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लौह पुरूष

31 अक्टूबर 2015

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featured imageजो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा.. जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा.. बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता यारों..! जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा..!! सरदार पटेल और यूनिटी का एक बड़ा नाता है। वो नाता जो करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में पिरोता है। वो नाता जिसकी वजह से करोड़ों भारतीय पाकिस्तानी बनने से बच गए। जी हां अगर पटेल न होते तो आज करोड़ों भारतीय पाकिस्तान के नागरिक होते। भारत का जो रूप हम देखते हैं उसका पूरा ताना-बाना देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने बुना था। इस बात का भी कई पुस्तकों में उल्लेख है कि कई मुद्दों पर उनका तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मतभेद था। इसके बाद भी पटेल ने हमेशा नेहरूजी के मान को बढ़ाए रखा और उनकी बात मानी। इसका एक उदाहरण है नेहरूजी द्वारा कश्मीर पर अपनाया गया रुख। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर किए गए पहले आक्रमण के समय अगर सरदार पटेल नेहरूजी की बात को अनसुना नहीं करते तो आज कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होता। सरदार पटेल ने ही इंडियन रॉयल एयरफोर्स को कश्मीर जाने का आदेश दिया था। भारत की दो रियासते हैदराबाद और भोपाल को पाकिस्तान हिस्सा यहां के नबाव चाहते थे। सरदार पटेल की वजह से ही आज ये भारत का अंग हैं। देश की 562 छोटी बड़ी रियासतों को भारत में मिलाने का काम सरदार पटेल के ही प्रयासों से संभव हो पाया। इस बारे में महात्मा गांधी ने सरदार पटेल से कहा था कि रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे। सरदार पटेल और पंडित नेहरू दोनों ही समकालीन नेता थे। सरदार पटेल की क्षमता का अंदाजा पंडित नेहरू को भी था। उस समय लोग पटेल को नेहरू का उत्तराधिकारी मानने लगे थे। अंग्रेज सरकार ने बंटवारे से पहले रियासतों को भारत और पाकिस्तान में से किसी एक में मिलने के लिए चालीस दिन का समय दिया था। इतने कम समय में 562 देशी रजवाड़ों को स्वतंत्र भारत की तरफ करने की चुनौती थी सरदार पटेल के पास। दरअसल 15 अगस्त 1947 के पहले अगर ये रजवाड़े भारत या पाकिस्तान किसी के साथ नहीं जुड़ते तो अगले दिन से ये अपने को स्वतंत्र मान सकते थे। ऐसे में इतने कम समय में पटेल ने इन सभी रजवाड़ों को भारत में शामिल करवाकर भारत देश को एक नया रूप दिया। सरदार पटेल ने रियासतों को भारत में शामिल होने के लिए मूल मंत्र यह बनाया था कि सभी रजवाड़ों और रियासतों के मालिकों में देशभक्ति की भावना को जगाना। इसी मूल मंत्र को लेकर सरदार पटेल ने हर रियासत को भारत में मिलाने का संकल्प लिया। कई रियासतों ने महज सरदार पटेल की मुलाकात के बाद खुद को भारत के साथ आने का एलान कर दिया था। सरदार पटेल ने सभी रियासतों के राजाओ को एक भारत के लिए आगे आने के लिए समझाया जिसके परिणामस्वरूप कुछ को छोडकर शेष सभी राजवाड़ों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। वहीं जब हैदराबाद के निजाम ने पटेल की एक भारत की अवधारणा को मानने से इनकार कर दिया था तो सरदार पटेल ने ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम का यह सैन्य अभियान चलाकर हैदराबाद को भारत का हिस्सा बनाया। इस ऑपरेशन में किसी भी जान माल की हानि नहीं हुई। जूनागढ़ के लिए भी उन्होंने यही रास्ता अख्तियार किया था। इसी तरह भोपाल रियासत के लिए भी स्थानीय लोगों ने एक बड़ा आंदोलन चलाया था। लक्षद्वीप समूह को भारत के साथ मिलाने में भी पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस क्षेत्र के लोग देश की मुख्यधारा से कटे हुए थे और उन्हें भारत की आजादी की जानकारी 15 अगस्त 1947 के बाद मिली। यह क्षेत्र पाकिस्तान के नजदीक नहीं था। पटेल इस बात की खबर हो गई थी कि वहां पर पाकिस्तान अपना झंडा फहराने की तैयारी में है। ऐसा कर इस द्वीप पर पाकिस्तान दावा कर सकता है। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को टालने के लिए पटेल ने लक्षद्वीप में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए भारतीय नौसेना का एक जहाज भेजा। इसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लक्षद्वीप के पास मंडराते देखे गए लेकिन वहां भारत का झंडा लहराते देख वे वापस कराची चले गए। भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 31 अाज140वीं जयंती है। सरदार पटेल मन, वचन तथा कर्म से सच्चे देशभक्त थे। वे वर्ण-भेद तथा वर्ग-भेद के कट्टर विरोघी थे। