कोई चेहरा है कोमल कली का,
रूप कोई सलोनी परी का ।
इनसे सिखा सबक जिंदगी का,
बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का ।
ये अगर है तो रोशन जहा है,
ये जमीने है और आसमा है ।
है वजूद इनसे ही आदमी का,
बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का |
हमने रब को तो देखा नहीं,
पर नूर ये है खुदा का जमी पर ।
एक एहसास है रौशनी का,
बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का |
इनसे इनकी अदाएं न छीनो,
इनसे इनकी सदाएं न छीनो |
हक इन्हें भी तो है जिंदगी का,
बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का ।
बेटिया तो है लम्हा ख़ुशी का |
बेटी बचाओ, बेटी पढाओ !