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नारी जीवन - 4

29 नवम्बर 2021

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सैम डे करीब 2 बजे खाना खा कर मोहन जी और बाकी सभी घर के लिए निकलते है ll चलिए फिर मुलाकात होगी और खुश खबरी के साथ भगवान ने चाहा तो ll

सभी के जाते ही आपस मे लड़का तो देखने मे स्मार्ट है ll नोकरी भी अच्छी है ll घर परिवार सब बहुत अच्छा है ll सीना सभी को साफ सुन सकती थी ll सीना को कोई खुशी नहीं थी ll वो परेशान थी कि एक बार भी उससे किसी ने पूछा तक नहीं की वो शादी करना भी चाहती है या नहीं ll
उसकी आँखों में पानी था और दिल मे दर्द ll
दीदी लड़का है तो बहुत स्मार्ट और अगर सब सही हुया तो मेरे जीजा जी बन जाएंगे ll सीना कुछ नहीं बोलती ll
बस चुप सबको सुनती रहती है ll
जहाँ सीना के घर वाले सभी बहुत खुश थे वही
इधर सीना के मन में बस ऐ चल रहा था कि ना हो जाएं। वहीं उधर अवि के घर खुशियों की बहार थी।

और वो है" ना कि जब-जब जो जो होना है।।सो-सो तब-तब होना है"।

(क्या शादी बस इसी लिए की जाती है सही है सभी यह सोचते है उनके मां बाप की सेवा देखभाल हो सके ऐसा कोई हो पर क्या बस यही है एक सुखद शादी की नींव)

चलिए देखते है क्या होता है आगे.......

Avi के घर अब ऐ तय होता है कि कब और कैसे सब करना है मतलब सगाई को लेकर चर्चा होने लगती है ll

और फिर कुछ दिनों तक कोई बात नही होती शादी की तो सीना कुछ चेन की साँस लेती है ll कि चलो शायद उन लोगों को मैं पसंद नहीं आई ll शुक्र है ll बच गयी मैं अभी तो ll
पर इतना आसान कुछ नही होता यहां ll

उस दिन सुबह आसमान में बादल छाए हुए बारिश की बुहार और पंछियों की चहक बहुत सुहाना था मोसम आज और संडे का दिन तो आज सभी की छुट्टी थी ll हम सब साथ ही बेठे हमेशा की तरह आज नहीं सभी चाय का लुफ्त ले रहे थे साथ ही गप शप चल रहीं थीं ll
टिरीन-टिरीन पापा के फोन की घंटी बजती है, सीना देखती है मोहन जी... 
देखते ही सीना का दिल जोरो से धड़कता है और सोचने लगती है ll सारा मोड़ ही खराब कर दिया इन्होंने आज सुबह सुबह पता नहीं क्या होगा??
हे भगवान बचा लेना मुझे
हैलो कैसे है मोहन जी ll हम सब अच्छे है ll आप लोग बताए कैलाश जी वहां सब कुशल मंगल?? 
हनजी सब सही है यहां भी ll
फिर क्या सोचा हम सभी की तो सीना पसंद है ll और avi की मम्मी का कहना तो ये है कि इन्हीं नवरात्रों मे सगाई कर ली जाए ll आप लोगों ने क्या सोचा ll avi को देख समझ लिया हो ll और सही लगे तों आगे के लिए सोचा कुछ ll
केलाश जी,..... हुक्म किजिए क्या इच्छा है सभी की

"" क्यों आखिर हुक्म क्यों क्या नारी के जीवन में हर रिश्ते मे हर समय ये हुक्म जरुरी है ""
सीना शुरुआत से ही थोड़ी सी अलग थी वो बहुत सीधी सादी सी जरूर थी ll पर वही दूसरी तरफ उसे समाज के ईन दोगले और बेकार से लड़कियों के लिए बने कुछ नियमो से नफरत सी थी ll वो स्वाभिमानी लड़की थी.... तो उसे ईन सबसे विरोध था...
उधर मन मे एक अजीब सा डर और घबराहट अब सीना का दिल जोरो से धड़क रहा था बहुत से सवाल थे और मन ही मन उनके जवाब भी... जो सीना खुद को ही दिए जा रहीं थीं दिलासे के लिए ll
मोहन - सीना से बात हो सकती है???
केलाश - जी हनजी क्यों नहीं ।। सीना सीना बुलाते हुए उधर सीना बहुत घबराई सी दिल ही दिल पता नहीं क्या क्या बड़बड़ाती हुई। नहीं पता क्या बात करेगी मुझसे क्या बात करनी है इन्हें पापा से हो गई तो रख दे ना।।पर बात तो करनी है अब वो कहते हैं ना..... कि आप क्या सोचते हैं क्या चाहते हैं ये कभी कोई नही पूछता.....
हैलो नमस्ते अंकल जी.... नमस्ते बेटी ओर कैसे हो???
जी अंकल यहां सब बढ़िया..... आप सभी??? यहां भी सब बढ़िया ll
लिजिए पापा से बात करिए फटाक से फोन देकर जान बचाती हुई...... फोन पाप को देती है और चली जाती है वहां से
पर ऐसे जान नहीं बचती..... पागल सीना ये कहां जानती थी।।
मोहन जी - आप बताए आप लोगों ने क्या सोचा फिर अगर ठीक लगे तो मिलकर तय किया जाए सब फिर कोई अच्छा सा मुहूर्त तय कर लेते है।।

