नई दिल्ली : अब लंबे समय तक जीवन साथी को सेक्स से दूर रखना महंगा पड़ सकता है. दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि लंबे समय तक जीवनसाथी को सेक्स के लिए मना करना मानसिक क्रूरता है और इसके आधार पर तलाक लिया जा सकता है. कोर्ट ने यह फैसला देते हुए एक जोड़े को तलाक की मंजूरी दे दी.
मानसिक क्रूरता है सेक्स से साथी को दूर रखना : SC
जस्टिस प्रदीप नंद्राजोग और जस्टिस प्रतिभा रानी की डिवीजन बेंच ने एक व्यक्ति की याचिका पर यह फैसला दिया. याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी शादी आगे नहीं चल सकती. उसकी पत्नी ने उसके बॉस को दफ्तर जाकर गलत शिकायत की. जिसके चलते उसकी नौकरी चली गई. बेंच ने कहा, ”यह सभी कार्य फिर चाहे वो व्यक्तिगत हो या संयुक्त रूप से इनसे पति पर क्रूरता हुई है.” इससे पहले फैमिली कोर्ट ने भी पति की याचिका पर एक अप्रैल 2016 को शादी खत्म करने को मंजूरी दे दी थी.
महिला की याचिका ख़ारिज
महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन शुक्रवार को कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. पति के पक्ष में फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का जिक्र किया और कहा कि जीवनसाथी को बिना पर्याप्त कारण के लंबे समय तक सेक्स से दूर रखना मानसिक क्रूरता है.
पत्नी ने मना किया था पति को सेक्स करने से
व्यक्ति ने कोर्ट में कहा कि उनकी शादी नवंबर 2007 में हुई थी, लेकिन पत्नी ने मेडिकल समस्या के चलते सेक्स से इनकार कर दिया. इसके बाद में वे जनवरी 2008 में शिमला हनीमून गए थे और वहां भी पत्नी ने संबंध बनाने से इनकार कर दिया. पत्नी ने धमकी दी कि पति ने अगर उसे छूने की भी कोशिश की तो वह बालकनी से कूद जाएगी या फिर अलार्म बजा देगी. हनीमून के फेल होने पर वे वापस दिल्ली लौट आए.
पत्नी ने लगाया दहेज उत्पीडन का आरोप
यहां से पत्नी अपने माता-पिता के घर चली गई, वहां से वह तीन महीने बाद लौटी. उसका व्यवहार मेरी मां के प्रति भी अपमानजनक था. महिला ने अपनी सफाई में कहा कि उसका पति और ससुराल वाले दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताडि़त करते थे. साथ ही पति शराब पीकर मारपीट भी करता था.