समूचे लोहारू उपमण्डल में दीपों का त्योहार दीवाली परंपरागत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने एक-दूसरे को दीवाली की शुभकामनाएं व बधाई दी तथा मिठाईयों का आदान-प्रदान किया। दीवाली के दिन बाजारों में मिल रखने को भी जगह नहीं मिली।
दीवाली के दिन शुभ मुहूर्त में लोगों ने महालक्ष्मी जी का पूजन किया और अपने परिवार तथा राष्ट्र की सुख-समृद्धि की कामना की। लोगों ने सर्वप्रथम गणपति की आराधना की और बाद में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घी के दीए जलाकर उनकी पूजा अर्चना की। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन से लेकर तीन दिन के लिए मां लक्ष्मी भूमंडल पर विचरण करती हैं, इस लिए लोगों ने अपने घरों के दरवाजे खुले रखे ताकि उनके घर में भी सुख-समृद्धि का आगमन हो। क्षेत्र के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया और लोगों ने अपने घरों व प्रतिष्ठानों पर रंग-बिरंगी रोशनियां लगाई। दीवाली के दूसरे दिन मंदिरों में अन्नकूट प्रसाद बनाकर वितरित किया गया तथा कारीगरों व शिल्पकारों ने देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा दिवस पर अपने औजारों की पूजा की।