नई दिल्लीः हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक सुनवाई में प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों पर फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां गरीब व निदरेष लोगों का शोषण कर रही हैं। पैसे उधार देने के इस कारोबार में खासकर सरकारी कर्मचारियों को अपना निशाना बनाया जा रहा है।
डाकिया की याचिका पर हुई सुनवाई
अदालत पेशे से एक डाकिया की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याची के अनुसार उसने एक प्राइवेट फाइनेंस कंपनी से एक बार लोन लिया। लेकिन उसके द्वारा दिए दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर कंपनी ने यह दिखाया कि उसने एक नहीं दो बार लोन लिया है। अब कंपनी बकाया पैसे मांग रही है। याची ने इस मामले से परेशान होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने कहा कि कंपनियां जरूरतमंद लोगों को लोन लेने के लिए लुभाती हैं। लोन देते हुए कोरे कागज पर हस्ताक्षर तक कराएं जाते हैं और धन की आवश्यकता रखने वाले लोग मजबूरन बिना पढ़े ही इन दस्तावेजों पर साइन कर देते हैं। अदालत ने कहा कि लोगों को 24 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लोन दिया जाता है।