केलाश जी - जी हां ठीक है बस हम सब समय निकाल कर आते है किसी दिन फिर सोचते है ll

मोहन जी - चलिए फिर मिलते है किसी दिन चाय पर ll

कैलाश जी - जी जरुर जल्दी ही ll चलिए ध्यान रखिए बाये
रुक्मिणी,बहन  और भाई सभी बहुत खुश हैं  ll सीना की सभी उम्मीद टूट गई थी आज अब तो सारे सपने उन्हीं सब के होंगे ll सीना की तो सारी जिंदगी ही उन सभी की हो जानी है ll सोच सोच सीना का मन बहुत उदास था ll

और ये सच्चाई है हमारे समाज की शादी हुई तो बस एक लड़की की खुद की तो कोई खुशी कोई सपने कुछ नहीं रह जाते ll बस सास ससुर और पति उनके घर वालों की खुशी यही तो सिखाया जाता है हमारे घरो मे बेटियों को हर मां यही बताती है ।।

पर कुछ नहीं है उसके पास शिवाय सभी की खुशी में खुश होने के फिर भी हर मुमकिन कोशिस करती है ll कभी बुआ कभी मौसी घर परिवार सभी से बात कर बोलती है कि अभी के लिए ये सब छोड़ दे ll उसे दे दे जिंदगी के कुछ और साल उसे पढ़ना है.... कुछ करना है जिंदगी मे अभी ll
घर में ख़ुशी का माहौल और सीना का डर और ढेरों सवाल जिसके जवाब खुद में ही खोजती है हर समय सीना ll

सगाई की तारीख तय करने पापा को बुलाया गया। सीना समझ गई कि अब कोई मतलब नहीं है ll


पापा और मम्मी avi के घर जाते हैं ll तिवारी फ़ू फा जी भी साथ थे ll सीना भगवान से बस ये इक चीज़ दे दो कभी कुछ नही चाहूँगी फिर बस कुछ ऐसा हो जाए कि शादी का ख्याल भी चला जाए सभी के मन से मुझे कुछ समय मिल जाए बस अपना कॉलेज पूरा कर सकूँ ll पर ऐसा कुछ कहा होता है ll जो हम सोचते है ll होता तो वही है जो हमारी किस्मत मे ईश्वर नें पहेले ही लिख दिया है ll


वहां सब बात चित कर तय कर लिया जाता है ll अभी सीना इंतजार कर रहीं हैं ll कि शायद कुछ उसके लिए अच्छा हो ही जाए ll पापा मम्मी करीब शाम 4 बजे लौट कर आते है ll और ये क्या गए तब तो बहुत खुश नजर आ रहे थे ll ऐसा क्या हुया वहा की परेशान से दिख रहे है कुछ ll


सीना पानी लाती है ll तो उसे सुनने मे आता है कोई बात नहीं बहुत लड़के मिलेंगे हमे और वेसे भी आया सामने से तो देख लिया नहीं तो अभी सोचा भी नहीं है सीना की शादी के बारे मे ll अभी कौनसा उम्र निकल है ll छोटी है और पड़ाई चल रहीं है ll जीजा जी ने कहा देख लो तो बस देख लिया ll और अच्छा हुया की साफ साफ शब्दों मे पहेले ही बात खुल गयी ll 


सीना की कुछ राहत मिलती है कि चलो ईश्वर ने उसकी सुन ली ll और कुछ ऐसा हुया है कि मना हो गयीं इस शादी की लिये ll


लो पापा चाय.... ये लो मम्मी आपकी भी चाय दे वो अपने कमरे मे चली जाती है ll

पर ऐसा हुया क्या की पापा ने मना कर दिया ll ये लोग तो सगाई की तारिक पक्की करने गए थे और मना ही कर आए ll 


तभी पापा की आवाज़ उसे सुनने आती है ll किसी से फोन पर बात करते हुए ll 

ठीक है जीजा जी जो भी हुया ll और मेने तो साफ साफ बोल दिया आपको लड़किया बहुत मिलेंगी हमे लड़के 

पर आपकी मांग पूरी करने के लिए पैसे नहीं है हमारे पास 

सीना दंग रह जाती है कि पापा ने मना किया ll और वो भी पैसों की वजह से पर जो भी हो अच्छा ही हुया जो भी हुया ll

