shabd-logo

लोहारू की सब्जी मंडी के पास स्टेशन रोड़ पर कूड़ा बीनते बच्चे

14 नवम्बर 2015

1161 बार देखा गया 1161
featured image

 भले ही 55 करोड़ की युवा शक्ति और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के बल पर विकसित देशों की कतार में शामिल होने की दहलीज पर भारत के खड़े होने का दंभ भरा जा रहा हो मगर वास्तविकता यह है कि 21 वीं सदी के भारत के करोड़ों बच्चे आज भी पेट की आग के सामने लाचार हैं तथा खतरनाक काम करते ये बच्चे सीधे बालपन से बुढापे में कदम रखने को विवश हैं। बच्चों से लगाव रखने वाले चाचा नेहरू के जन्म दिन को हर साल बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा राजधानी दिल्ली से लेकर सुदूर ग्रामीण अंचल में भी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और बाल कल्याण की अनेक योजनाएं घोषित की जाती हैं। वास्तविकता यह है कि इन रंगारंग कार्यक्रमों की चकाचौंध से दूर करोड़ों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें पेट भरने के लिए दो वक्त की दाल रोटी भी नहीं मिल पाती और वे भूख के सामने लाचार होकर जोखिम वाले काम करने को विवश हैं। हमारे लिए इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी कि बाल कुपोषण के मामले में हम पाकिस्तान और बांगलादेश से भी नीचे हैं। यहां लाखों बच्चे या तो भीख मांगते हैं या फिर पेट की आग को शांत करने के लिए जोखिम वाला काम करते हैं और मालिकों द्वारा उनका जमकर शोषण किया जाता है। इन बच्चों को न तो बाल अधिकारों का पता है और न ही बाल दिवस के बारे में, वे तो सिर्फ इतना जानते हैं कि दो वक्त की रोटी का प्रबंध कैसे हो। कुपोषण के शिकार और खतरनाक काम करते ये बच्चे पढाई-लिखाई से तो वंचित रहते ही हैं वे सीधे बचपन से बुढापे की दहलीज पर ही कदम रखते हैं।

 होटलों, घरों, चिनाई का काम, कुड़ा बीनते, स्टोव पर चाय बनाते, भीख मांगते इन बच्चों को देखकर लगता ही नहीं कि सरकार ने बाल श्रम को निषेध करने से आगे इन बच्चों की पढाई-लिखाई और भोजन की कोई व्यवस्था की है। ऐसे में इन बच्चों के लिए तो हर दिन केवल काम का दिन होता है और देश की तरक्की और संसाधनों का कोई लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में शिक्षा का अधिकार जैसे कानून बेमानी होकर रह जाते हैं।  एक ओर तो गोदामों में लाखों टन अनाज सड़ रहा है तो दूसरी ओर पेट की आग से लाचार बचपन सीधे बुढापे में कदम रख रहा है। बहरहाल पेट की आग में भस्म हो रहा बचपन देश के सफेदपोशों को न केवल मूंह चिढा रहा है बल्कि दुनिया की नजरों में आज भी भारत अभी भी गरीब देशों की कतार में ही खड़ा है। कूड़ा बीनने वाले बच्चे पवनदास ने बताया कि बाल दिवस का उन्हें कोई ज्ञान नहीं है। सरकार से उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती और वे कूड़ा बीनकर अपना पेट भरते हैं।

राजेन्द्र शर्मा की अन्य किताबें

12
रचनाएँ
loharunews
0.0
सचची ख़बरें
1

samachar

10 नवम्बर 2015
0
0
0

2

news

10 नवम्बर 2015
0
0
0

3

धनतेरस पर लोहारू में लोगों ने की जमकर खरीददारी : बाजारों में रौनक बढी

10 नवम्बर 2015
0
4
0

                                      लोहारू में धन तेरस के मौके पर लोगों ने गहनों, बर्तनों आदि की जमकर खरीददारी की और इसी के साथ बाजारों में दीवाली की रौनक बढ गई है। सभी बर्तनों व ज्वैलर्स की दुकानों पर ग्राहकों का तांता लगा रहा और लोगों ने धन वृद्धि की कामना के साथ खूब खरीददारी की। गहनों, बर्तनों

4

लोहारू में दीवाली की जमकर हुई खरीद

11 नवम्बर 2015
0
0
0

लोहारू में दीवाली की जमकर हुई खरीद औषधि व अन्न देने वाली प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कीलोहारू में दीवाली की पूर्व संध्या पर लोगों ने जमकर खरीद की। लोहारू के मुख्य बाजार, पोस्ट आफिस रोड़, बस अड्डा व रेलवे स्टेशन मार्केट में तिल रखने को भी जगह नहीं थी। भीड ़भाड़ वाले स्थानों पर दिनभर मनचलों का भी

