बात आ ही गयीं थी ll 
संडे सुबह  10 बजे आज़ सभी घर ही है ll पापा का भी रेस्ट होता है तो पापा भी घर ही थे ll हम सभी संडे को इक साथ बेठ नास्ता कर रहे थे ll वो इक दिन सभी बस परिवार के साथ समय बिताते थे ll तो बस कुछ मम्मी पापा की मीठी खट्टी सी नोक झोंक और संदीप के मजे लेती छोटी नेहा हम सब बेड़े मजे से संडे का लुफ्त ले रहे थे ll

ट्रीन..... ट्रीन हैलो कैसे हैं जीजा जी सीना धक से हाय रे अब क्यों फोन आ गया इनका अब क्या चाहिए ll सीना को फू फा जी का फोन बिल्कुल अच्छा नहि लगा ll

वो उठ कर अपने कमरे मे चली जाती है ll और अपनी बुक्स उठा पड़ने लगती है ll

तभी उसे कुछ आवाज आती है ठीक है लड़का अच्छा है तो एक बार मिल लेते है ll क्या फर्क पड़ता है मिलने मे क्या हर्ज है ll फोन कत जाता है ll

मम्मी और पापा आपस मे डिस्कस करते है ll 
लड़का अच्छा है बी.टेक कर चुका है llऔर घर का अकेला बेटा है ll एक बहन है जिसकी शादी हुए तकरीबन 8 साल हो गये है ll दो बच्चे है और बेटी अपने घर सेटल है ll अच्छा घर पढा- लिखा लड़का और अच्छी प्रॉपर्टी सब यही सब तो देखते है सभी तो देख लेते है  एक बार लड़के को ll हर माँ बाप जी एक लड़की कि खुशियो के लिए चाहते है वो सब है अवि मे था ll 

जब सीना सुनती है तो उसे डर लगता है थोड़ा की कहीं सही मे सब सही रहा तो कहीं उसकी शादी इसी साल ना कर दी जाए ll

साथ ही एक सवाल सीना के जहन मे उठा कि क्या बस इतना बहुत होता है , ?? एक शादी के लिए पर हमारे समाज में यही सब देखा जाता है और इससे ज्यादा शायद कोई सोचता भी नहीं कि देखा जाना चाहिए....

कुछ दो दिन बाद अवि के परिवार वालों के आने का समय तय किया जाता है ll सीना को समझ आ गया था कि ये सब बहुत जल्दी होगा पर इतना जल्दी ये नहीं पता था ll 

बुधवार सुबह करीब 7 बजे सीना बेटा आज कॉलेज से छुट्टी ले लो फोन करके बता दो प्रतिमा को की आज नहीं तो जाओगी तुम ll 
पर मम्मी क्यों आपने कल तो कुछ नहीं कहा आज अचानक क्या हुया आपकी तबियत भी ठीक है ll कोई आने वाला है क्या कल से पापा और आप बड़ी तयारी मे लगे हों मैं अपने सेमेस्टर मे बिजी थी दो दिन से बी.ए के एग्जाम चल रहे थे उसे सिर्फ यही टेंशन थी आजकल ll

मम्मी - सीना आज लड़के वाले देखने आ रहे है...

सीना - क्या 😳 मम्मी मतलब मेरे exam चल रहे है और आप ये सब कर.... करना छोड़ो सोच भी कैसे सकते हो मुझसे पूछना तो छोड़िए बताया तक नहीं आपने

मम्मी - अरे बेटा कल शाम ही फोन आया तुम प्रतिमा के पास गयी हुई थी ll और फिर मैं बिजी हो गयी ll आई थी कमरे मे तब तक तुम सो गयी थी... तो मेने सोचा सुबह बता दूंगी ll
सीना - सीना बहुत दुखी और हताश हो अपने रूम मे चली जाती है ll और बस एक ही परेसानी कि अब उसकी पढ़ाई उसकी लाइफ सब बस दूसरों के हाथों मे हो जाएगी मुझे कितना कुछ करना है अभी और ये सब पर पापा से कैसे कहु ll 