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक गौरवपूर्ण स्थान पाया है। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से: 1. अध्यापकों के किताबें बेचने की प्रथा बंद कराई- सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नड़ियाद में हुआ। वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई और लाडबा पटेल की चौथी संतान थे। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। अन्याय के विरुद्ध विद्रोह उनके जीवन का विशिष्ट गुण था। जिसके परिणामस्वरूप विद्यार्थी जीवन में उन्हें कई बार अध्यापकों का विरोध सहना पड़ा। नड़ियाद में उनके स्कूल के अध्यापक पुस्तकों का व्यापार करते थे तथा छात्रों को बाध्य करते थे कि पुस्तकें बाहर से न खरीदकर उन्हीं से खरीदें। वल्लभभाई ने इसका विरोध किया तथा छात्रों को अध्यापकों से पुस्तकें न खरीदने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप अध्यापकों और विद्यार्थियों में संघर्ष छिड़ गया। पांच-छः दिन स्कूल बंद रहा। अन्त में अध्यापकों द्वारा पुस्तकें बेचने की प्रथा बंद हुई। 2. पहले भाई को पढ़ाई के लिए भेजा इंग्लैंड- सरदार पटेल वकील बनना चाहते थे और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें इंग्लैंड जाना था लेकिन उनके पास इतने भी वित्तीय साधन नहीं थे कि वह एक भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश ले सकें। उन दिनों एक उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से अध्ययन कर वकालत की परीक्षा में बैठ सकता था। इसलिए सरदार पटेल ने अपने एक परिचित वकील से पुस्तकें उधार ली और घर पर अध्ययन शुरू कर दिया। वल्लभ भाई ने वकालत की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर की। इसके बाद सरदार पटेल ने गोधरा में अपनी वकालत शुरू की और जल्द ही उनकी वकालत चल पड़ी। उनका विवाह झबेरबा से हुआ। वल्लभ भाई ने अपने बड़े भाई विट्ठलभाई, जो स्वयं एक वकील थे, को कानून की उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा। पटेल सिर्फ 33 साल के थे जब उनकी पत्नी का देहांत हो गया। उन्होंने पुनः विवाह की कामना नहीं की। अपने बड़े भाई के लौटने के पश्चात वल्लभ भाई इंग्लैंड चले गए और लगन के साथ पढाई की और कानूनी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 3. गांधीजी की तलाश पटेल पर खत्म हुई- सरदार पटेल 1913 में भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की। जल्द ही वह लोकप्रिय हो गए। अपने मित्रों के आग्रह पर पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमे विजयी हुए। सरदार पटेल गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से काफी प्रभावित थे। 1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ा। किसानों ने करों से राहत की मांग की लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मना कर दिया। गांधीजी ने किसानों का मुद्दा उठाया पर वो अपना पूरा समय खेड़ा में अर्पित नहीं कर सकते थे इसलिए एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो उनकी अनुपस्थिति में इस संघर्ष की अगुवाई कर सके। इस समय सरदार पटेल स्वेछा से आगे आये और संघर्ष का नेतृत्व किया। इस प्रकार उन्होंने अपने सफल वकालत के पेशे को छोड़ सामाजिक जीवन में प्रवेश किया। खेड़ा सत्याग्रह से वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय नायक के रूप में उभर कर सामने आये। 4. बैंक खाते में केवल 260 रूपए- सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया था। इंग्लैंड में वकालत पढ़ने के बाद भी उनका रुख पैसा कमाने की तरफ नहीं था। उनका जब निधन हुआ, तब उनके बैंक खाते में केवल 260 रुपए मौजूद थे। यही नहीं, सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था। वे अहमदाबाद में किराए एक के मकान में रहते थे। 5. 41 साल बाद भारत रत्न से नवाजा- सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह अवार्ड उनके पौत्र विपिनभाई पटेल द्वारा स्वीकार किया गया। *.मंजिले बहुत है और अफ़साने भी बहुत है, जिंदगी की राह में इम्तिहान भी बहुत है, मत करो दुःख उसका जो कभी मिला नही दुनिया में खुश रहने के बहाने भी बहुत है। *.ना संघर्ष न तकलीफ तो क्या मज़ा है जीने में बड़े बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में ! *.सब ने पैसा तो बहुत कमा लिया पर उस पैसे का क्या मोल है !! अपनो का प्यार और अपनो से रिश्ता इन पैसोँ से कही अधिक अनमोल है ! *.भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है, और दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाती है… Rastriya Ekta Divas ki hardik Subhkamnay.....!!!
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सच

