अगर शब्दो के पंख होते
जरूरत ही ना होती
किसी सी कुछ कह पाने की
खुद ही उड़ते जाते ये
पहुंच जाते जरूरत बातो पे
जिन्हें होती जितनी जरूरत इनकी ll
उसकी उतनी बात होती ll
कितनी सुहानी सी रात होती
कितनी निराली वो बात होती ll
जो अगर शब्दो के पंख होते
देर किए बिना हर किसी के पास होती ll
ना किसी से कोई बात होती
ना किसी के भी जज्बात को आहत होती ll
जो पंख पखेरू शब्द बन जाते
पंछी से डाल डाल पर उड़ते जाते ll
कोई हो किसी हाल में भी
ए पंख रूपी शब्द हर किसी के पास होते ll