(सीना का सोचना सही भी था क्यों कि हमारे समाज में आज भी बहुत सी जगह यही होता है।। लड़की है बस पढ ली जितना पढ़ना था क्या करेगी अब बनाना तो खाना ही घर में।) 
सीना बहुत डरी सी है पता नहीं क्या होना है।। लेकिन घर की खुशी पापा की इच्छा और उनके सामने कभी न बोलने वाली उसकी आदत..... सीना करे भी तो क्या ll
आज वो बहुत अकेला महसूस कर रहीं थीं ll किस्से कहे कैसे ये सब से पीछा छुटाय ll 

फिर सीना ने भी सोच कि अभी शायद यही सही है और करू भी क्या उसकी क़िस्मत मे जो होना है वो होगा ही भगवान का नाम लेती है और है सोचती है कि शायद पापा ने सोचा है तो यही सही होगा तभी तो भगवान ने ये सब दिया है तो क्यों किसी से अब कुछ भी उम्मीद लगाना  और सीना ने भी अब खुद से लडना छोड़ तयार होती है 

(आज भी बहुत से घरों में हमारे समाज में बेटियों की खुद की कोई जिंदगी कोई वजूद नहीं है ये सही है कि अब बहुत कुछ बदल रहा है और बदलाव आया भी है पर उतना नहीं)


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Anita Singh

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बढ़िया

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नमस्कार 🙏🙏🙏 मेरे प्रिय पाठकों मैं अपनी पहली रचना नारी जीवन लिखने जा रहीं हू.... इसमे नारी के कितने जीवन एक ही जिंदगी मे जीने मिलते है ये भी दिखाना चाहूँगी... तो चलिए चलते है अपने सफ़र पर हमने अक्सर ये देखा है कि सभी की जिंदगी मे जीवन हर मोड़ पर नित नए सफर और मंजिल पर चलना सिखाती है और ये सफर ही मंजिल तक जाने का नाम जिंदगी है.. फिर कोई भी क्यो ना हो चाहे कोई गरीब हो या अमिर बेटा हो या फिर बेटी किसी भी वर्ग किसी भी प्रांत किया बात कुओं ना हो.... और वही अगर हम बात एक बेटी की करे तो उसकी जिंदगी तो होती ही है बहुत सी परीक्षा से लड़ने वाली हर वक्त बस जिंदगी एक परिक्षा होती हैं ll और बेटी की जिंदगी मे कभी ना ही परीक्षा खत्म होती है ना ही उनसे लड़ने की उम्मींद... तो ऐसी ही एक बेटी... एक नारी की जिंदगी को हम आपसे बांटने लाए है ll तो ये सफर है सीना का ll सीना जो हमारी कहानी की एक महत्वपूर्ण किरदार है... सीना.... तो चलिए जानते है सीना को और देखते है सीना कि जिंदगी की रोचक परीक्षाओ को कैसे सीना उन्हें सुलझा पाएगी ll हम सभी जानते है कि जीवन में हमेशा वो नही होता ....जो हम चाहते हैं या फिर जो भी हम सोचते हैं ll फिर भी हम इन्तजार करते हैं या ये कहे कि विश्वास रखते है की जो हो रहा है अछा हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा ll और हमारी सीना तो हमेशा से ऐसी ही थी जो..... इसी बात पर जीती थी.... कि जो है अच्छा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा.... उसने हमेशा सभी की खुशियो में ही खुश रहना सिखा था और छोटी छोटी सी ख्वाहिशें और सपने है सीना के जिनमें उसकी सारी दुनिया समायी रहती है ll कुछ बड़ा नहीं कुछ खास नहीं..... सीना एक मध्य वर्गीय परिवार मे जन्मीं सीधी सादी सी लड़की.... सीना के पापा कैलाश त्रिपाठी जी जो सरकारी बिजली बिभाग मे एक क्लर्क की पोस्ट पर कार्यरत है ll और मम्मी रुक्मणी त्रिपाठी जो एक हाउस वाइफ है ll                 एक छोटा भाई संदीप जो अभी 12 वी क्लास का स्टूडेंट है ll इक छोटी बहन है नेहा जो 9th क्लास मे पढ़ती है ll एक छोटा सा खुशहाल परिवार है सीना का ll सीना ने अभी अभी 19 साल की हुई है ll और सीना ने 12 पास कर  b. Com फर्स्ट ईयर मे एडमीशन लिया है ll और कुछ दो महीने हुए हैं उसे कॉलेज स्टार्ट किए ll आज का दिन भी रोज की तरह ही था ll सुबह की पहली
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