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हमारे अटल जी

25 दिसम्बर 2015

1142 बार देखा गया 1142
featured imageटूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी? अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं गीत नया गाता हूं. वाजपेयी (अटल बिहारी) की यह वह प्रिय कविता है, जो जीवन में आगे बढ़ने, कभी हार नहीं मानने और लड़ने के लिए प्रेरित करती है. यह वह कविता है जिसने राजनीतिज्ञों से लेकर आम आदमी को राह दिखायी है. यह वह कविता है, जिसके माध्यम से आज भी राजनेता अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं. वाजपेयी को सक्रिय राजनीति से संन्यास लिये दस साल बीत गये, उसके बावजूद जब भी भाजपा की उपलब्धि की बात आती है, तो वाजपेयी ही याद आते हैं. भारतीय राजनीति में आज भी वाजपेयी की कमी खलती है. संसद में जब विपक्षी दल हंगामा करते हैं, कार्यवाही बाधित होता है, संसद नहीं चलती, गंभीर पहल नहीं होती, विषय पर बेहतरीन बहस नहीं होती तो वाजपेयी को याद किया जाता है और कहा जाता है कि वाजपेयी की सरकार होती, तो रास्ता निकल गया होता. भाजपा के भीतर जब समस्या पैदा होती है, लोगों की शिकायत होती है कि उनकी बात नहीं सुनी जाती, तो फिर वाजपेयी का जमाना याद आ जाता है. संयुक्त राष्ट्र या विदेश में जब भारत का पक्ष जोरदार तरीके से रखने की बात आती है, तो वाजपेयी याद आते हैं. ऐसा उनके गुणों के कारण होता है. एक साफ-पारदर्शी और निष्पक्ष जीवन. अपनी बात कहने से कभी वाजपेयी नहीं हिचके. सबको साथ लेकर चला, जिसकी आज देश को सबसे ज्यादा जरूरत है. वाजपेयी ऐसे ही आदर्श वाजपेयी नहीं बने, उसके पीछे लंबा संघर्ष-समर्पण और त्याग का जीवन छिपा है. पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित करनेवाले वाजपेयी ने कहा था- मैं सत्ता में रहूं या बाहर, मुझे फर्क नहीं पड़ता. सत्ता का लोभ नहीं रहा. जब जो जिम्मेवारी मिली, उसे बखूबी निभायी. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जब मिशन कश्मीर के दौरान गिरफ्तार किया गया था, उन दिनों वाजपेयी उनके राजनीतिक सचिव थे. मुखर्जी ने उन्हें पूरे राष्ट्र में घूम-घूम कर प्रचार करने और बात पहुंचाने की सलाह दी थी. उसी दिन से वाजपेयी ने नयी जिम्मेवारी संभाली और संन्यास लेने के पहले तक एक प्रखर वक्ता के तौर पर निभाते रहे. 1996 में जब पहली बार वे प्रधानमंत्री बने और सिर्फ 13 दिनों में ही उनकी सरकार चली गयी, वाजपेयी ने भविष्य की गंठबंधन की राजनीति को महसूस कर लिया था. फिर एनडीए बनाया, जो आसान खेल नहीं था. विभिन्न दलों को साथ लेकर सरकार चलायी. सभी दलों की नीतियां अलग, राजनीति एजेंडे अलग, फिर भी सरकार चली. आजाद भारत में पहली बार किसी गंठबंधन की सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया था. ऐसे इसलिए हुआ, क्योंकि सभी को साथ लेकर चलने की कला वाजपेयी में थी. अहंकार से दूर, सभी की बात सुनने का धैर्य. विपक्ष को सम्मान देने और उनके अच्छे काम की सराहना करने से भी वाजपेयी नहीं चूकते थे. आज की राजनीति में इसकी कमी दिखती है. 1994 में यूएनएचआरसी में भारत के खिलाफ प्रस्ताव आया था. नरसिंह राव की सरकार थी. उन्होंने विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ-साथ विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को भारत का प्रतिनिधित्व करने, भारत का पक्ष रखने के लिए भेजा था. यह मामूली बात नहीं थी. एक प्रधानमंत्री को विपक्ष के नेता पर इतना भरोसा था और इस भरोसे को वाजपेयी ने अपने भाषण से और मजबूत किया था. चाहे आर्थिक सुधार का मामला हो, परमाणु परीक्षण का मामला हो या पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा कर कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने की पहल करनी हो, वाजपेयी पीछे नहीं रहे. पड़ोसी देशों से बेहतर संबंध पर वे जोर देते रहे, लेकिन जब पाकिस्तान ने करगिल हमला किया, तो उसी ताकत से भारत ने उसे जवाब भी दिया. जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इराक युद्ध में भारत से सहयोग मांगा, तो दबाव के बावजूद वाजपेयी ने इराक में भारतीय सेना भेजने से इनकार कर दिया. यह उनकी विदेश नीति का हिस्सा था. वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में भारतीय राजनीति के स्तर को ऊपर उठाने के लिए काम किया, संसद की गरिमा को बढ़ाने पर जोर दिया. पार्टी से ऊपर देश और डेमोक्रेसी को माना. 2004 के चुनाव में जब उनकी हार हुई, तो उनकी प्रतिक्रिया थी- हमारी पार्टी और सहयोगी दलों की भले ही हार हुई हो, लेकिन देश (भारत) जीता है. हार को इस प्रकार स्वीकार करना वाजपेयी के कद को और बढ़ाता है. वाजपेयी आज बढ़ती उम्र और अस्वस्थता के कारण राजनीति से बाहर हैं, लेकिन भारतीय राजनीति और पूरा देश उन्हें हमेशा याद करता है.