23 अक्टूबर 2015
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भारत से जुड़े ये 13 कड़वे सचआपको सोचने पर ज़रूर मजबूरकर देंग-चाय की दुकान पर बैठ कर 5 रुपए का न्यूज़ पेपर लेकरकर बड़ी-बड़ी बातें करना तो जैसे हम सबकाजन्मसिद्ध अधिकार है. पर जब बात हो कुछ करनेकितो सबका बस एक ही जबाव होता है. “ये अपनाकाम नहीं है, जिसका है वो इसे ढंग से नहीं करता”.आज हम कुछ ऐसी ही बाते आपसे

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बेटियां

23 अक्टूबर 2015
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कोई चेहरा है कोमल कली का,रूप कोई सलोनी परी का ।इनसे सिखा सबक जिंदगी का,बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का ।ये अगर है तो रोशन जहा है,ये जमीने है और आसमा है ।है वजूद इनसे ही आदमी का,बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का |हमने रब को तो देखा नहीं,पर नूर ये है खुदा का जमी पर ।एक एहसास है रौशनी का,बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का

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सत्य वचन

23 अक्टूबर 2015
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"सिर्फ आसमान छू लेना ही कामयाबीनही होती है !असलीकामयाबी तो वो है कि आसमान भी छू लोऔर पैर भी जमीन पर हों..!!"."जो हो गया उसे सोचा नही करते,जो मिल गया उसेखोया नही करते,हासिल उन्हें होतीहै सफलता,जो वक्त और हालात पर रोया नहींकरते !!"."घड़ी की सुई अपने नियम सेचलती है ,इसीलिए सब उसका विश्वासकरते हैं !आप भ

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प्रेरक प्रसंग

23 अक्टूबर 2015
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अमरीका में एक अमीरपाकिस्तानी,एक bar में प्रवेश करता है।गर्व से ऐलान करता है कि वह बडा खुशनसीब हैऔर शराबघर के परिचालक (bartender) सेकहता है-“मेरी तरफ़ से यहाँ सब मौजूद लोगों को एक एकपैग पिलाओ”फिर एक कोने में एक हिन्दुस्तानी को देखकर कहाबारटेँडर से“सबके लिए, पर उस कम्बख्त हिन्दुस्तानी केलिए नहीं”हिन्द

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यह इंडिया है मेरे यार!

23 अक्टूबर 2015
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1) हम बेटियों की पढ़ाई से ज्यादाउनकी शादी पर खर्च करते हैं।2) हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां पुलिसवालों को देखकर हम सुरक्षित महसूसकरने की बजाय घबरा जाते हैं।3) IAS एग्जाम में एक शख्स 'दहेज : एकसामाजिक बुराई' विषय पर 1500 शब्दोंका बेहतरीन लेख लिखता है। सबकोप्रभावित करता है और एग्ज़ाम पास करलेता है।

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मानसिकता

24 अक्टूबर 2015
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बेटी निकलती है तो कहतेहो छोटे कपडे पहन कर मतजाओ ....पर बेटे सेनहीं कहतेहो कि नज़रों मे गंदगी मतलाओ....बेटी से कहतेहो कि कभी घरकि इज्जत ख़राब मतकरना ...बेटे सेक्यों नहीं कहतेकि किसी के घर कि इज्जतसे खिलवाड़नहीं करना ...हर वक़्तरखते हो नज़र बेटी के फ़ोनपर ...पर येभी तो देखो बेटा क्या करता हैइंटरनेट पर

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कथा

24 अक्टूबर 2015
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एक बार की बात है किसी गाँव में एक पंडितरहता था । वैसे तो पंडित जी को वेदों औरशास्त्रों का बहुत ज्ञान था लेकिन वह बहुत ग़रीबथे ।ना ही रहने के लिए अच्छा घर था और ना हीअच्छेभोजन के लिए पैसे ।एक छोटी सी झोपड़ी थी,उसी में रहते थे और भिक्षा माँगकर जो मिलजाता उसी से अपना जीवन यापन करते थे ।एक बार वह पास के

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एक अनुरोध आप सब से........!!!

