ईर्ष्या के बल पर कभी कोई धनवान नहीं बनता है। ईर्ष्या के डंक को कोई भी शांत नहीं कर सकता है।। लोहे के जंग जैसा ईर्ष्या मनुष्य को भ्रष्ट करती है। ईर्ष्यालु अपने बाणों से अपनी हत्या कर देती है।।
अभिलाषा हैं मेरी,भ्रष्टाचार मिटा दूं पुरे देश से;अभिलाषा हैं मेरी,स्वच्छ कर दूं पूरे देश को;महाशक्ति बना दूं विश्व में,यही मेरी अभिलाषा;खेलों में बना दूं देश को सिरमौर,यही है मेरी लालसा;उद्योगों में कर दूं आत्मनिर्भर,बस यही है कामना;संयुक्त राष्ट्र संघ का हो जाये स्थायी सदस्य,यही करता हूं प्रभु से प