Avi के घर वालों ने 5 लाख नगद और सारा समान की मांग रख दी थी ll और सीना के पापा ने पहेले ही बोला था कि हमारे पास बेटी के सिवा कुछ भी नहीं है देने को और तब उन लोगों ने भी कहा था कि हमें कुछ नही चाहिए एक साड़ी मे लड़की विदा कर दे ll ये सुन मुझे भी अच्छा लगा था कि चलो लालची तो नहीं है कम-से-कम नहीं तो आज कल तो लड़के के पड़ाई लिखाई सब का हिसाब कर लड़की के पिता से ही माँगा जाने लगा है ll


सीना को हेरानी होती है कि यहां तो कितनी बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे और अब क्या हुया ll

पर ठीक ही हुया ll अब ये लोग भी जल्दी से दुबारा सोचेंगे नहीं शादी का ll


पर सीना की जिंदगी मे जो आने वाला था आगे वो कोई नहीं जानता था ll और कोई कैसे बचा सकता है अपने लकीरों की लेखे को ll

होना तो वही है जो लिखा जा चुका है जिंदगी मे ll

देखते है क्या होना है अब आगे सीना की जिंदगी मे ll



देखते हैं क्या होगा आगे सीना की जिंदगी मे धन्यवाद🙏🙏


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Anita Singh

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सुन्दर

28 दिसम्बर 2021

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नारी जीवन
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नमस्कार 🙏🙏🙏 मेरे प्रिय पाठकों मैं अपनी पहली रचना नारी जीवन लिखने जा रहीं हू.... इसमे नारी के कितने जीवन एक ही जिंदगी मे जीने मिलते है ये भी दिखाना चाहूँगी... तो चलिए चलते है अपने सफ़र पर हमने अक्सर ये देखा है कि सभी की जिंदगी मे जीवन हर मोड़ पर नित नए सफर और मंजिल पर चलना सिखाती है और ये सफर ही मंजिल तक जाने का नाम जिंदगी है.. फिर कोई भी क्यो ना हो चाहे कोई गरीब हो या अमिर बेटा हो या फिर बेटी किसी भी वर्ग किसी भी प्रांत किया बात कुओं ना हो.... और वही अगर हम बात एक बेटी की करे तो उसकी जिंदगी तो होती ही है बहुत सी परीक्षा से लड़ने वाली हर वक्त बस जिंदगी एक परिक्षा होती हैं ll और बेटी की जिंदगी मे कभी ना ही परीक्षा खत्म होती है ना ही उनसे लड़ने की उम्मींद... तो ऐसी ही एक बेटी... एक नारी की जिंदगी को हम आपसे बांटने लाए है ll तो ये सफर है सीना का ll सीना जो हमारी कहानी की एक महत्वपूर्ण किरदार है... सीना.... तो चलिए जानते है सीना को और देखते है सीना कि जिंदगी की रोचक परीक्षाओ को कैसे सीना उन्हें सुलझा पाएगी ll हम सभी जानते है कि जीवन में हमेशा वो नही होता ....जो हम चाहते हैं या फिर जो भी हम सोचते हैं ll फिर भी हम इन्तजार करते हैं या ये कहे कि विश्वास रखते है की जो हो रहा है अछा हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा ll और हमारी सीना तो हमेशा से ऐसी ही थी जो..... इसी बात पर जीती थी.... कि जो है अच्छा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा.... उसने हमेशा सभी की खुशियो में ही खुश रहना सिखा था और छोटी छोटी सी ख्वाहिशें और सपने है सीना के जिनमें उसकी सारी दुनिया समायी रहती है ll कुछ बड़ा नहीं कुछ खास नहीं..... सीना एक मध्य वर्गीय परिवार मे जन्मीं सीधी सादी सी लड़की.... सीना के पापा कैलाश त्रिपाठी जी जो सरकारी बिजली बिभाग मे एक क्लर्क की पोस्ट पर कार्यरत है ll और मम्मी रुक्मणी त्रिपाठी जो एक हाउस वाइफ है ll                 एक छोटा भाई संदीप जो अभी 12 वी क्लास का स्टूडेंट है ll इक छोटी बहन है नेहा जो 9th क्लास मे पढ़ती है ll एक छोटा सा खुशहाल परिवार है सीना का ll सीना ने अभी अभी 19 साल की हुई है ll और सीना ने 12 पास कर  b. Com फर्स्ट ईयर मे एडमीशन लिया है ll और कुछ दो महीने हुए हैं उसे कॉलेज स्टार्ट किए ll आज का दिन भी रोज की तरह ही था ll सुबह की पहली
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मत बैठ नसीब के भरोसे तू मेहनत के आगे सर झुका ले ll कितनी भी हो समस्या जिन्दगी में खुद को ही समाधान बना ले ll ना दे वक्त जो वक्त तुझे तो अपना वक्त तू खुद बना ले ll रोके जो तूफान तुझे तो दिल को तू चट्टा

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