25 अक्टूबर 2015
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आपसे वो अपील रहा हूँ जो कोई न्यूज़ चैनल या कोई सुपरस्टार नही करेगा !!!!!"इस दीपावली मिट्टी के दीये ही जलाये"आपका छोटा सा प्रयास हज़ारो भूखे पेट को अन्नदेगा|

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अतुलनीय भारत

25 अक्टूबर 2015
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परिवर्तन

25 अक्टूबर 2015
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"देश कुछ इस तरह भी बदलने लगा है कि.... लोग गाय चराने में शर्म...और... कुत्ता घुमाने में गर्व...करने लगे हैं...!"

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सच्चाई

25 अक्टूबर 2015
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वृद्धाआश्रम में माँ बाप को देखकरसब लोग बेटो कोही कोसते है,लेकिन दुनिया वाले ये कैसे भूल जाते हैं की वहा भेजने मे किसी की बेटी का ही अहम रोल होता है..!वरना लोग अपने माँ बाप को शादी के पहले ही वृद्धाश्रम क्यों नही भेजते।संस्कार बेटियों को भी दें ताकि कोई बेटों को ना कोसे।यह कड़वा है पर सत्य है।

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लौह पुरूष

31 अक्टूबर 2015
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जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा..जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा..बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता यारों..!जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा..!!सरदार पटेल और यूनिटी का एक बड़ा नाता है।वो नाता जो करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में पिरोता है।वो नाता जिसकी वजह से करोड़ों भारतीय पाकिस

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दीपावली

11 नवम्बर 2015
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दीपावली का अर्थ है दीपोंकी पंक्ति। दीपावली शब्द‘दीप’ एवं ‘आवली’ की संधिसे बना है। आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकारदीपावली शब्द का अर्थ है,दीपों की पंक्ति। भारतवर्ष में मनाएजाने वाले सभी त्यौहारों मेंदीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनोंदृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सवभी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योत

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जरा सोचिये इस बारे में......

17 नवम्बर 2015
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एक बार एक भारतीय U.S.A घूमने गया। इसी दौरान वह California पहुंचा । वहां पे उसे एक अमेरिकन से दोस्ती ही गयी जिसका नाम मार्क था। दोनों अच्छे दोस्त बन गए और बहुत सारी बाते होने लगी अपने अपने देश के बारे में।तब भारतीय ने पूछा मार्क ये goggle कब लॉन्च हुआ था।मार्क ने बताया की 4 फ़रवरी 2004 को कैलिफ़ॉर्निया

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आखिर क्या है असहिष्णुता का अर्थ, जिसने मचा रखा है बवाल

27 नवम्बर 2015
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असहिष्णुता को लेकर बहस चारों ओर चलरही है लेकिन सही मायनों में असहिष्णुता शब्द कामतलब क्या है और इसका प्रयोग किस लहजे मेंकिया जाता है यह जानना भी जरूरी है। पत्रिकाउत्तरप्रदेश की टीम ने विद्वानों से जाना आखिरक्या है असहिष्णुता।एक धर्म के इर्द-गिर्द घूम रही है बहसलखनऊ यूनिवर्सिटी में हिंदी डिपार्टमेंट

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नेहरू जी के नेशनल हेराल्ड का काला इतिहास आैर हेराल्ड घोटाला

23 दिसम्बर 2015
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नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत 9 सितंबर, वर्ष1938 में लखनऊ से हुई थी। अखबार के मास्ट हेड पर लिखा गयाथा कि 'स्वतंत्रता खतरे में है, सभी के साथ इसकी रक्षा करनीहै।' अंग्रेजी में इसका मतलब है कि Freedom is in Peril,Defend it with All Your Might. जब इस अखबार की शुरुआतहुई तो इसके पहले संपादक पूर्व प्रधानमं

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डॉ. अब्दुल कलाम के महान विचार

23 दिसम्बर 2015
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Quote 1 : इससे पहले की सपने सच हो आपको सपने देखने होंगे।Quote 2 : सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।Quote 3 : इंतज़ार करने वालो को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है।Quote 4 : एक अच्छी पुस्तक हज़ार दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्

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हमारे अटल जी

25 दिसम्बर 2015
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टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकीहार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगाकाल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूंगीत नया गाता हूं.वाजपेयी (अटल बिहारी) की यह वहप्रिय कविता है, जो जीवन में आगे बढ़ने, कभी हारनहीं मानने और लड़ने के लिए प्रेरित करती है. यहवह कविता है जिसने राजनीतिज्ञों स