26 दिसम्बर 2015

डा० सचिन शर्मा

डा० सचिन शर्मा

अटल जी को कोटि - कोटि नमन और जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं .

25 दिसम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी को जन्म दिन की ढेरों शुभकामनाएं !

25 दिसम्बर 2015

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

बहुत बहुत शुभ कामनाए इन्हे हम सबकी .....

25 दिसम्बर 2015

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सच

23 अक्टूबर 2015
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भारत से जुड़े ये 13 कड़वे सचआपको सोचने पर ज़रूर मजबूरकर देंग-चाय की दुकान पर बैठ कर 5 रुपए का न्यूज़ पेपर लेकरकर बड़ी-बड़ी बातें करना तो जैसे हम सबकाजन्मसिद्ध अधिकार है. पर जब बात हो कुछ करनेकितो सबका बस एक ही जबाव होता है. “ये अपनाकाम नहीं है, जिसका है वो इसे ढंग से नहीं करता”.आज हम कुछ ऐसी ही बाते आपसे

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बेटियां

23 अक्टूबर 2015
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कोई चेहरा है कोमल कली का,रूप कोई सलोनी परी का ।इनसे सिखा सबक जिंदगी का,बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का ।ये अगर है तो रोशन जहा है,ये जमीने है और आसमा है ।है वजूद इनसे ही आदमी का,बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का |हमने रब को तो देखा नहीं,पर नूर ये है खुदा का जमी पर ।एक एहसास है रौशनी का,बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का

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सत्य वचन

23 अक्टूबर 2015
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"सिर्फ आसमान छू लेना ही कामयाबीनही होती है !असलीकामयाबी तो वो है कि आसमान भी छू लोऔर पैर भी जमीन पर हों..!!"."जो हो गया उसे सोचा नही करते,जो मिल गया उसेखोया नही करते,हासिल उन्हें होतीहै सफलता,जो वक्त और हालात पर रोया नहींकरते !!"."घड़ी की सुई अपने नियम सेचलती है ,इसीलिए सब उसका विश्वासकरते हैं !आप भ

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प्रेरक प्रसंग

23 अक्टूबर 2015
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अमरीका में एक अमीरपाकिस्तानी,एक bar में प्रवेश करता है।गर्व से ऐलान करता है कि वह बडा खुशनसीब हैऔर शराबघर के परिचालक (bartender) सेकहता है-“मेरी तरफ़ से यहाँ सब मौजूद लोगों को एक एकपैग पिलाओ”फिर एक कोने में एक हिन्दुस्तानी को देखकर कहाबारटेँडर से“सबके लिए, पर उस कम्बख्त हिन्दुस्तानी केलिए नहीं”हिन्द

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यह इंडिया है मेरे यार!

23 अक्टूबर 2015
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1) हम बेटियों की पढ़ाई से ज्यादाउनकी शादी पर खर्च करते हैं।2) हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां पुलिसवालों को देखकर हम सुरक्षित महसूसकरने की बजाय घबरा जाते हैं।3) IAS एग्जाम में एक शख्स 'दहेज : एकसामाजिक बुराई' विषय पर 1500 शब्दोंका बेहतरीन लेख लिखता है। सबकोप्रभावित करता है और एग्ज़ाम पास करलेता है।

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मानसिकता

24 अक्टूबर 2015
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बेटी निकलती है तो कहतेहो छोटे कपडे पहन कर मतजाओ ....पर बेटे सेनहीं कहतेहो कि नज़रों मे गंदगी मतलाओ....बेटी से कहतेहो कि कभी घरकि इज्जत ख़राब मतकरना ...बेटे सेक्यों नहीं कहतेकि किसी के घर कि इज्जतसे खिलवाड़नहीं करना ...हर वक़्तरखते हो नज़र बेटी के फ़ोनपर ...पर येभी तो देखो बेटा क्या करता हैइंटरनेट पर

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कथा

24 अक्टूबर 2015
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एक बार की बात है किसी गाँव में एक पंडितरहता था । वैसे तो पंडित जी को वेदों औरशास्त्रों का बहुत ज्ञान था लेकिन वह बहुत ग़रीबथे ।ना ही रहने के लिए अच्छा घर था और ना हीअच्छेभोजन के लिए पैसे ।एक छोटी सी झोपड़ी थी,उसी में रहते थे और भिक्षा माँगकर जो मिलजाता उसी से अपना जीवन यापन करते थे ।एक बार वह पास के

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एक अनुरोध आप सब से........!!!

