लखनऊ : सैन्य प्राधिकरण ने लेफ्टिनेंट एसएस चौहान के कोर्ट मार्शल को गलत मानते हुए रक्षामंत्रालय पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया है। साथ प्राधिकरण ने उन्हें बहाल कर सेवा के सभी लाभ देने का आदेश दिया। हिंदुस्तान की खबर के अनुसार न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने 300 पेज के फैसले में कहा कि चौहान को 4 करोड़ रुपये दिए जाएं और एक करोड़ आर्मी सेंट्रल वेलफेयर कोष में जमा कराए। पीठ ने पीड़ित को छूट दी कि वह अपने ऊपर हुए हमले की एफआईआर भी दर्ज करा सकते हैं।
मैनपुरी निवासी सेकेंड लेफ्टिनेंट एसएस चौहान सेना की छठवीं राजपूत बटालियन, श्रीनगर में तैनात थे। तैनाती के 12 दिन बाद ही 11 अप्रैल 1990 को उन्हें बाटमालू में घर-घर तलाशी अभियान चलाने का निर्देश मिला। उनकी टीम ने एक आतंकी के घर से 27.5 किलो सोना बरामद किया।
इसे उन्होंने कर्नल को सौंप दिया। अगले दिन कर्नल ने छापे में बरामदगी में सोने का जिक्र नहीं किया। इस पर चौहान ने आपत्ति जताई तो कर्नल ने उन्हें ही फंसाने की साजिश रची। चौहान का आरोप है कि सोने को तत्कालीन कर्नल और लेफ्टिनेंट ने मिलीभगत कर हड़प लिया।
प्राधिकरण ने कहा कि यह मामला एक नौजवान, प्रतिभाशाली अधिकारी की ऑनर किलिंग जैसा है। चौहान ने न्याय के लिए संसद से गुहार लगाई। संसद ने वर्ष 2008 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया। चंद्रशेखर, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने उनके पक्ष में आवाज उठाई। संसदीय समिति ने उन्हें निर्दोष पाया।