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अटल बिहारी वाजपेयी के अनमोल विचार

25 दिसम्बर 2015
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1:Global interdependence today means that economic disasters in developing countries could create a backlash on developed countries..आज वैश्विक निर्भरता का अर्थ यह है कि विकासशील देशों में आई आर्थिक आपदाएं विकसित देशों में संकट ला सकती हैं 2 :In the euphoria after the Cold War, there wasa misplaced

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वन्दे मातरम और उसका हिन्दी अर्थ-

25 दिसम्बर 2015
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वन्दे मातरम का हिंदी मीनिंग - वन्दे मातरम का हिंदी में क्या अर्थ है - जैसे ह

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राष्ट्रगान का हिन्दी अर्थ -

25 दिसम्बर 2015
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जन गण मन अधिनायक जय हे,(हे भारत के जन गण और मन के नायक (जिनके हम अधीन हैं))भारत-भाग्य-विधाता(आप भारत के भाग्य के विधाता हैं)पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,(वह भारत जो पंजाब, सिंध , गुजरात, महाराष्ट्र)द्वाविड़, उत्कल, बंग(तमिलनाडु , उड़ीसा, और बंगाल जैसे प्रदेश से बना है)विन्ध्य, हिमाचल, यमुना-गंगा,(जहाँ

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नव वर्ष- २०१६

1 जनवरी 2016
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एक बार पुनः नूतन वर्ष 2016में हम सभी प्रवेश कर रहे हैं….….मेरी ईश्वर से प्रार्थना है की आप सभी के लिए यह वर्षमंगलमय एवं सुखकारी हो….….नव वर्ष 2016 के आगमन के प्रति हमारे मन में जो रोमांचहोता है….….वह एक नई सुबह के आने का द्योतक है….….नव वर्ष द्योतक है… पिछली गलतियों को भूलने एवं नईशुरुआत करने का….….

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राष्ट्रीय युवा दिवस

12 जनवरी 2016
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भारत के एक महान चिंतक, महानदेशभक्त, दार्शनिक, युवा सन्न्यासी, युवाओं के प्रेरणास्रोत औरएक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे। भारतीयनवजागरण का अग्रदूत यदि स्वामी विवेकानंद को कहा जाए तो यहअतिशयोक्ति नहीं होगी। अगर आज तक कोई शख़्सियत है जिसने भारतीय युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है तो वो हैं स्वामी विव

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सोच बदलो देश बदलेगा

22 नवम्बर 2016
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रोज़ कुछ न कुछ होता रहता है हमारे देश मैं , कुछ नहीं हो सकता इस देश का बोल कर बस न्यूज़ देखतेरहते है और फिर अपने अपने काम मैं लग जाते है सब लोग। यही देखते बड़े हुए हम लोग औरयही करते भी आ रहे हैं।जब हमछोटे थे दुनिया बदलने के लिए कुछ करूंगा यहीसोचा करते थे , फिर थोड़ा बड़ा हुये

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26/11: ख़ौफ़ और ख़ून के वे 60 घंटे जिससे दहल गया था पूर देश

26 नवम्बर 2016
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मुंबई पर 26 नवंबर 2008 के हमलों को भला कौन भूलसकता है. ये वो तारीख थी जब पूरा देशआतंकी हमले की वजह से सहमगया था. मुंबई शहर में हर तरफ दहशत और मौत दिखाई देरही थी. आज उस हमले को भलेही आठ साल बीत गए हों लेकिन उसहमले की याद आज भी हमें डरादेती है.किस तरह 10हमलावरों ने मुंबई को

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6 छोटी-छोटी कहानियाँ

1 जून 2017
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( 1 ) एक बार गाँव वालों ने यह निर्णय लिया कि बारिश ☔के लिए ईश्वर से प्रार्थना करेंगे , प्रार्थना के दिन सभी गाँव वाले एक जगह एकत्रित हुए , परन्तु एक बालक अपने साथ छाता भी लेकर आया । इसे कहते हैं आस्था

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हमारे अन्नदाता की मन की बात

2 जून 2017
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_एक बार ज़रूर पढ़े_एक किसान की मन की बात:-कहते हैं..इन्सान सपना देखता हैतो वो ज़रूर पूरा होता है.मगरकिसान के सपनेकभी पूरे नहीं होते।बड़े अरमान और कड़ी मेहनत से फसल तैयार करता है, और जब तैयार हुई फसल को बेचने मंडी जाता है।बड़ा खुश होते हुए जाता है...बच्चों से कहता है...आज तुम्हारे लिये नये कपड़े लाऊं

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