चलते चलते नज़र पडी
एक सवाल खड़ा था -
"क्या आपने ज़िंदा जलती औरत को देखा है?"
.... सोचने लगी
इसका जवाब कौन कैसे देगा !
क्या यह कोई रोमांचक घटना होगी ?
- जिसे रोमांचक ढंग से सुनाया जाए
या फिर आँख बचाकर निकल जाने का क्षण
कि कौन इस मुसीबत में पड़े !
जलते हुए का तात्पर्य धधकती आग से है ?
क्या दृष्टिगत आग ज़रूरी है ?
क्या लपटें ही साबित करेंगी
कि कोई औरत ज़िंदा जली
जलती गई ...
बिना राख हुए !
मैंने देखा है
वह अदृश्य आग
जिसमें ...
औरत होने से पूर्व
वह लड़की घिर गई
अनगिनत फफोले थे
लेकिन ... !!!
कहीं कोई चश्मदीद गवाह नहीं था !
सारे अपराधी बाइज़्ज़त बरी रहे
अट्टाहास की तीली जलाते रहे
औरत तिल तिल जलती रही ...
मैं क्या गवाही देती
मैं तो खुद एक स्त्री हूँ
कौन करता विश्वास
और क्यूँ करता ?
सब तो आग लगाने में मशगूल थे
जलती बुझती औरत को देखने का एक नशा था उनमें
वे बातों की सूखी लकड़ियाँ इकट्ठी करते रहे
आग में घी डालते गए ...