25 अक्टूबर 2015
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आपसे वो अपील रहा हूँ जो कोई न्यूज़ चैनल या कोई सुपरस्टार नही करेगा !!!!!"इस दीपावली मिट्टी के दीये ही जलाये"आपका छोटा सा प्रयास हज़ारो भूखे पेट को अन्नदेगा|

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अतुलनीय भारत

25 अक्टूबर 2015
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परिवर्तन

25 अक्टूबर 2015
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"देश कुछ इस तरह भी बदलने लगा है कि.... लोग गाय चराने में शर्म...और... कुत्ता घुमाने में गर्व...करने लगे हैं...!"

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सच्चाई

25 अक्टूबर 2015
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वृद्धाआश्रम में माँ बाप को देखकरसब लोग बेटो कोही कोसते है,लेकिन दुनिया वाले ये कैसे भूल जाते हैं की वहा भेजने मे किसी की बेटी का ही अहम रोल होता है..!वरना लोग अपने माँ बाप को शादी के पहले ही वृद्धाश्रम क्यों नही भेजते।संस्कार बेटियों को भी दें ताकि कोई बेटों को ना कोसे।यह कड़वा है पर सत्य है।

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लौह पुरूष

31 अक्टूबर 2015
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जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा..जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा..बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता यारों..!जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा..!!सरदार पटेल और यूनिटी का एक बड़ा नाता है।वो नाता जो करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में पिरोता है।वो नाता जिसकी वजह से करोड़ों भारतीय पाकिस

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दीपावली

11 नवम्बर 2015
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दीपावली का अर्थ है दीपोंकी पंक्ति। दीपावली शब्द‘दीप’ एवं ‘आवली’ की संधिसे बना है। आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकारदीपावली शब्द का अर्थ है,दीपों की पंक्ति। भारतवर्ष में मनाएजाने वाले सभी त्यौहारों मेंदीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनोंदृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सवभी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योत

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जरा सोचिये इस बारे में......

17 नवम्बर 2015
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एक बार एक भारतीय U.S.A घूमने गया। इसी दौरान वह California पहुंचा । वहां पे उसे एक अमेरिकन से दोस्ती ही गयी जिसका नाम मार्क था। दोनों अच्छे दोस्त बन गए और बहुत सारी बाते होने लगी अपने अपने देश के बारे में।तब भारतीय ने पूछा मार्क ये goggle कब लॉन्च हुआ था।मार्क ने बताया की 4 फ़रवरी 2004 को कैलिफ़ॉर्निया

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आखिर क्या है असहिष्णुता का अर्थ, जिसने मचा रखा है बवाल

27 नवम्बर 2015
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असहिष्णुता को लेकर बहस चारों ओर चलरही है लेकिन सही मायनों में असहिष्णुता शब्द कामतलब क्या है और इसका प्रयोग किस लहजे मेंकिया जाता है यह जानना भी जरूरी है। पत्रिकाउत्तरप्रदेश की टीम ने विद्वानों से जाना आखिरक्या है असहिष्णुता।एक धर्म के इर्द-गिर्द घूम रही है बहसलखनऊ यूनिवर्सिटी में हिंदी डिपार्टमेंट

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नेहरू जी के नेशनल हेराल्ड का काला इतिहास आैर हेराल्ड घोटाला

23 दिसम्बर 2015
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नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत 9 सितंबर, वर्ष1938 में लखनऊ से हुई थी। अखबार के मास्ट हेड पर लिखा गयाथा कि 'स्वतंत्रता खतरे में है, सभी के साथ इसकी रक्षा करनीहै।' अंग्रेजी में इसका मतलब है कि Freedom is in Peril,Defend it with All Your Might. जब इस अखबार की शुरुआतहुई तो इसके पहले संपादक पूर्व प्रधानमं

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डॉ. अब्दुल कलाम के महान विचार

23 दिसम्बर 2015
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Quote 1 : इससे पहले की सपने सच हो आपको सपने देखने होंगे।Quote 2 : सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।Quote 3 : इंतज़ार करने वालो को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है।Quote 4 : एक अच्छी पुस्तक हज़ार दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्

