अभिलाषा हैं मेरी,भ्रष्टाचार मिटा दूं पुरे देश से;अभिलाषा हैं मेरी,स्वच्छ कर दूं पूरे देश को;महाशक्ति बना दूं विश्व में,यही मेरी अभिलाषा;खेलों में बना दूं देश को सिरमौर,यही है मेरी लालसा;उद्योगों में कर दूं आत्मनिर्भर,बस यही है कामना;संयुक्त राष्ट्र संघ का हो जाये स्थायी सदस्य,यही करता हूं प्रभु से प
कौन हूँ मैं समझ नहीं पाती ये पहेली क्यों सुलझ नहीं पाती मैं ममता का अंश हूँ या पीड़ा का दंश हूँ जूही चमेली का इत्र हूँ या देह पर लिखा संधि पत्र हूँ विधि की अनुकृति न्यारी हूँ या औलादों की क्यारी हूँ अभिलाषा का राग हूँ या सन्यासी का
साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी, हिंदी साहित्य के श्रेष्ठतम रचनाकारों में से एक हैं । आपका जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में बाबई नामक स्थान पर हुआ था । आप भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंद