नई दिल्लीः फर्जी तरीके से करोड़ों की जमीन खरीदने में बसपा मुखिया मायावती फंस गई हैं। हाईकोर्ट ने जमीन की हेराफेरी में मायावती के साथ भाई आनंद कुमार, पिता प्रभुदयाल सहित 14 लोगों को नोटिस देकर जवाब तलब किया है। माना जा रहा कि अगर मायावती के परिवार की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया तो जेल भी जाना पड़ सकता है।
क्या है मामला
गौतमबुद्धनगर के सामाजिक कार्यकर्ता संदीप भाटी की पीआईएल पर हाईकोर्ट डिवीजन ने सख्ती बरती है। । पीआईएल में आरोप लगाया गया है कि मायावती ने अपना बंगला बनवाने के लिए रसूख का इस्तेमाल कर नियमों के खिलाफ ज़मीन ली है। पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग हुई है। पीआईएल के मुताबिक मायावती ने साल 2005 और 2006 में गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील स्थित अपने पैतृक गांव बादलपुर में 47 हजार 433 स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल जमीन खरीदकर पावर ऑफ एटर्नी पिता प्रभु दयाल व भाई आनंद कुमार को दे दी। दस्तावेज के मुताबिक वह सरकारी रिकॉर्ड में खेती की ज़मीन थी और उस पर निर्माण नहीं हो सकता था।
खेती की जमीन को बदल दिया आबादी की जमीन में
मायावती के पिता व भाई की अर्जी पर दादरी तहसील के एसडीएम ने 30 मई 2006 को यह ज़मीन कृषि योग्य भूमि से बदलकर आबादी की ज़मीन में ट्रांसफर कर दी। बसपा नेताओं के दबाव में एसडीएम ने यह फैसला किया। ज़मीन की रजिस्ट्री में भी हेराफेरी की बात कही जा रही। रजिस्ट्री जिस तारीख को हुई है, उसमे लगे स्टैम्प एक दिन बाद खरीदे गए हैं। साल 2007 में मायावती के सीएम बनने के बाद बादलपुर गाँव में मायावती के बंगले के आसपास की सारी ज़मीनों को ग्रेटर नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के लिए अधिग्रहण किया गया, लेकिन मायावती व उनके परिवार की ज़मीन का अधिग्रहण नहीं किया गया। याचिकाकर्ता संदीप भाटी की पीआईएल में आरोप लगाया गया है कि इस बारे में कई जगहों पर शिकायत की गई, लेकिन हाई प्रोफ़ाइल मामला होने की वजह से कहीं भी कार्रवाई नहीं की गई। एक आरोप यह भी है कि ज़मीन की रजिस्ट्री कराने से लेकर उसका नेचर बदलने में जो भी अधिकारी शामिल थे, मायावती के सीएम बनने के बाद उन्हें मलाईदार पद दिए गए।