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हमारे अटल जी

25 दिसम्बर 2015
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टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकीहार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगाकाल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूंगीत नया गाता हूं.वाजपेयी (अटल बिहारी) की यह वहप्रिय कविता है, जो जीवन में आगे बढ़ने, कभी हारनहीं मानने और लड़ने के लिए प्रेरित करती है. यहवह कविता है जिसने राजनीतिज्ञों स

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अटल बिहारी वाजपेयी के अनमोल विचार

25 दिसम्बर 2015
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1:Global interdependence today means that economic disasters in developing countries could create a backlash on developed countries..आज वैश्विक निर्भरता का अर्थ यह है कि विकासशील देशों में आई आर्थिक आपदाएं विकसित देशों में संकट ला सकती हैं 2 :In the euphoria after the Cold War, there wasa misplaced

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वन्दे मातरम और उसका हिन्दी अर्थ-

25 दिसम्बर 2015
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वन्दे मातरम का हिंदी मीनिंग - वन्दे मातरम का हिंदी में क्या अर्थ है - जैसे ह

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राष्ट्रगान का हिन्दी अर्थ -

25 दिसम्बर 2015
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जन गण मन अधिनायक जय हे,(हे भारत के जन गण और मन के नायक (जिनके हम अधीन हैं))भारत-भाग्य-विधाता(आप भारत के भाग्य के विधाता हैं)पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,(वह भारत जो पंजाब, सिंध , गुजरात, महाराष्ट्र)द्वाविड़, उत्कल, बंग(तमिलनाडु , उड़ीसा, और बंगाल जैसे प्रदेश से बना है)विन्ध्य, हिमाचल, यमुना-गंगा,(जहाँ

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नव वर्ष- २०१६

1 जनवरी 2016
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एक बार पुनः नूतन वर्ष 2016में हम सभी प्रवेश कर रहे हैं….….मेरी ईश्वर से प्रार्थना है की आप सभी के लिए यह वर्षमंगलमय एवं सुखकारी हो….….नव वर्ष 2016 के आगमन के प्रति हमारे मन में जो रोमांचहोता है….….वह एक नई सुबह के आने का द्योतक है….….नव वर्ष द्योतक है… पिछली गलतियों को भूलने एवं नईशुरुआत करने का….….

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राष्ट्रीय युवा दिवस

12 जनवरी 2016
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भारत के एक महान चिंतक, महानदेशभक्त, दार्शनिक, युवा सन्न्यासी, युवाओं के प्रेरणास्रोत औरएक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे। भारतीयनवजागरण का अग्रदूत यदि स्वामी विवेकानंद को कहा जाए तो यहअतिशयोक्ति नहीं होगी। अगर आज तक कोई शख़्सियत है जिसने भारतीय युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है तो वो हैं स्वामी विव

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सोच बदलो देश बदलेगा

22 नवम्बर 2016
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रोज़ कुछ न कुछ होता रहता है हमारे देश मैं , कुछ नहीं हो सकता इस देश का बोल कर बस न्यूज़ देखतेरहते है और फिर अपने अपने काम मैं लग जाते है सब लोग। यही देखते बड़े हुए हम लोग औरयही करते भी आ रहे हैं।जब हमछोटे थे दुनिया बदलने के लिए कुछ करूंगा यहीसोचा करते थे , फिर थोड़ा बड़ा हुये

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26/11: ख़ौफ़ और ख़ून के वे 60 घंटे जिससे दहल गया था पूर देश

26 नवम्बर 2016
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मुंबई पर 26 नवंबर 2008 के हमलों को भला कौन भूलसकता है. ये वो तारीख थी जब पूरा देशआतंकी हमले की वजह से सहमगया था. मुंबई शहर में हर तरफ दहशत और मौत दिखाई देरही थी. आज उस हमले को भलेही आठ साल बीत गए हों लेकिन उसहमले की याद आज भी हमें डरादेती है.किस तरह 10हमलावरों ने मुंबई को

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6 छोटी-छोटी कहानियाँ

1 जून 2017
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( 1 ) एक बार गाँव वालों ने यह निर्णय लिया कि बारिश ☔के लिए ईश्वर से प्रार्थना करेंगे , प्रार्थना के दिन सभी गाँव वाले एक जगह एकत्रित हुए , परन्तु एक बालक अपने साथ छाता भी लेकर आया । इसे कहते हैं आस्था

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हमारे अन्नदाता की मन की बात

2 जून 2017
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_एक बार ज़रूर पढ़े_एक किसान की मन की बात:-कहते हैं..इन्सान सपना देखता हैतो वो ज़रूर पूरा होता है.मगरकिसान के सपनेकभी पूरे नहीं होते।बड़े अरमान और कड़ी मेहनत से फसल तैयार करता है, और जब तैयार हुई फसल को बेचने मंडी जाता है।बड़ा खुश होते हुए जाता है...बच्चों से कहता है...आज तुम्हारे लिये नये कपड़े लाऊं

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