5

लोहारू के बाजार में दीवाली की पूर्व संध्या पर उमड़ी लोगों की भीड़ व बाजार में निरीक्षण के लिए निकले एसडीएम सतबीर सिंह जांगु

11 नवम्बर 2015
0
0
0

लोहारू में दीवाली की जमकर हुई खरीद औषधि व अन्न देने वाली प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कीलोहारू में दीवाली की पूर्व संध्या पर लोगों ने जमकर खरीद की। लोहारू के मुख्य बाजार, पोस्ट आफिस रोड़, बस अड्डा व रेलवे स्टेशन मार्केट में तिल रखने को भी जगह नहीं थी। भीड ़भाड़ वाले स्थानों पर दिनभर मनचलों का भी

6

लोहारू में श्रद्धापूर्वक मनाया गया दीवाली पव, महालक्ष्मी का पूजन कर मांगी सुख-समृद्धि : मंदिरों में बना अन्नकूट

12 नवम्बर 2015
0
0
0

समूचे लोहारू उपमण्डल में दीपों का त्योहार दीवाली परंपरागत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने एक-दूसरे को दीवाली की शुभकामनाएं व बधाई दी तथा मिठाईयों का आदान-प्रदान किया। दीवाली के दिन बाजारों में मिल रखने को भी जगह नहीं मिली।दीवाली के दिन शुभ मुहूर्त में लोगों ने महालक्ष्मी जी का पूजन किया

7

लोहारू के बाजार में दीवाली की खरीददारी के लिए उमड़ी भीड़ व इनसैट में रोशनी में नहाया श्री नानु शक्ति मंदिर

12 नवम्बर 2015
0
0
0

समूचे लोहारू उपमण्डल में दीपों का त्योहार दीवाली परंपरागत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने एक-दूसरे को दीवाली की शुभकामनाएं व बधाई दी तथा मिठाईयों का आदान-प्रदान किया। दीवाली के दिन बाजारों में मिल रखने को भी जगह नहीं मिली।दीवाली के दिन शुभ मुहूर्त में लोगों ने महालक्ष्मी जी का पूजन किया

8

भाकियु ने 20 को लोहारू में बुलाई प्रदेश स्तरीय रैली, किसानों से जुड़े अनेक मुद्दों पर होगी चर्चा : बड़े नेताओं को दिया न्यौता

13 नवम्बर 2015
0
0
0

 भारतीय किसान यूनियन ने किसानों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा व रणनीति तय करने के लिए आगामी 20 नवंबर को लोहारू में प्रदेश स्तरीय किसान रैली आहूत की है। उक्त जानकारी देते हुए भाकियु के जिला प्रधान मेवा सिंह आर्य ने बताया कि इस रैली में भाकियु के राष्ट्रीय महासचिव राकेश टिकैत व दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष युद्

9

लोहारू में नपा प्रशासन ने अतिक्रमण हटवाया,दुकानदारों ने लगाया माथा देखकर तिलक करने का आरोप

13 नवम्बर 2015
0
0
0

 लोहारू नगरपालिका के दस्ते ने बीआई राकेश कुमार के नेतृत्व में आज मुख्य बाजार में अतिक्रमण हटवाया। बीआई ने पत्रकारों को बताया कि दकानदारों को अतिक्रमण के संबंध में लिखित नोटिस देकर पहले ही सूचित कर दिया गया था और बार-बार मुनादी भी करवाई गई। उन्होंने बताया कि शहर के हर हिस्से से अतिक्रमण हटवाया जाएगा

10

लोहारू के मुख्य बाजार में अतिक्रमण हटवाता नगरपालिका का दस्ता

13 नवम्बर 2015
0
0
0

11

पेट की आग के सामने लाचार बचपन छान रहा है दर-दर की खाक : बचपन से सीधे बुढापे में रख रहे हैं कदम

14 नवम्बर 2015
0
1
0

 भले ही 55 करोड़ की युवा शक्ति और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के बल पर विकसित देशों की कतार में शामिल होने की दहलीज पर भारत के खड़े होने का दंभ भरा जा रहा हो मगर वास्तविकता यह है कि 21 वीं सदी के भारत के करोड़ों बच्चे आज भी पेट की आग के सामने लाचार हैं तथा खतरनाक काम करते ये बच्चे सीधे बालपन से बुढाप

12

लोहारू की सब्जी मंडी के पास स्टेशन रोड़ पर कूड़ा बीनते बच्चे

14 नवम्बर 2015
0
1
0

 भले ही 55 करोड़ की युवा शक्ति और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के बल पर विकसित देशों की कतार में शामिल होने की दहलीज पर भारत के खड़े होने का दंभ भरा जा रहा हो मगर वास्तविकता यह है कि 21 वीं सदी के भारत के करोड़ों बच्चे आज भी पेट की आग के सामने लाचार हैं तथा खतरनाक काम करते ये बच्चे सीधे बालपन से बुढाप

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए